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Wednesday, May 8, 2024
Home एजुकेशन आयुष मंत्रालय बनाम इंडियन मेडिकल एसोसिएशन: नोटिफिकेशन पर जारी है प्रदर्शन

आयुष मंत्रालय बनाम इंडियन मेडिकल एसोसिएशन: नोटिफिकेशन पर जारी है प्रदर्शन

शाहिद सुमन | इंडिया टुमारो

नई दिल्ली | पिछले दिनों इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने आयुष मंत्रालय के नए गाइडलाइन के विरोध में सरकार के नीतियों के खिलाफ देश की राजधानी दिल्ली व अन्य महानगरों में प्रदर्शन किया है.

यह प्रदर्शन सरकार के आयुष मंत्रालय द्वारा जारी नोटिफिकेशन के विरोध में किया गया था. इस नोटिफिकेशन के ज़रिये आयुर्वेदिक डॉक्टरों को सर्जरी का अधिकार दिया गया है.

आयुष मंत्रालय द्वारा मिक्सोपैथी पर नोटिफिकेशन जारी करने के बाद शुरू हुआ प्रदर्शन दिल्ली सहित हैदराबाद, तिरुवनंतपुरम, चेन्नई, अहमदाबाद, पटना आदि शहरों में भी जारी रहा.

सरकार द्वारा जारी इस नोटिफिकेशन पर डॉक्टरों का एक समूह देशभर में विरोध कर रहा है तो यूनानी और आयुर्वेद के डॉक्टर ख़ुशी का इज़हार कर रहे हैं.

क्या कहते हैं डॉक्टर्स?

इस विवाद पर इंडिया टुमारो से बात करते हुए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) से जुड़े चिकित्सकों का कहना है कि, “आयुर्वेदिक चिकित्सकों को पढ़ाई के दौरान सर्जरी की शिक्षा एवं आवश्यक ट्रेनिंग नहीं दी जाती है. ऐसे में इन चिकित्सकों को सर्जरी का अधिकार देना मरीज़ के जीवन के साथ खिलवाड़ करने जैसा है.”

हालांकि, तिब्बी यूनानी के कई संगठनों ने सरकार से आयुर्वेद की तरह यूनानी मेडिसिन और सर्जरी को मान्यता देने की अपील की है.

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजन शर्मा मीडिया से बात करते हुए कहते हैं कि, “आयुष मंत्रालय के नोटिफिकेशन का विरोध करते हुए कहते हैं कि, “यह आम जनता के जीवन से खिलवाड़ है. साथ ही एलोपैथिक मेडिसिन के स्टूडेंट्स जो लंबा संघर्ष और मेहनत करते हैं उनके भविष्य साथ भी मज़ाक है.”

IMA अध्यक्ष राजन शर्मा सरकार के प्रयास पर प्रश्न उठाते हुए आगे कहते हैं कि, “देश में चिकित्सा क्षेत्र में विकास के लिए या चिकित्सकों की कमी को दूर करने के लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर भी विकसित नहीं हो पाया है. यहाँ तक की मॉडर्न मेडिसिन के ज़रूरी सुविधा उपलब्ध नहीं है.”

सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन (CCIM) के रेगुलेशन पर प्रश्न उठाते हुए डॉ० शर्मा कहते हैं कि, “मॉडर्न मेडिसिन के पाठ्यक्रम को गंभीर और जटिल सर्जरी जैसे यूरोलॉजी, प्लास्टिक सर्जरी, लेप्रोस्कोपिक आदि में शामिल किया गया है.”

इस सवाल पर कि क्या आप आयुर्वेदा के खिलाफ हैं, डॉ० शर्मा कहते हैं कि, “यह राष्ट्रीय धरोहर है. आयुर्वेद या दूसरे अन्य चिकित्सा पद्धति के विकास में सरकार को उसके रिसर्च में बढ़ावा देना चाहिए. आयुर्वेद को मिक्सअप नहीं करना चाहिए. इससे आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति को ही नुकसान है.”

इंडिया टुमारो से बात करते हुए AIIMS के ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ० विकास, आयुष मंत्रालय के इस फैसले का विरोध करते हुवे कहते हैं, “जब जटिल सर्जरी में आयुर्वेद में भी मॉडर्न मेडिसिन के पाठ्यक्रम को पढ़ाना है तो फिर आयुर्वेद को बन्द कर देना चाहिए या फिर आयुर्वेदा की जो स्पेशलाइजेशन है उसे ही बाकी रखा जाना चाहिए.”

वह आगे कहते हैं कि, इससे आम आदमी के बीच भ्रम पैदा होगा और मरीज़ एवं चिकित्सकों के बीच टकराव की स्थिति पैदा होगी.

