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Tuesday, May 7, 2024
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वाराणसी कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद में वज़ूखाना छोड़कर बाकी हिस्से के ASI सर्वे का दिया आदेश

अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टुमारो

लखनऊ | वाराणसी के जिला जज की अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद में वजूस्थल को छोड़कर ज्ञानवापी परिसर के बैरिकेडिंग क्षेत्र का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) से रडार तकनीक से इसका सर्वेक्षण कराए जाने का आदेश दिया है। जिला जज की अदालत ने यह आदेश हिंदू पक्ष की सीता साहू, मंजू व्यास, रेखा पाठक और लक्ष्मी देवी की ओर से दिए गए आवेदन पत्र पर दिया है।

वाराणसी के जिला जज की अदालत में मंदिर पक्ष की ओर से ज्ञानवापी परिसर की वैज्ञानिक विधि से जांच कराए जाने के लिए इसके एएसआई सर्वे को लेकर इन महिलाओं ने एक आवेदन पत्र दिया था, जिस पर आज वाराणसी के जिला जज की अदालत ने अपना फैसला सुनाया।

जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश ने ज्ञानवापी परिसर स्थल में वजूस्थल को छोड़कर बाकी ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का एएसआई से वैज्ञानिक तरीके से सर्वेक्षण कराने का आदेश दिया है। इसके पहले बीती 12 मई को हाईकोर्ट ने एडवोकेट कमिश्नर की कार्यवाही के दौरान ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में मिले कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग का आदेश दिया था। 19 मई को मंदिर पक्ष ने वाराणसी की जिला अदालत में पूरे ज्ञानवापी परिसर के वैज्ञानिक विधि से जांच की मांग करते हुए इसके एएसआई से सर्वेक्षण कराए जाने के लिए एक आवेदन पत्र दिया था। इस पर जिला अदालत ने सभी पक्षों को सुना था और इस मामले में बहस पूरी हो चुकी थी।

जिला जज की अदालत में पिछली सुनवाई पर मस्जिद पक्ष ने मंदिर पक्ष के इस आवेदन पत्र का विरोध किया था और इसको खारिज करने की मांग की थी। इस पर मंदिर पक्ष ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के वैज्ञानिक विधि से जांच करने के लिए इस मुकदमें (आवेदन पत्र) को बेहद अहम बताया था। इस पर अदालत ने सभी पक्षों को सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था।

जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश ने इस मामले पर अपना फैसला सुनाया। जिला जज ने अपना फैसला सुनाते हुए ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के एएसआई से सर्वेक्षण कराए जाने का आदेश दिया। लेकिन इस सर्वेक्षण में सील किया गया क्षेत्र यानि वजूस्थल को नहीं छुआ जाएगा। वजूस्थल सर्वेक्षण से मुक्त रहेगा।

वाराणसी की जिला जज की अदालत ने एएसआई को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का सर्वेक्षण करने का जो आदेश दिया है, उसमें इन प्रमुख बिंदुओं पर सर्वेक्षण करने के लिए कहा है। अदालत ने कहा है कि, मौजूदा इमारत की पश्चिमी दीवार की उम्र और प्रकृति की जांच की जाए। इमारत के खम्भों की आयु पता लगाने के लिए जरूरी क़दम उठाएं जाएं। तीन गुम्बदों के ठीक नीचे जीपीआर तकनीक से सर्वे करें और यदि आवश्यक हो, तो खुदाई करें। इमारत के विभिन्न हिस्सों और संरचना के नीचे मौजूद ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व की कलाकृतियों और अन्य वस्तुओं की जांच करें।

कोर्ट ने आदेश में कहा है कि, यदि आवश्यक हो, तो इमारत की पश्चिमी दीवार के नीचे रडार से सर्वेक्षण करें और खोदाई करें। सभी तहखानों की जमीन के नीचे सर्वेक्षण करें और यदि आवश्यक हो तो खोदाई करें। इमारत में मिली कलाकृतियों की सूची तैयार करें। उन कलाकृतियों की उम्र व प्रकृति का पता लगाएं। इमारत की आयु, निर्माण की प्रकृति का पता लगाने के साथ ही उसके स्तम्भों की जानकारी दें।

