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Tuesday, May 7, 2024
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सुप्रीम कोर्ट ने वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद के एएसआई सर्वेक्षण पर 26 जुलाई तक लगाई रोक

अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टुमारो

नई दिल्ली | सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक अहम फैसला सुनाते हुए वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में एएसआई के द्वारा सर्वेक्षण करने के जिला अदालत के फैसले पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि 26 जुलाई शाम 5 बजे तक जिला अदालत द्वारा पारित किया गया आदेश नहीं लागू किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में ज्ञानवापी मस्जिद कमेटी को इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने का आदेश दिया है।

यहां पर यह ज्ञात हो कि वाराणसी की जिला अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद विवाद के मामले में मस्जिद परिसर में सील वजूस्थल को छोड़कर बाकी ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के वैज्ञानिक सर्वेक्षण का एएसआई को आदेश दिया था। जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश ने हिंदू पक्ष की सीता साहू, मंजू व्यास, रेखा पाठक, लक्ष्मी देवी की ओर से अदालत को दिये गए एक आवेदन पत्र पर यह आदेश दिया था।

इस आदेश के बाद ज्ञानवापी मस्जिद की अंजुमन इंतजामिया कमेटी ने इस पर ऐतराज जताया था और कहा था कि जिला अदालत को इस संबंध में आदेश पारित करने का कोई अधिकार नहीं है, क्योंकि हाईकोर्ट के 12 मई के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने 19 मई को इस पर स्थगन आदेश दिया था। इसके बावजूद जिला अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन किया और उसने खुद को सुप्रीम कोर्ट से ऊपर समझते हुए ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में सील वजूस्थल को छोड़कर बाकी मस्जिद परिसर का एएसआई से सर्वेक्षण कराए जाने का आदेश दिया।

जिला अदालत के इस फैसले के खिलाफ वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद की अंजुमन इंतजामिया कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में उसके आदेश के पालन न करने के लिए अवमानना याचिका दायर की। इसकी आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले की सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट की इस पीठ में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के साथ जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा थे।

सुप्रीम कोर्ट में पीठ के सामने इस मामले को ज्ञानवापी मस्जिद कमेटी (प्रबंधन समिति, अंजुमन इंतजामिया मस्जिद) ने एक तत्काल क़दम के रूप में उठाया। इस पर पीठ ने तुरंत सुनवाई की और आदेश पारित किया। पीठ ने इस पर आदेश पारित किया और कहा कि, “मस्जिद के एएसआई सर्वेक्षण के लिए 21 जुलाई को वाराणसी जिला न्यायालय द्वारा पारित आदेश 26 जुलाई को शाम 5 बजे तक लागू नहीं किया जाना चाहिए।”

इसके साथ ही पीठ ने ज्ञानवापी मस्जिद समिति को जिला कोर्ट के आदेश को चुनौती देने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने के लिए कहा। पीठ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से 26 जुलाई को अंतरिम आदेश समाप्त होने से पहले
सुनवाई की अनुमति देने का अनुरोध किया।

सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई के दौरान पीठ ने एएसआई के द्वारा दिए गए एक बयान पर भी ध्यान दिया, जिसमें एएसआई ने कहा था कि, वह कम से कम एक सप्ताह तक ज्ञानवापी स्थल की कोई खुदाई करने की योजना नहीं बना रहा है। हालांकि यह अलग बात है कि वाराणसी की जिला अदालत ने यह निर्धारित करने के लिए ऐसी खुदाई की अनुमति दी थी कि क्या 16 वीं शताब्दी की मस्जिद पहले से मौजूद मंदिर के ऊपर बनाई गई थी।

पीठ के सामने पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को एएसआई के रुख के बारे में बताया और कहा कि, ज्ञानवापी मस्जिद समिति ने कोर्ट के आदेश पर रोक लगाने की मांग की। ज्ञानवापी मस्जिद समिति की ओर से पीठ के समक्ष पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता हुजेफा अहमदी ने पीठ से कहा कि, “आदेश शुक्रवार शाम को पारित किया गया था और अपील के लिए कोई अवसर दिए जाने से पहले, सर्वेक्षण की कार्यवाही आज सुबह शुरू हो गई है, हालांकि अधिकारियों को सूचित किया गया था कि इस मामले का उल्लेख आज सुप्रीम कोर्ट में किया जाएगा।”

हुजेफा अहमदी ने यह भी कहा कि, “मस्जिद की खुदाई से अपूरणीय क्षति होगी।” इस पर चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने पूंछा कि जिला कोर्ट के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा क्यों नहीं खटखटाया जा सकता। इस पर हुजेफा अहमदी ने कहा कि, यह आदेश सुप्रीम कोर्ट के पहले के आदेश का उल्लंघन है, जिसमें ज्ञानवापी मस्जिद की वैज्ञानिक जांच को स्थगित करने का निर्देश दिया गया था। इस पर यह कहा गया है कि हिंदू उपासकों के मुकदमें की स्थिरता को चुनौती देने वाली मस्जिद समिति की याचिका सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। इस पर वरिष्ठ अधिवक्ता ने तर्क देते हुए कहा कि, जब मुकदमें की स्थिरता सवालों के घेरे में है, तो सर्वेक्षण कार्यवाही की अनुमति नहीं दी जा सकती है।

