इंडिया टुमारो
आज़मगढ़ | उत्तर प्रदेश के आज़मगढ़ में अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के विस्तारीकरण के नाम पर सरकार द्वारा भूमि अधिग्रहण किये जाने का किसानों और स्थानीय निवासियों द्वारा लगातार विरोध किया जा रहा है और इस प्रदर्शन को देशभर के किसान और मज़दूर संगठनों का समर्थन मिल रहा है.
इसी क्रम में ज़मीन-मकान बचाओ संयुक्त मोर्चा और संयुक्त किसान मोर्चा के तत्वाधान में अमर शहीद कुंवर सिंह उद्यान से ग्रामीणों ने जुलूस निकालकर जिलाधिकारी के माध्यम से राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन भेजा.
प्रदर्शन जुलूस में शामिल ग्रामीणों का नारा था – ‘जान दे देंगे, ज़मीन नहीं देंगे’, ‘लड़ेंगे-जीतेंगे’, ‘अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट का मास्टर प्लान वापस लो’, ‘किसी भी कीमत पर जमीन-मकान नहीं छोड़ेंगे’, ‘विस्तारीकरण के नाम पर भूमि अधिग्रहण वापस लो’, ‘सर्वे के नाम पर महिलाओं का उत्पीड़न बंद करो’, ‘दलित महिलाओं और ग्रामीणों के उत्पीड़न की न्यायिक जांच कराओ’, ‘ज़मीन के लुटेरों वापस जाओ’ आदि नारे लगाए.
मोर्चा के नेताओं से अतिरिक्त उप-जिलाधिकारी नंदिता शाह ने वार्ता की. ग्रामीणों ने कहा कि 12-13 नवम्बर 2022 के दिन और रात में उप-जिलाधिकारी सगड़ी, कई राजस्वकर्मी, पुलिसकर्मी, पी.एस.सी. के साथ आए और जरीब से नाप-जोख करने लगे.
ग्रामीणों ने कहा कि, “जब ज़मीन हम देना नहीं चाहते तो सर्वे का क्या औचित्य. प्रशासन के लोग भद्दी अश्लील जातिसूचक गालियों के साथ ग्रामीणों को मारने लगे. जिसके बाद जिलाधिकारी आज़मगढ़ से शिकायत की पर कोई कार्रवाई नहीं हुई.”
उन्होंने कहा, “पिछले 21 दिनों से जमुआ हरिराम गांव में खिरिया की बाग में शांतिपूर्ण क्रमिक धरना जारी है. जहां जमुआ हरिराम, कादीपुर हरिकेश, हसनपुर, जिगिना करमनपुर, लछेहरा, हिच्छनपट्टी, गदनपुर, जेहरा पिपरी, मंदुरी आदि गांवों के महिला-पुरुष भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया से असहमति दर्ज करा रहे हैं.”
प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणों ने मांग की है कि विस्तारीकरण के नाम पर ज़मीन-मकान के अधिग्रहण पर रोक लगाई जाए. मंदुरी एयर पोर्ट के विस्तारीकरण का मास्टर प्लान रद्द किया जाए. 12-13 अक्टूबर 2022 की रात शासन-प्रशासन द्वारा महिलाओं-ग्रामीणों के उत्पीड़न की न्यायिक जांच कराई जाए. जिलाधिकारी धरना स्थल पर आकर लिखित रूप से दें कि जमीन अधिग्रहण नहीं होगा.
संयुक्त मोर्चा के नेताओं ने कहा कि, पिछले करीब पंद्रह सालों से आज़मगढ़ में मंदुरी हवाई अड्डा के लिए जो ज़मीन अधिग्रहित हुई उस पर न कोई विमान आया न गया और न ही आसपास के ग्रामीणों को रोजी-रोजगार, जीवकोपार्जन का कोई साधन उपलब्ध हुआ.
उन्होंने कहा, “आज़मगढ़ जैसे पूर्वांचल के जिलों से नौजवान रोजी-रोटी की तलाश में ट्रेनों में जानवर की तरह ठूंसकर मुम्बई, दिल्ली, पंजाब, गुजरात, चेन्नई के शहरों में जाने के लिए मजबूर होते हैं. आवश्यकता तो यह है कि रेलों की यातायात क्षमता बढ़ाई जाय और बड़े पैमाने पर उद्योग-धंधे खोलें जाए और खुदरा व्यवसाय को बढ़ाया जाए.”
मोर्चे के नेताओं ने सवाल किया कि, आज़मगढ़ में एयरपोर्ट के विस्तारिकरण पर इतनी आतुरता क्यों है, जब हमारे जनपद से 100-200 किलोमीटर की दूरी पर वाराणसी, गोरखपुर, इलाहाबाद, कुशीनगर, अयोध्या में अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि सार्वजनिक क्षेत्रों को निजी हाथों में बेचा जा रहा है, अब उसी तर्ज पर किसानों की ज़मीन-मकान छीनकर कंपनियों के हाथों बेचने की साजिश की जा रही है.
प्रदर्शन में शामिल रामनयन यादव, शशिकांत उपाध्याय, सुजय उपाध्याय, राजीव यादव, दुखहरन राम, राजेश आज़ाद, रविन्द्र नाथ राय, रामराज, राहुल विद्यार्थी, विनोद यादव, लालमन ने सभा को संबोधित किया. अजय यादव, रविन्द्र, प्रमोद कुमार, सप्पू कुमार राठौर, भानुप्रताप पासवान, राजेश पासवान, शैलेश राय, दयाराम भास्कर, रामधनी, अजय यादव, संतोष, अमरजीत , राजू यादव, अंशु, अवधेश आदि उपस्थित रहे।
प्रदर्शन कर रहे किसानों को आम जन और विभिन्न नागरिक-सामजिक संगठनों द्वारा भारी समर्थन मिल रहा है. किसानों के इस अनिश्चितकालीन जनांदोलन के समर्थन में और इसे बल देने के लिए अन्य सामजिक कार्यकर्ता और व्यक्तित्व धरने में शामिल हो रहे हैं.
मीडिया को जारी बयान में रिहाई मंच के महासचिव राजीव यादव ने बताया कि, जनांदोलन की नेता मेघा पाटकर नवम्बर के दूसरे हफ्ते में किसानों के इस प्रदर्शन में शामिल होंगी. साथ ही किसान नेता राकेश टिकैत 9 नवंबर 2022 को मंदूरी में आज़मगढ़ अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के लिए सरकार द्वारा गांव वालों की जमीन-मकान छीनने के विरोध में हो रहे धरने के समर्थन में शामिल होंगे.
मीडिया को जारी बयान में कहा गया है कि, किसान नेता गुरुनाम सिंह चढूनी 6 नवंबर 2022 को मंदूरी में आज़मगढ़ अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के लिए सरकार द्वारा ज़मीन-मकान छीनने के विरोध में हो रहे धरने में शामिल होंगे.
प्रदर्शन कर रहे किसानों को आम जन और विभिन्न नागरिक-सामजिक संगठनों द्वारा भारी समर्थन मिल रहा है. पिछले सप्ताह किसानों के अनिश्चितकालीन धरने NAPM की राष्ट्रीय समन्वयक अरुंधति धुरू और मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित डॉ संदीप पाण्डेय ने प्रदर्शन में शामिल होकर किसानों के साथ सहानुभूति जताई.