इंडिया टुमारो
नई दिल्ली | सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (6 मई) को मुख़्तार अंसारी के बेटे उमर अंसारी को आचार संहिता उल्लंघन मामले में अग्रिम ज़मानत दी है. उमर पर आरोप था कि उन्होंने अन्य आरोपियों के साथ जिला मऊ प्रशासन को धमकी दी और 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के दौरान आचार संहिता का उल्लंघन किया.
न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति पी के मिश्रा की पीठ ने उमर से मामले के सिलसिले में निचली अदालत में पेश होने को कहा है. ज्ञात हो कि सुप्रीम कोर्ट ने 25 जनवरी को उमर को मामले में गिरफ्तारी से संरक्षण प्रदान किया था.
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पिछले साल 19 दिसंबर को उमर अंसारी की अग्रिम ज़मानत अर्जी खारिज कर दी थी. इस मामले में चार मार्च, 2022 को मऊ जिले के कोतवाली थाने में अब्बास अंसारी-एसबीएसपी प्रत्याशी, उमर अंसारी और 150 अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था.
मऊ सदर सीट से सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के उम्मीदवार अब्बास अंसारी, उमर अब्बास अंसारी (वर्तमान अपीलकर्ता), आयोजक मंसूर अहमद अंसारी सहित 150 अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई.
उनके खिलाफ आरोप है कि 03.03.2022 को अपीलकर्ता सहित आरोपियों ने जिला मऊ प्रशासन को धमकी दी और आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन किया. एफआईआर आईपीसी की धारा 171-एफ, 186, 189, 153-ए, 120-बी और 506 के तहत दर्ज की गई.
अंसारी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था जिसने उन्हें अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया था. हालांकि, इससे पहले 25.01.2024 को सुप्रीम कोर्ट ने अंसारी को गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा प्रदान की थी.
लाइव लॉ.इन के अनुसार, यूपी राज्य की ओर से एडिशनल एडवोकेट जनरल गरिमा प्रसाद पेश हुईं और अंसारी को अग्रिम जमानत दिए जाने का विरोध किया. उन्होंने अंसारी के आपराधिक इतिहास का हवाला देते हुए कहा कि उन्होंने 150 अज्ञात लोगों की भीड़ सहित अन्य आरोपियों के साथ मऊ के जिला प्रशासन को धमकी दी और 2022 में राज्य विधानसभा चुनावों के दौरान लागू होने वाली आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन किया.
मामले में अंसारी की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने कहा कि याचिकाकर्ता के भाई (अबास अंसारी) द्वारा चुनाव के दौरान दिए गए भाषण के कारण याचिकाकर्ता/ उमर अंसारी के खिलाफ मामला दर्ज किया गया. उन्होंने बताया कि भाषण देने वाले व्यक्ति (अबास अंसारी) और अन्य सह-आरोपी को नियमित ज़मानत दी गई.
जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की खंडपीठ ने मामले को सुनने के बाद अंसारी को अग्रिम ज़मानत देने की इच्छा जताई, जबकि यह देखते हुए कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप मुकदमे में फैसले के अधीन हैं.
अंसारी को जांच में सहयोग करने और जरूरत पड़ने पर जांच एजेंसियों के सामने पेश होने का निर्देश दिया गया।
इसके अलावा, अदालत ने निर्देश दिया कि गिरफ्तारी की स्थिति में अंसारी को 20,000/- रुपये का जमानत बांड भरने के बाद जमानत पर रिहा किया जाएगा.
आरोप था कि तीन मार्च, 2022 को पहाड़पुरा मैदान में एक जनसभा में अब्बास अंसारी, उमर अंसारी और मंसूर अहमद अंसारी ने मऊ प्रशासन से ‘हिसाब बराबर करने का’ आह्वान किया था. प्राथमिकी के अनुसार, यह आदर्श चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन का मामला है.
जेल में बंद मुख्तार अंसारी का गत 28 मार्च को प्रदेश के बांदा स्थित एक अस्पताल में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था. हालांकि, परिवार ने प्रशासन पर हत्या का आरोप लगाया था.