इंडिया टुमारो
नई दिल्ली | सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को भीमा कोरेगांव के मामले में आरोपी 84 वर्षीय पी वरवर राव को मेडिकल आधार पर ज़मानत दे दी.
वरवर राव पर प्रतिबंधित माओवादी संगठन के साथ कथित संबंधों को लेकर भीमा कोरेगांव मामले में UAPA के तहत मामला दर्ज किया गया है. उन्हें 2018 में गिरफ्तार किया गया था.
लाइवलॉ.इन के अनुसार, जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस सुधांशु धूलिया की खंडपीठ ने राव द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका में आदेश पारित किया जिसमें बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा चिकित्सा आधार पर उन्हें स्थायी जमानत देने से इनकार करने को चुनौती दी गई थी.
रिपोर्ट के अनुसार पीठ ने स्पष्ट किया कि जमानत केवल चिकित्सा आधार पर दी गई है और इसे मामले के मैरिट के आधार पर नहीं लिया जाएगा.
अदालत ने आगे आदेश दिया कि राव मुंबई में विशेष एनआईए अदालत से स्पष्ट अनुमति के बिना ग्रेटर मुंबई के बाहर न जाएँ और वह किसी भी तरह से अपनी स्वतंत्रता का दुरुपयोग नहीं करेंगे. साथ ही वह किसी भी गवाह के संपर्क में नहीं रहेंगे या जांच प्रभावित करने का प्रयास नहीं करेंगे.
बार & बेंच के अनुसार, अदालत ने स्पष्ट किया कि इस आदेश का अन्य आरोपियों या राव के मामलों पर गुण-दोष के आधार पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. राव को मुंबई के अधिकार क्षेत्र से बाहर नहीं जाने का आदेश दिया गया था.
जमानत देते समय निम्नलिखित बातों को न्यायालय ने ध्यान मे रखा:
- राव 82 साल के हैं
- जांच एजेंसी को 2018 से हिरासत में पूछताछ का मौका
- चार्जशीट दाखिल होने के बाद भी मामले के कुछ आरोपितों की गिरफ्तारी नहीं हो पाई है
- राव की चिकित्सा स्थिति में पिछले कुछ समय से कोई सुधार नहीं हुआ है।
राव की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद ग्रोवर ने तर्क दिया कि उनके मुवक्किल के खिलाफ कोई आरोप तय नहीं किया गया है और यहां तक कि उन्हें दस्तावेज भी नहीं दिए गए हैं.
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि राव आरोपमुक्त करने के लिए अर्जी दाखिल कर मुकदमे में देरी करने की कोशिश कर रहे हैं.
तेलुगु कवि वरवर राव, जो 2018 भीमा कोरेगांव हिंसा के आरोपी हैं ने जून में सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था और चिकित्सा आधार पर स्थायी जमानत की मांग की.
राव ने 13 अप्रैल को बंबई उच्च न्यायालय के उस फैसले को चुनौती दी, जिसमें उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी.
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