हिंदू पक्ष की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट श्याम दीवान ने कहा कि, सुप्रीम कोर्ट का पिछला आदेश उस क्षेत्र के संदर्भ में पारित किया गया था, जहां शिवलिंग पाया गया था और नवीनतम आदेश ने विशेष रूप से उस क्षेत्र को बाहर कर दिया है। इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि, पिछला आदेश संरचना की कार्बन डेटिंग से संबंधित था, जिसे एक पक्ष शिवलिंग होने का दावा करता है, जबकि दूसरा पक्ष एक फव्वारा होने का दावा करता है। उन्होंने कहा कि, पिछले आदेश के संबंध में चिंता संरचना को संभावित नुकसान को लेकर थी, लेकिन नवीनतम आदेश किसी भी आक्रामक प्रक्रिया से संबंधित नहीं है।

इस पर वरिष्ठ अधिवक्ता हुजेफा अहमदी ने इस दावे का खंडन किया और कहा कि, उनके निर्देशों के अनुसार एएसआई ने खुदाई शुरू कर दी है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आदेश में विशेष रूप से “खुदाई” शब्द का इस्तेमाल किया गया है। इस पर श्याम दीवान ने कहा कि, आदेश केवल ग्राउंड पेनेटरेटिंग रडार (जीपीआर) जेसीबी गैर-आक्रामक प्रक्रिया का जिक्र कर रहा था।

इसका हुजेफा अहमदी ने विरोध किया। उन्होंने कहा कि, जब आदेश स्पष्ट रूप से उत्खनन का कहा गया है तो मेरे विद्वान मित्र कैसे कह सकते हैं कि कोई आक्रामक प्रक्रिया नहीं है। कम से कम हमें उचित समय दें।

सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने आज सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल को एएसआई से निर्देश प्राप्त करने और सुबह 11.15 तक वापस आकर अदालत को काम की सटीक प्रकृति के बारे में सूचित करने को कहा। इस पर सॉलिसिटर जनरल ने निर्देश लेने के बाद 11.15 पर पीठ को सूचित किया कि, “संरचना की एक ईंट भी नहीं हटाई जाएगी। अभी आरंभिक कदम उठाए जा रहे हैं। केवल माप, फोटोग्राफी, रडार इमेजिंग चालू है। एक ईंट को भी नहीं छुवा गया है या कम से कम एक सप्ताह तक छुवा जाएगा। कोई संरचना परिवर्तन नहीं होगा।”

सॉलिसिटर जनरल के द्वारा पीठ को दिए गए वचन के बाद पीठ ने याचिकाकर्ताओं को जिला अदालत के खिलाफ हाईकोर्ट जाने की अनुमति दी।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में वजूस्थल को छोड़कर बाकी परिसर का एएसआई से सर्वेक्षण कराए जाने के जिला अदालत के आदेश पर रोक लगाए जाने से इलाहाबाद हाईकोर्ट में काफी सरगर्मी है। चर्चा है कि मुस्लिम पक्ष आज ही इलाहाबाद हाईकोर्ट में इस बारे में याचिका दायर कर सकता है। पता चला है कि मुस्लिम पक्ष याचिका दायर करने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट के लिए प्रस्थान कर चुका है।

इसी बीच यह भी खबर सामने आई है कि हिंदू पक्ष ने भी हाईकोर्ट में एक कैविएट दाखिल कर दी है और उसने मुस्लिम पक्ष की एएसआई से सर्वेक्षण पर रोक लगाए जाने वाली किसी भी याचिका को बिना हिंदू पक्ष को सुने कोई भी आदेश न पारित करने की हाईकोर्ट से मांग की है। इलाहाबाद हाईकोर्ट में जो कैविएट दाखिल की गई है, उसके वकील सौरभ तिवारी हैं। उन्होंने मां श्रृंगार गौरी मुकदमें की मूल वादिनी राखी सिंह की ओर से इलाहाबाद हाईकोर्ट में कैविएट दाखिल की है।

सौरभ तिवारी का कहना है कि, “राखी सिंह ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में एएसआई सर्वेक्षण कराने की पक्षधर हैं। इसलिए उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट में कैविएट दाखिल की है। उन्होंने हाईकोर्ट में दाखिल की गई अपनी कैविएट में यह मांग की है कि किसी भी फैसले से पहले उनके पक्ष को सुना जाए।”

सुप्रीम कोर्ट के द्वारा ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में सील वजूस्थल को छोड़कर बाकी परिसर का एएसआई से सर्वेक्षण कराए जाने के जिला अदालत के आदेश पर रोक लगा दिये जाने से हिंदू पक्ष को बड़ा तगड़ा झटका लगा है। खास तौर पर उन लोगों को यह झटका लगा है, जिन्होंने वाराणसी की जिला अदालत द्वारा फैसला सुनाए जाने के बाद फैसला अपने पक्ष में बता रहे थे। ऐसे लोग फैसला आने के बाद जश्न मना रहे थे और साम्प्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने का काम कर रहे थे। हालांकि, आज सुप्रीम कोर्ट ने सारे तथ्यों को देखकर वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद के बारे में अपना तथ्यात्मक फैसला सुनाया है।

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