स्टाफ रिपोर्टर | इंडिया टुमारो
जयपुर | राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी सरकार ने अपने विभाजनकारी एजेंडे के तहत स्कूलों में जबरन ‘सूर्य नमस्कार’ करवाने और हिजाब पहनने पर विवाद पैदा करने के बाद अब मुस्लिम शिक्षकों को निशाना बनाना शुरू कर दिया है.
फायरब्रांड हिंदुत्व नेता माने जाने वाले शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कोटा ज़िले में धर्मांतरण, “लव जिहाद” और प्रतिबंधित संगठनों के साथ संबंध के आरोप में दो मुस्लिम शिक्षकों को निलंबित कर दिया है और एक महिला शिक्षिका के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की है.
एक जन सुनवाई कार्यक्रम में एक स्थानीय कट्टरपंथी हिंदू संगठन, सर्व हिंदू समाज द्वारा शिक्षा मंत्री दिलावर को ज्ञापन सौंपे जाने के बाद कोटा ज़िले के सांगोद ब्लॉक के खजुरी ओडपुर गांव में सरकारी वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में तैनात शिक्षकों के खिलाफ मंत्री दिलावर ने कार्रवाई का आदेश दिया.
ज्ञापन में आरोप लगाया गया था कि मुस्लिम शिक्षक छात्रों पर धर्म परिवर्तन के लिए दबाव डाल रहे थे और उनके पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) जैसे प्रतिबंधित संगठनों से संबंध हैं.
सर्व हिंदू समाज ने ज्ञापन में यह भी दावा किया कि एक हिंदू लड़की का 2019 में स्कूल के रिकॉर्ड में नाम मुस्लिम बताया गया था, और इसी लड़की का इस साल की शुरुआत में कुछ मुस्लिम छात्रों ने अपहरण कर लिया था और अभी भी उसका पता नहीं चल पाया है.
इस संबंध में सांगोद पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई. ज्ञापन में यह भी कहा गया कि छात्रों को स्कूल में इस्लामी रीति-रिवाजों का पालन करने के लिए मजबूर किया जा रहा था.
22 फरवरी को मुख्य ज़िला शिक्षा अधिकारी द्वारा जारी आदेशों में शिक्षक फिरोज़ खान और मिर्ज़ा मुजाहिद को निलंबित कर दिया गया, जबकि शिक्षिका शबाना के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू की गई.
दिलावर ने अपने एक वीडियो संदेश में कहा कि धर्म परिवर्तन और हिंदू लड़कियों को नमाज़ पढ़ने के लिए मजबूर करने के तथ्य उनके संज्ञान में लाए गए हैं.
तीनों शिक्षकों को निलंबन और अनुशासनात्मक कार्यवाही की अवधि के दौरान शिक्षा निदेशालय, बीकानेर में रिपोर्ट करने के आदेश दिए गए हैं.
दिलावर ने कहा कि वह सरकारी स्कूलों को “धर्मांतरण का अड्डा” नहीं बनने देंगे और आगे की जांच के आधार पर शिक्षकों को सेवा से बर्खास्त कर देंगे.
दिलावर के इशारे पर बीजेपी सरकार की कार्रवाई से राजस्थान में बड़ा विवाद खड़ा हो गया है. “लव जिहाद” एक ऐसा शब्द है जिसका इस्तेमाल अक्सर हिंदुत्ववादी चरमपंथी समूहों द्वारा मुस्लिम पुरुषों द्वारा हिंदू महिलाओं को प्यार व शादी के माध्यम से धर्म परिवर्तन के लिए लुभाने की साज़िश का आरोप लगाने के लिए किया जाता है.
हैरानी की बात यह है कि आधिकारिक आदेशों में तीनो शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करते समय इस शब्द का उल्लेख किया गया है.
जहां शिक्षक प्रतिनिधि निकायों ने राज्य सरकार की कार्रवाई पर आक्रोश व्यक्त किया है, वहीं मुस्लिम संगठनों और उनके प्रतिनिधियों ने कहा है कि यह सब 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले समाज में ध्रुवीकरण पैदा कर बहुसंख्यक समुदाय को अपने पक्ष में लामबंद करने के भाजपा के प्रयासों के संदर्भ में देखा जाना चाहिए.
राजस्थान उर्दू शिक्षक संघ के अध्यक्ष अमीन कायमखानी ने कहा कि निलंबन आदेश नियमों के तहत अनिवार्य किसी भी प्रकार की विभागीय जांच किए बिना मनमाने ढंग से पारित किया गया था.
उन्होंने कहा कि निलंबित शिक्षकों के पास कोई विकल्प नहीं बचा है और आश्चर्य है कि स्कूली बच्चों को स्कूल परिसर में नमाज़ पढ़ने के लिए कैसे मजबूर किया जा सकता है, जबकि उनमें से अधिकांश हिंदू धर्म के हैं.
कायमखानी ने विभागीय जांच की कमी की ओर इशारा करते हुए निलंबन आदेशों की आलोचना की, जो स्थापित सेवा नियमों का उल्लंघन करते हैं. उन्होंने कहा कि उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना, क्षेत्र के हिंदू निवासियों के एक समूह द्वारा प्रस्तुत एक ज्ञापन के आधार पर जल्दबाजी में कार्रवाई की गई है.
मुस्लिम शिक्षकों पर लगे आरोपों की प्रकृति को देखते हुए यह मामला बेहद संवेदनशील है. शिक्षा विभाग को गहन जांच करनी चाहिए थी और तथ्यों को साबित करने के लिए प्रिंसिपल, अन्य शिक्षकों और छात्रों के बयान दर्ज करने चाहिए थे. कायमखानी ने कहा, दंडात्मक कार्रवाई सिर्फ आधारहीन आरोपों के आधार पर की गई.
जमात-ए-इस्लामी हिंद-राजस्थान के अध्यक्ष मोहम्मद नाज़िमुद्दीन, जो राजस्थान मुस्लिम फोरम के महासचिव भी हैं, ने कहा कि यह मुसलमानों को निशाना बनाने के भाजपा के एजेंडे के हिस्से के रूप में शुरू की गई एकतरफा कार्रवाई थी.
उन्होंने कहा है कि, “राजस्थान में सत्ता परिवर्तन के बाद, आगामी लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए, ध्रुवीकरण की इन रणनीतियों को आसानी से राजनीतिक फायदे के रूप देखा जा सकता है. हम इस कार्रवाई की निंदा करते हैं और जांच के बाद शिक्षकों की बहाली की मांग करते हैं.”