इंडिया टुमारो
जयपुर | बाबरी मस्जिद की शहादत के 30 वर्ष पूरे होने पर, राजस्थान के प्रमुख मुस्लिम संगठनों के संयुक्त मंच राजस्थान मुस्लिम फ़ोरम की ओर से के एक सभा आयोजित की गई जिसमें शामिल वक्ताओं ने कहा कि 6 दिसम्बर 1992 को बाबरी मस्जिद का गिराया जाना और संविधान के विरुद्ध जाकर फैसला देना एक ऐतिहासिक अन्याय है जिसे हमेशा याद रखा जाएगा.
इस कार्यक्रम में शामिल वक्ताओं ने देश के साम्प्रदायिक हालात पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि वर्तमान में देश में मुसलमानों के विरुद्ध नफ़रत का वातावरण बनाया जा रहा है जो देश की एकता के लिए घातक.
राजस्थान मुस्लिम फोरम के द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में विभिन्न संगठनों के लोग शामिल थे जिनमें राजस्थान मुस्लिम फोरम के संयोजक शब्बीर ख़ान, जमाअते इस्लामी हिन्द के प्रदेश अध्यक्ष मुहम्मद नाज़िमुद्दीन, आल इण्डिया मिल्ली काउन्सिल के प्रदेश महासचिव अब्दुल क़य्यूम अख़्तर, जमीयत उलमा ए हिन्द के हाफ़िज़ मन्ज़ूर अली ख़ान शामिल थे.
इसके अलावा दलित मुस्लिम एकता मंच के अध्यक्ष अब्दुल लतीफ़ आरको, मुस्लिम मुसाफ़िर ख़ाना जयपुर के सचिव मुहम्मद शौकत क़ुरैशी और एस.डी.पी.आई. के प्रदेश महासचिव डा. शहाबुद्दीन भी कार्यक्रम में शामिल हुए और सभा को सम्बोधित किया. इण्डियन यूनियन मुस्लिम लीग के शर्फ़ुद्दीन अन्सारी व आल इण्डिया मिल्ली काउन्सिल के एडवोकेट मुजाहिद अली नक़वी भी उपस्थित रहे.
इस कार्यक्रम में एक प्रस्ताव भी पास किया गया जिसे सभा के समापन में जमाअते इस्लामी हिन्द के प्रदेश महासचिव डा. मुहम्मद इक़बाल सिद्दीक़ी ने प्रस्ताव पढ़ कर सुनाए और उपस्थित जनों ने सहमति जताई.
प्रस्ताव में कहा गया कि इस्लामी शरीअत के अनुसार जब किसी जगह पर मस्जिद क़ायम हो जाती है तो वह हमेशा मस्जिद ही रहती है. सुप्रीम कोर्ट ने सन् 1949 में बाबरी मस्जिद में मूर्तियाँ रखी जाने और 6 दिसम्बर 1992 को बाबरी मस्जिद को शहीद किये जाने को स्वीकार किया है, फिर भी यह अपराध करने वालों को ही मस्जिद की ज़मीन सोंप दी गई अतः सिर्फ़ फ़ैसला दिया गया है, न्याय नहीं हुआ है.
प्रस्ताव में कहा गया कि, सुप्रीम कोर्ट द्वारा बाबरी मस्जिद की शहादत के सभी मुल्ज़िमों को बरी किया जाना तथा इस से सम्बन्धित सभी मुक़द्दमे बन्द करना न्याय के मंशा के ख़िलाफ़ है, क्योंकि मुजरिम को सज़ा न मिलने से जुर्म को बढ़ावा मिलता है.
कार्यक्रम में शामिल वक्ताओं ने कहा कि 6 दिसम्बर 1992 को बाबरी मस्जिद का गिराया जाना और संविधान को ताक पर रख कर मस्जिद की ज़मीन एक पक्ष को दे देना एक ऐतिहासिक अन्याय है जिसे हमेशा याद रखा जाएगा.
वक्ताओं का मानना था कि न तो हमेशा हालात एक जैसे रहते हैं और न ही हुकूमतें सदैव रहती हैं अतः एक न एक दिन मुसलमानों को न्याय अवश्य मिलेगा.
इस अवसर पर देश के साम्प्रदायिक हालात पर चिंता व्यक्त करते हुए वक्ताओं ने कहा कि देश में मुसलमानों के विरुद्ध नफ़रत का वातावरण बनाया जा रहा है जो देश की एकता के लिए घातक है.
वक्ताओं ने कहा कि 1991 के एक अध्यादेश के मुताबिक़ सन् 1947 में जिस भी धार्मिक स्थल की जो स्थिति थी वह वैसी ही बनी रहेगी, इसके बावजूद हाल ही में मुसलमानों के धार्मिक स्थलों को निशाना बनाया जा रहा है जो चिंताजनक है.
कार्यक्रम में यह मांग भी की गई कि 1991 के क़ानून का पालन किया जाए.
कार्यक्रम के समापन पर पीड़ित मुसलमानों को न्याय दिलाए और अन्याय करने वालों को सद्बुद्धि की कामन की गई. वेल्फेयर पार्टी ऑफ़ इण्डिया के प्रदेश अध्यक्ष वक़ार अहमद ने मंच का संचालन किया.