-मीर फैसल
नई दिल्ली | हरियाणा के मेवात ज़िले के हुसैनपुर गांव के बाईस वर्षीय मुस्लिम मैकेनिक वारिस की कथित तौर पर हिंदुत्ववादी संगठन बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने हत्या कर दी.ये आरोप वारिस के परिवार के सदस्यों ने आरोप लगाया
घटना के बाद बजरंग दल के सदस्यों द्वारा वारिस सहित तीन मुस्लिम पुरुषों को एक कार के अंदर परेशान करने और उन पर हमला करने का एक वीडियो तेज़ी से वायरल हुआ.
दादरी में सात-आठ साल पहले हुई अख़लाक़ की लिंचिंग जिसे गौरक्षा के नाम पर अंजाम दिया गया था, इस त्रासदी के बाद से मुस्लिमों की मॉब लिंचिंग बहुत बार हुई है. ये भीड़ अक्सर मुसलमानों, दलितों और आदिवासियों को निशाना बनाती है. इस बार वारिस की लिंचिंग का कथित मास्टरमाइंड कुख्यात हिंसक संगठन बजरंग दल का क्षेत्रीय नेता मोनू मानेश्वर था.
वारिस के भाई इमरान ने बताया कि उन्हें कहा गया था कि बजरंग दल के सदस्य आ गए हैं और मुसलमानों को गाली दे रहे हैं. “जब हम फेसबुक पर ऑनलाइन आए, तो मैंने देखा कि मेरे भाई और तीन अन्य युवकों को गोरक्षकों द्वारा पीटा जा रहा है.
जब इंडिया टुमारो ने मोनू से घटना के बारे में सवाल किया तो मानेश्वर ने आरोपों से इनकार किया. उसने बताया कि “मैं हरियाणा में बजरंग दल गाय संरक्षण समूह से संबंधित हूं. मुझ पर लगाए गए आरोप पूरी तरह से झूठे और बेबुनियाद हैं. उनकी कार के दूसरी कार से टकराने के बाद वारिस को चोटें आईं. हमारे पास इसके वीडियो हैं.
एसएचओ अरविंद कुमार ने इंडिया टुमारो को बताया, “वारिस की एक कार दुर्घटना में मौत हो गई थी. शेष सभी दावे झूठे हैं. हम इस पूरी घटना की जांच करेंगे और फिर उचित प्रतिक्रिया देंगे।”
पुलिस के अनुसार, उस समय वारिस के साथ मौजूद दो मुस्लिम लड़कों को हिरासत में लिया गया था. उन्होंने कहा, “उनके खिलाफ पशु तस्करी के संदेह में एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी.”
यह त्रासद घटना भारत में मॉब और गोरक्षकों की हिंसा के बढ़ते मुद्दे की याद दिलाती है, विशेष रूप से मुस्लिम, दलित और आदिवासी आबादी के खिलाफ होनी वाली लिंचिंग की घटनाओं के संदर्भ में.
वारिस के परिवार और आस-पास के ग्रामीणों के अनुसार मेडिकल सहायता मिलने से पहले युवाओं पर कथित रूप से पांच घंटे तक हमला किया गया था, इन सबका यह भी कहना है कि पुलिस उन्हें बचाने के लिए कदम उठाने में विफल रही.
भारत में, इस प्रकार के हमले लगातार बढ़ रहे हैं और कई मामलों में पीड़ितों के परिवारों ने शिकायत की है कि अधिकारियों ने उनकी सुरक्षा के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए.
एक वीडियो में, वारिस के साथी नफीस, जो हमले के समय वहां मौजूद थे, ने कहा, “वापस जाते समय हम तीन लोग थे, हमने देखा कि बजरंग दल के लोग “गोरक्षक” होने का दावा करते हुए हमारा पीछा करने लगे. इसी दौरान हमारी कार की टक्कर हो गई. टक्कर के बाद हम वाहन से बाहर निकल गए और पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी में उन्होंने हमें बेरहमी से पीटा. बजरंग दल के एक सदस्य मोनू मनेश्वर ने हमें बंदी बनाकर रखा और सुबह पांच बजे से दस बजे तक हमें प्रताड़ित किया. वारिस को बहुत चोट लगी और हम उसे अस्पताल ले जाते, इससे पहले ही उसकी मौत हो गई.
हिंदू कट्टरपंथी समूह बजरंग दल पर भारत में अल्पसंख्यक आबादी के खिलाफ हिंसा और डराने-धमकाने के कई मामलों में आरोप लगते है. हिंदू धर्म में पूजनीय गायों का बचाव करने के इस संगठन के दावों के बावजूद, इसकी गतिविधियों को चरमपंथी और अवैध बताया गया है. इस सबसे हालिया घटना से आक्रोश और न्याय की मांग को बढ़ावा मिला है, जिसमें कई लोग हिंसा को समाप्त करने और गौ रक्षकों के लिए दंड की मांग कर रहे हैं. पुलिस और राज्य एजेंसियों का काम करने के लिए एक निजी संगठन को कैसे अनुमति दी जा सकती है?
ऐसा लगता है कि बजरंग दल के कार्यकर्ता स्वयं कानून बन गए हैं. यह घटना इस बात की ओर भी ध्यान दिलाती है कि सरकार को इस प्रकार की भीड़ हिंसा को रोकने के लिए कितनी जल्दी कार्रवाई करनी चाहिए और नस्ल या धार्मिक विश्वासों के आधार पर भेदभाव किए बिना नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए.
वारिस के परिवार सहित समुदाय, हमलावरों को उनके कृत्यों के लिए दंडित करने और युवक की हत्या मामले में न्याय दिलाने की मांग कर रहा है.