–समी अहमद
पटना | श्रद्धा हत्याकांड में लाश को कई टुकड़ों में काटकर ठिकाने लगाने का मामला सामने आने के बाद से देश के अन्य हिस्सों से कम से कम तीन ऐसे ही और मामले सामने आए हैं. इतने मामले प्रकाश में आने के बाद भी न तो तथाकथित मुख्यधारा मीडिया में कोई रोष नज़र आया और न ही असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा जैसे नेताओं ने कोई नाराज़गी ज़ाहिर की जिन्होंने दावा किया था कि अगर नरेंद्र मोदी पीएम नहीं होते, तो आफताब जैसा मामला हर घर में देखा जाता.
बिहार की ज्योति कुमारी और रंजन कुमार, पश्चिम बंगाल की श्यामली चक्रवर्ती और राजू चक्रवर्ती और उत्तर प्रदेश के प्रिंस यादव ने भी वही किया जो महाराष्ट्र के आफताब अमीन पूनावाला ने किया था, यानी कि पहले किसी को मार डाला और फिर शवों को कई टुकड़ों में काट दिया.
ये तीनों घटनाओं के बारें में खबरें 21 नवंबर को बंगाल, यूपी और बिहार के अखबारों में छपी थीं.
बिहार में एक मामले में राकेश चौधरी नामक युवक को उसकी पूर्व प्रेमिका ज्योति कुमारी और उसके पति रंजन कुमार ने कथित तौर पर मार डाला और उसके शव को कई टुकड़ों में काट दिया. पुलिस ने राकेश के शव के टुकड़ों को पटना और नालंदा ज़िले के अलग-अलग हिस्सों से बरामद किया है.
कोलकाता से 40 किलोमीटर दूर बरूईपुर में नौसेना के पूर्व जवान उज्ज्वल चक्रवर्ती की पत्नी श्यामली चक्रवर्ती और बेटे राजू चक्रवर्ती उर्फ जॉय ने हत्या कर दी गई. मां-बेटे की जोड़ी ने उसके शरीर को छह भागों में काटकर आसपास के इलाकों में फेंक दिया.
आज़मगढ़ (यूपी) के अहरौला में आराधना नामक महिला को मार डाला गया और एक कुएं में फेंक दिया गया. आराधना के शव के हाथ-पैर कटे हुए थे और सिर भी गायब था. यह घटना 16 नवंबर को एक अज्ञात महिला की बताई गई थी, लेकिन बाद में उसके परिजनों ने एक हाथ की चूड़ी से उसकी पहचान कर की.
चौथी घटना भी लगभग उसी घटना के समय उत्तर प्रदेश के मथुरा में हुई थी, हालांकि इस मामले में शव को नहीं काटा गया था. बीस वर्षीय आयुषी यादव को उसके पिता नितेश यादव ने अपनी रिवाल्वर से गोली मारकर हत्या कर दी और फिर उसके शरीर को एक सूटकेस में पैक कर फेंक दिया था.
उत्तर प्रदेश के देवरिया का रहने वाला नितेश दिल्ली के बदरपुर इलाके में रहता है.
पूर्व में घटित मामले
पूर्व में घटित हुए मामलों में से एक अनुपमा गुलाटी हत्याकांड का कुख्यात मामला है. पति राजेश गुलाटी ने 17 अक्टूबर, 2010 को देहरादून में अनुपमा की हत्या कर दी थी, इसके बाद उसके शरीर के 72 टुकड़े करके डीप फ्रीजर में रख दिया था. राजेश को 15 लाख रुपये के जुर्माने के साथ आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई थी.
स्वघोषित धर्मगुरु श्रद्धानंद उर्फ मुरली मनोहर मिश्रा ने 28 अप्रैल, 1991 को शकरेह नमाज़ी को नशीला पदार्थ खिलाकर हत्या करके उसे अपने बंगले के अहाते में ज़िंदा दफ़न कर दिया था. इस हत्याकांड के लिए आजीवन कारावास की सज़ा पाने वाले श्रद्धानंद ने राजीव गांधी हत्याकांड के दोषियों की तरह सज़ा से रियायत पाने के लिए कोर्ट का रुख किया था. मैसूर के पूर्व दीवान सर मिर्जा इस्माइल की पोती शकरेह ने पूर्व राजनयिक अकबर खलीली को तलाक देकर 1986 में श्रद्धानंद से शादी की थी.
