इंडिया टुमारो
नई दिल्ली | उत्तर प्रदेश के आज़मगढ़ में प्रस्तावित अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के लिए सरकार द्वारा ज़मीन अधिग्रहण किये जाने का किसानों द्वारा विरोध किया जा रहा है. किसान सरकार पर ज़मीन छीनने का आरोप लगाते हुए पिछले 18 दिन से लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.
प्रदर्शन कर रहे किसानों को आम जन और विभिन्न नागरिक-सामजिक संगठनों द्वारा भारी समर्थन मिल रहा है. किसानों के अनिश्चितकालीन धरने के अट्ठारहवें दिन पहुंची NAPM की राष्ट्रीय समन्वयक अरुंधति धुरू और मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित डॉ संदीप पाण्डेय ने प्रदर्शन में शामिल होकर किसानों के साथ सहानुभूति जताई.
इस जनांदोलन के समर्थन में और इसे बल देने के लिए अन्य सामजिक कार्यकर्ता और व्यक्तित्व धरने में शामिल हो रहे हैं. मीडिया को जारी बयान में रिहाई मंच के महासचिव राजीव यादव ने बताया कि, जनांदोलन के लिए जानी जाने वाली नेता मेघा पाटकर नवम्बर के दूसरे हफ्ते में किसानों की इस लड़ाई में शामिल होंगी.
आज़मगढ़ में अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के लिए सरकार द्वारा गांव वालों की जमीन-मकान छीनने के विरोध में हो रहे धरने के समर्थन में अट्ठारहवें दिन जनांदोलन का राष्ट्रीय समन्वय (NAPM) की राष्ट्रीय समन्वयक अरुंधति धुरू, मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित डॉ संदीप पाण्डेय, सामाजिक कार्यकर्ता रुबीना, रितु और पवन यादव आए.
जनांदोलन का राष्ट्रीय समन्वय (NAPM) की राष्ट्रीय समन्वयक अरुंधति धुरू ने नर्मदा बचाओ आंदोलन के अनुभव साझा करते हुए कहा कि ज़मीन बचाने की यह लड़ाई बहुत मजबूत है. इसने पूर्वांचल के किसानों के सवाल को राष्ट्रीय फलक पर लाया है जिसकी अगुवाई महिलाएं कर रही हैं. उन्होंने कहा कि जनांदोलन की नेता मेधा पाटकर नवम्बर के दूसरे हफ्ते में प्रदर्शन में शामिल होंगी.
मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित डॉ संदीप पाण्डेय ने कहा कि, “आज़मगढ़ में मंदुरी हवाई अड्डा परियोजना के लिए जो भू अधिग्रहण का प्रस्ताव है जिसमें आठ गांव और तकरीबन दस हजार की आबादी प्रभावित होने वाली है इसका कोई औचित्य समझ में नहीं आता.”
उन्होंने कहा कि, “आज़मगढ़ के पास वाराणसी, गोरखपुर, लखनऊ आदि जगहों पर हवाई अड्डे हैं जहां कुछ घंटों में पहुंचा जा सकता है. इस हवाई अड्डे के कारण सैकड़ों एकड़ भूमि जाने से जो कृषि आजीविका प्रभावित होने वाली है उसका नकद मुआवज़ा कोई विकल्प नहीं हो सकता. किसान अपनी ज़मीन बचाने की लड़ाई बहुत मज़बूती से लड़ रहा है जिनका नारा है जान दे देंगे पर ज़मीन नहीं देंगे.”
प्रदर्शन में शामिल सामाजिक कार्यकर्ता रुबीना, रितु और पवन यादव ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि आज इस लड़ाई में महिलाओं के प्रतिनित्व ने एलान कर दिया है कि जमीन की लड़ाई में कोई समझौता नहीं होगा.
उन्होंने कहा कि आज सूबे नहीं मुल्क के किसान नेताओं की नज़र में यह आंदोलन है इसके साथ हम सब खड़े होंगे.
कार्यक्रम की अध्यक्षता संयुक्त किसान मोर्चा के नेता सत्यदेव पाल ने की.
ज्ञात हो कि संयुक्त किसान मोर्चा अपनी लंबित मांगों को लेकर 26 नवंबर को देशव्यापी राजभवन मार्च कर रहे हैं और राष्ट्रपति को ज्ञापन देंगें, यदि उनकी मांगे पूरी नहीं होती हैं तो उसके बाद वे एतिहासिक किसान आन्दोलन के दूसरे फेज़ पर विचार करेंगे.