अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टुमारो
लखनऊ | क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा चुनाव में भाजपा को जिताने के लिए हिंदू ध्रुवीकरण कर रहे हैं? यह एक ऐसा सवाल है, जिस पर लोगों की राय अलग-अलग हो सकती है, लेकिन प्रधानमंत्री के भाषणों और दो चरण के रुझान देख कर ऐसा साफ लग रहा है कि नरेंद्र मोदी हार के डर से हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण कर रहे हैं।
राजनीति के जानकारों का कहना है कि ऐसा इसलिए देखने को मिल रहा क्योंकि भाजपा के पास जनता से जुड़ा कोई मुद्दा नहीं है। 10 साल तक केंद्र की सत्ता में बैठकर भाजपा ने कोई ऐसा कार्य नहीं किया है, जिसको वह अपनी उपलब्धि के रूप में गिना सके और जनता को बता सके। भाजपा ने केंद्र सरकार में बैठकर सरकारी संस्थानों को बेंचने का काम किया है।
भाजपा ने विश्व बैंक से लाखों करोड़ रुपये का कर्ज लिया है। पिछली सरकारों ने आज तक जितना कर्ज नहीं लिया था, उससे बहुत ज्यादा केवल मोदी सरकार ने कर्ज ले लिया है। सरकारी संस्थानों को बेंचकर सरकार ने जो पैसा जुटाया है, उसका क्या हुआ? यह बड़ा सवाल है।
भाजपा सरकार में जनता की कमर टूट गयी है। महंगाई, बेरोज़गारी, गरीबी और भ्रष्टाचार चरम पर है। कानून व्यवस्था की बदतर स्थिति है। केवल अपनी पीठ थपथपाने के लिए मनमाने आंकड़े जारी किये जाते रहते हैं, जबकि हकीकत इससे कोंसो दूर है।
केंद्र सरकार में बैठने का रास्ता यूपी से होकर जाता है। जो भी राजनीतिक दल यूपी जीत लेता है, वह केंद्र की सत्ता में बैठने में सफल हो जाता है। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने यूपी से अधिकतम लोकसभा सीटें जीती थीं, इसी कारण भाजपा केंद्र सरकार में बैठने में सफल हो गई थी।
लेकिन अब स्थितियां बदल गई हैं। लोग महंगाई, बेरोज़गारी, गरीबी और भ्रष्टाचार से त्रस्त हैं। ऊपर से कानून व्यवस्था भी बदतर है। इसलिए लोग बदलाव चाहते हैं। हवा भाजपा के खिलाफ चल रही है। पूरे देश में भाजपा का विरोध हो रहा है और ऐसी स्थिति में भाजपा को अपनी हार दिखाई पड़ रही है।
यही वजह है कि भाजपा को जिताने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण करने पर उतर आए हैं। उनके भाषणों में उनकी हार की झलक है और भाषा में अमर्यादित शब्द इसके गवाह हैं.
वह हिन्दुओं को रिझाने के लिए और हिन्दुओं को भाजपा के पाले में लाने के लिए यूपी की अपनी जनसभाओं में खुलकर धर्म का सहारा ले रहे हैं और हिन्दुओं की भावनाओं को कुरेदने के लिए, हिन्दुओं को उत्तेजित कर उनको धर्म और भगवान की याद दिला रहे हैं।
उदाहरण के तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 5 मई को सीतापुर की जनसभा में उनका दिया गया भाषण है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सीतापुर की जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि, “मैं INDI गठबंधन से पूंछना चाहता हूं कि क्या राम मंदिर को अस्पताल में बदल दोगे? क्या विश्वनाथ मंदिर में बुलडोज़र चला दोगे? “
नरेंद्र मोदी ने जनसभा में इस प्रकार की बात कहकर जनता से सवाल पूछा, तो लोगों ने कहा कि हम ऐसा नहीं होने देंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी जनसभा में इस प्रकार की बात कहकर हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण करने का पूरा प्रयास किया।
अब सबसे बड़ा सवाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से है कि इस देश में कोई भी सरकार आए और जाए, लेकिन क्या वह राम मंदिर और काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़ेगी? वह ऐसा क्यों करेगी? नरेंद्र मोदी का इस तरह से बात कहना हिन्दुओं और मुसलमानों के बीच एक बड़ी रेखा खींचना है और इसके साथ हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण करना है।
मोदी का यह भाषण साफ़ तौर पर आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन है। यही नहीं नरेंद्र मोदी का इस तरह की बात कहना सांप्रदायिकता को बढ़ावा देने और लोगों को भड़काने का काम करना है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पूर्वांचल और अवध में होने वाली रैली और रोड शो के लिए भाजपा ने धार्मिक एजेंडा पर ज़ोर देते हुए धार्मिक भाषण तैयार किया गया है, जिसको पीएम मोदी बोलेंगे और हिन्दुओं को भाजपा के पक्ष में लाने का प्रयास करेंगे। मुद्दा विहीन भाजपा के पास हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण करने के आलावा कोई मुद्दा नहीं है।
क्या यूपी में भाजपा अंतर्कलह से जूझ रही है ?
भाजपा यह मानकर चल रही है कि अगर पीएम मोदी अपनी रैलियों और रोड शो में धार्मिक बातें कहकर जनता की भावनाओं को कुरेदने का काम करेंगे, तो एक बार फिर हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण हो जायेगा और भाजपा जीत जाएगी। जबकि ऐसा नहीं है। यूपी में भाजपा भारी अंतर्कलह से जूझ रही है।
पार्टी को हराने के लिए भाजपा के अपने लोग ही कमर कस कर जुटे हुए हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण लखीमपुर खीरी है। यहाँ पर उसके विधायक ही भाजपा उम्मीदवार व केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी का विरोध कर रहे हैं।
इसी प्रकार संतकबीर नगर में भाजपा उम्मीदवार प्रवीण निषाद का विरोध भाजपाई कर रहे हैं। घोसी में भाजपा के कार्यकर्ता अरविंद राजभर का विरोध कर रहे हैं। अरविंद राजभर यूपी के मंत्री ओपी राजभर के बेटे हैं। भाजपा को दूसरे दलों से ज्यादा खतरा अपनों से है।
पीएम मोदी लगातार विरोधी दलों पर हमला कर रहे हैं और वह इसके लिए मुसलमानों को भी टारगेट कर रहे हैं। इसके साथ ही पीएम मोदी धार्मिक मुद्दों को उठाकर हिंदू और मुस्लिम के बीच नफ़रत फैलाने का काम कर रहे हैं। लेकिन चुनाव आयोग इस पर
आखें बंद किये है और चुप्पी साधे हुए है।
हालांकि, चुनाव आयोग ने खुद कहा था कि कोई भी राजनीतिक दल और उसका नेता चुनावी रैलियों में धार्मिक मुद्दों को नहीं उठाएगा और न ही इन पर बात करेगा। लेकिन जो नहीं होना चाहिए, वह हो रहा है और चुनाव आयोग सब देखते हुए ख़ामोश है।