जिला जज की अदालत के फैसले के बाद अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी ने कहा है कि, “पहले श्रृंगार गौरी की पूजा का अधिकार मांगा गया। अब पूरे ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के सर्वे की मांग कर मामले को उलझाया जा रहा है। हाईकोर्ट के 12 मई के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने 19 मई को स्थगन आदेश दिया था। ऐसी स्थिति में एएसआई सर्वे के आवेदन को सुनने का जिला जज को अधिकार नहीं है। लेकिन इसके बावजूद जिला जज ने एएसआई सर्वे का आदेश दिया है।”

एएसआई सर्वेक्षण कार्य को पूरा करके 4 अगस्त तक जिला जज की अदालत को अपनी रिपोर्ट देगा। इस मामले की अगली सुनवाई 4 अगस्त को होगी और अदालत ने इसकी सुनवाई के लिए 4 अगस्त 2023 की तारीख मुकर्रर कर दी है। इसके पूर्व हिंदू पक्षों ने जब पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा सर्वेक्षण कराए जाने की मांग की थी, तो मुस्लिम पक्ष ने यह कहकर इसका विरोध किया था कि इससे ज्ञानवापी मस्जिद परिसर को क्षति पहुंच सकती है। लेकिन दोनों पक्षों को सुनने के बाद जिला जज की अदालत हिंदू पक्ष के तर्क से सहमत हुई कि सर्वेक्षण से यह पता चल जाएगा कि इसका कौन सा क्षेत्र किस कॉल में बनाया गया है।

अब सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि जब वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के बारे में सुप्रीम कोर्ट ने 19 मई को स्थगन आदेश दे दिया है, तो जिला जज ने फिर किस अधिकार के तहत सुप्रीम कोर्ट के स्थगन आदेश के खिलाफ जाकर एएसआई से सर्वेक्षण कराए जाने का आदेश पारित किया है? सुप्रीम कोर्ट के स्थगन आदेश के खिलाफ जाकर वाराणसी के जिला जज ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के एएसआई से सर्वेक्षण कराए जाने का आदेश दिया है।

यह आदेश एक तरह से सुप्रीम कोर्ट के लिए खुली चुनौती है। इस आदेश से यह साबित होता है कि वाराणसी के जिला जज अपने को सुप्रीम कोर्ट से ऊपर समझते हैं। इसलिए सुप्रीम कोर्ट को चाहिए कि वह वाराणसी के जिला जज के खिलाफ सख्त कार्यवाही करें, जिससे न्यायपालिका की गरिमा बरकरार रहे और आइंदा से कोई अदालत किसी को लाभ पहुंचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ जाने की जुर्रत न करे।

वाराणसी के जिला जज की अदालत के फैसले से हिंदू पक्ष खुश है और उसके द्वारा जश्न मनाया जा रहा है और तमाम तरह की बातें की जा रही हैं। जबकि अभी न तो सर्वेक्षण कार्य शुरू हुआ है और न ही कोई रिपोर्ट सामने आई है। हिंदू पक्ष द्वारा आज के फैसले को अपने पक्ष में बताकर जश्न मनाया जाना कहीं से भी उचित नहीं है। इससे अनावश्यक विवाद पैदा होगा, जिससे सांप्रदायिक सद्भाव को ठेस पहुंच सकती है।

वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद के सील वजूस्थल को छोड़कर पूरे परिसर का एएसआई से सर्वेक्षण कराए जाने के जिला अदालत के आदेश के खिलाफ मस्जिद कमेटी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है और उसने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी है। अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी ने कहा है कि, जिला अदालत ने एएसआई को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर (वजूस्थल को छोड़कर) का सर्वेक्षण करने का आदेश देकर सुप्रीम कोर्ट की अवमानना किया है।

अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी के संयुक्त सचिव सैयद मोहम्मद यासीन का कहना है कि, “जिला जज की अदालत का आदेश सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना है। मस्जिद कमेटी के वकीलों ने इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर दी है। बीते 12 मई को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में स्थित फव्वारे की कार्बन डेटिंग और वैज्ञानिक सर्वेक्षण का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस आदेश पर रोक लगा दी थी।”

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