इंडिया टुमारो
नई दिल्ली | स्विट्जरलैंड की एक अदालत ने प्रसिद्ध इस्लामी विद्वान तारिक रमदान को बलात्कार और यौन उत्पीड़न के आरोपों से मुक्त कर दिया है।
मामला एक स्विस महिला द्वारा प्रकाश में लाया गया था जिसने कहा था कि 2008 में जेनेवा के एक होटल में रमदान द्वारा उसके साथ बलात्कार किया गया था।
57 वर्षीय स्विस महिला, जिसकी पहचान गोपनीय रखने के लिए उसे “ब्रिगिट” काल्पनिक नाम दिया गया, ने फैसला आने से पहले ही अदालत कक्ष छोड़ दिया।
अभियोजन पक्ष ने पिछले सप्ताह रमदान के लिए तीन साल की जेल की की मांग की थी। यह पहली बार था जब बलात्कार के आरोपों को लेकर उन पर मुकदमा चलाया गया।
इस्लाम में परिवर्तित, और रमदान की प्रशंसक रही महिला ने अदालत को बताया कि उसके साथ क्रूर यौन उत्पीड़न और मारपीट भी किया गया था। उसने आरोप लगाया था कि यह एक सम्मेलन के बाद कॉफी के लिए पूर्व ऑक्सफोर्ड अकादमिक द्वारा आमंत्रित किए जाने के बाद हुआ।
ब्रिगिट का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने अदालत से कहा कि उसके साथ बार-बार बलात्कार किया गया और “यातना और बर्बरता” की गई।
रमदान ने उसे अपने होटल के कमरे में आमंत्रित करना स्वीकार किया, लेकिन किसी भी प्रकार की हिंसा से इनकार किया। उन्होंने कहा कि उन पर लगाए गए सभी आरोप राजनीति से प्रेरित हैं और ऐसा उन्हें बदनाम करने के लिए किया गया है।
रमदान, यूरोप में इस्लाम में एक प्रमुख व्यक्ति के रूप में पहचाने जाते हैं, उन्होंने इन सभी आरोपों को खारिज करते हुए ज़ोर देकर कहा कि उनके और ब्रिगिट के बीच कोई यौन उत्पीड़न नहीं हुआ, और उन्हें साज़िश के तहत शिकार बनाया गया।
उनके फ्रांसीसी और स्विस वकीलों ने भी कथित हमलों की तारीखों के आसपास कई विसंगतियों का हवाला देते हुए आरोप लगाने वालों की सत्यता पर सवाल उठाया।
तारिक रमदान को उनके परिवार द्वारा उस तर्क में समर्थन दिया गया था। उनके बेटे सामी ने अपने पिता की “फ्रांस में इस्लाम के बारे में बहस में भूमिका” की ओर इशारा करते हुए बीबीसी को 2019 में बताया कि उनके पिता के खिलाफ मामले “अन्य कारणों से प्रेरित थे, जो हमें लगता है कि राजनीतिक हैं।”
बचाव पक्ष ने रमदान की बेगुनाही पर ज़ोर दिया और कहा कि मामले में कोई वैज्ञानिक सबूत नहीं है। पिछले सप्ताह अदालत में अपने अंतिम बयान के दौरान, रमदान ने कहा कि उन्हें उनकी “वास्तविक या कथित विचारधारा” के आधार पर परखने का प्रयास न किया जाएगी और साथ ही उन्होंने न्यायाधीशों से “मीडिया और राजनीतिक शोर से प्रभावित” नहीं होने का आग्रह किया।
उन्होंने कहा “भूल जाओ मैं तारिक रमदान हूँ!”।
2008 में अपने कथित यौन उत्पीड़न के समय ब्रिगिट 40 वर्ष की थी। उन्होंने 10 साल बाद शिकायत दर्ज की, अदालत को बताया कि वह फ्रांस में दर्ज की गई इसी तरह की शिकायतों के बाद आगे आने के लिए उत्साहित महसूस कर रही हैं।
स्विस में जन्मे विद्वान को 2018 महीनों में गिरफ्तार किया गया था, जब #MeToo आंदोलन के मद्देनज़र कई महिलाओं ने उन पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। फ्रांसीसी हिरासत में लगभग 10 महीने बाद उन मामलों में उन्हें ज़मानत मिल गई थी।
उनके वकीलों ने ब्रिगिट और उन महिलाओं पर भी आरोप लगाया, जिन्होंने “रमजानफोबिया” का हवाला देते हुए इस्लामिक विद्वान को बदनाम करने के लिए फ्रांस में उनके खिलाफ आरोप लगाए थे।
रमदान ने लगातार सभी आरोपों का खंडन किया है। वह मिस्र के मुस्लिम ब्रदरहुड के संस्थापक हसन अल-बन्ना के पोते हैं।
रमदान ने जिनेवा विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। वह नवंबर 2017 तक ऑक्सफ़ोर्ड में समकालीन इस्लामी अध्ययन के प्रोफेसर थे और क़तर और मोरक्को के विश्वविद्यालयों में विजिटिंग प्रोफेसर के रूप में भूमिकाएँ निभाइ।
फ्रांस में बलात्कार के आरोप सामने आने पर रमदान को अपने अकादमिक कार्यों से छुट्टी लेने के लिए मजबूर होना पड़ा था।