तंदूर हत्याकांड को भी इस तरह की घटनाओं के साथ रखा जा सकता है. इस हत्याकांड में नैना साहनी की 2 जुलाई, 1995 को उनके पति सुशील शर्मा (पति पत्नी दोनों कांग्रेस के सदस्य थे) द्वारा किसी और के साथ संबंध होने के शक के चलते हत्या कर दी गई थी.
शर्मा ने नैना साहनी को दो बार गोली मारी थी, उसके शरीर के टुकड़े किए थे, और शव के टुकड़ों को अपने दोस्त के रेस्तरां की छत पर मौजूद ‘तंदूर’ में जला दिया था.
समाज में इस तरह की सभी हिंसा की घटनाओं पर कोई विमर्श क्यों नहीं?
इस तरह की हिंसा की घटनाओं के इतिहास और उदय और इस तरह के अपराध के कारणों पर हमारे समाज में मुश्किल ही से कोई विमर्श होता है. समाजोपयोगी विमर्श के बजाय, मीडिया और सत्तारूढ़ दल के नेता इस तरह की घटनाओं का इस्तेमाल मुस्लिम विरोधी नफरत फैलाने के लिए करते हैं.
कई लोग श्रद्धा और आफताब के मामले को अपराध के सांप्रदायिकरण के रूप में देख रहे हैं. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने तो माना भी है कि इस घटना का इस्तेमाल एक समुदाय को निशाना बनाने के लिए किया जा रहा है.
असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा और तथाकथित मुख्यधारा मीडिया सिर्फ आफताब पर बहस कर रहे हैं, क्योंकि इस मामले में अपराधी का नाम ही मुस्लिम समुदाय के प्रति सांप्रदायिक होते समाज में नफरत पैदा करने के लिए काफी है. सरमा इस जघन्य अपराध का इस्तेमाल अपनी राजनीतिक बयानबाजी को आगे बढ़ाने और हिंदू एंगल डालने के लिए कर रहे हैं.
एएनआई के एक ट्वीट के मुताबिक, सरमा ने कहा, “आफताब ने श्रद्धा को मार डाला और उसके शरीर के 35 टुकड़े कर दिए. जब पुलिस ने पूछा कि वह केवल हिंदू लड़कियों को ही क्यों लाता है, तो उसने कहा कि वो ऐसा इसलिए करता है क्योंकि वे भावुक होती हैं. देश में और भी कई आफताब-श्रद्धा हैं. देश को ‘लव जिहाद’ के खिलाफ सख्त कानून की ज़रूरत है.”
राजस्थान के मुख्यमंत्री गहलोत के बयान को ट्विटर पर देखा जा सकता है, जहां #LoveJihad और #MeraAbdulAisaNahiHai जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे थे. टेलीविजन शो और ट्वीट्स में श्रद्धा-आफताब मामले को हिंदू-मुस्लिम मामले के रूप में पेश करने की कोशिश की गई और इस तरह मुस्लिम समुदाय की छवि को खराब करने के लिए इस जघन्य कृत्य का इस्तेमाल किया गया.
श्रद्धा-आफताब मामले पर मुख्यधारा प्रिंट मीडिया मे ढेरों संपादकीय लेख देखे जा सकते हैं लेकिन ऐसे अपराधों के अतीत और वर्तमान के अन्य उदाहरणों पर कोई बात नहीं कर रहा है.
कई विश्लेषकों का कहना है कि समाज में बढ़ती हिंसा पर गंभीरता से बात करने की ज़रूरत है. अफसोस की बात है कि अगर आरोपी मुस्लिम है तो ऐसे अपराधों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता है और जब आरोपी हिंदू होता है तो अपराध की गंभीरता को कम करके आंका जाता है. मुसलमानों और हिंदुओं के बीच यह विभाजन समाज के लिए बहुत चिंताजनक बात है.