IMA उत्तर प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष डॉ० अशोक राय इंडिया टुमारो से बात करते हुए कहते हैं, “हम किसी भी चिकित्सा पद्धति के खिलाफ नहीं हैं. होमियोपैथी, आयुर्वेद, यूनानी, नेचरोपैथी सभी के अपने कार्यक्षेत्र हैं. मिक्सोपैथी नहीं होना चाहिए, हम इसके खिलाफ हैं. विश्व के साथ साथ देश में भी मॉडर्न मेडिसिन की अपनी पहचान है और आज इस पहचान पर खतरा महसूस किया जा रहा है.”

डॉ० अशोक आगे कहते हैं, “सरकार की प्लानिंग है कि 2020 तक इंटीग्रेटेड मेडिसिन को बाज़ार में उतारा जाए. इस मेडिसिन का मतलब यह है कि होमियोपैथी, आयुर्वेद, यूनानी की दवाई को मिलाकर एक नई किस्म की दवा बनाने का प्लान है.”

वह कहते हैं कि इससे इंडियन सिस्टम ऑफ मेडिसिन पूरी तरह से खत्म हो जायेगा. हम चिकित्सा की भारतीय पद्द्तियों को भूल जायेंगे.

सरकारी नोटिफिकेशन वह कहते हैं कि आयुर्वेद चिकित्सा में जिस सर्जरी को पढ़ाया जाता हो या उसकी ट्रेनिंग दी जाती हो उस सर्जरी की ही अनुमति दी जानी चाहिए. जटिल सर्जरी की अनुमति नहीं देनी चाहिए क्योंकि यह मॉडर्न मेडिसिन के पाठ्यक्रम के बिना संभव नहीं है.

डॉ ज़की सिद्दीकी, रिसर्च ऑफिसर यूनानी मेडिसिन, दिल्ली इंडिया टुमारो से अपनी बात साझा कर आयुष मंत्रालय के ताज़ा सर्कुलर का स्वागत करते हुवे कहते हैं कि यह हमारे लिए अच्छी खबर है. चूंकि आयुष मंत्रालय के अंदर ही सभी प्रकार के पैथी हैं इसलिए यूनानी चिकित्सा के विकास का एक रास्ता साफ दिखाई दे रहा है.

इस सवाल पर कि क्या मॉडर्न मेडिसिन के अलावा यूनानी, आयुर्वेद या दूसरे अन्य पैथी के चिकित्सक सर्जरी कर सकते हैं, वह कहते हैं कि यह भ्रम की स्थिति पैदा की गई है कि दूसरे पैथी के चिकित्सक सर्जरी नहीं कर सकते हैं.

डॉ ज़की बताते हैं कि, “मॉडर्न मेडिसिन की ही तरह यूनानी में BUMS के बैचलर डिग्री के बाद पोस्ट ग्रेजुएट में 3 साल का मास्टर ऑफ सर्जरी का पाठ्यक्रम है. जिसके बाद यूनानी चिकित्सक सर्जरी करने के लायक होते हैं. CCIM के गजट के मुताबिक BUMS या BAMS के लिए सर्जरी की अनुमति नहीं है. बल्कि  वह पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद ही सर्जरी कर सकते हैं.”

क्यों हो रहा है विरोध?

इस सवाल पर कि फिर ये विरोध क्यों हो रहा है, डॉ० सिद्दीकी कहते हैं कि, “यहां विवाद तकनीक का है. मॉडर्न मेडिसिन वाले ये कहते हैं कि एक्स-रे, पैथोलॉजी, अल्ट्रासाउंड या इस तरह के दूसरे टेक्नोलॉजी सिस्टम को विकसित करने में मॉडर्न मेडिसिन का योगदान है, जबकि ऐसा कुछ भी नहीं है.”

वह कहते हैं, “मॉडर्न मेडिसिन और सर्जरी की तुलना में यूनानी या आयुर्वेदा सर्जरी में मेडिसिन के स्तर पर अंतर हैं, बाकी टेक्नोलॉजी तो दोनों में समान है. किसी तकनीक पर कोई पैथी, मोनोपोली का दावा नहीं कर सकती.”

इस सवाल पर कि मॉडर्न मेडिसिन के चिकित्सक ये आरोप लगाते हैं कि यूनानी या आयुर्वेदा में इमरजेंसी मेडिसिन नहीं है पर जवाब देते हुए डॉ० ज़की कहते हैं कि, “ये बात सही है लेकिन यह बात भी सही है कि इमरजेंसी के मॉडर्न मेडिसिन यूनानी या आयुर्वेदा के पाठ्यक्रम में शामिल है और इसे हमारे यहाँ पढ़ाया भी जाता है.”

मिक्सोपैथी के सवाल पर डॉ ज़की साहब कहते हैं कि, हर चिकित्सा पद्धति में कुछ चीजें बहुत अच्छी हैं, जैसे कफ़, खांसी, पेट, ज़िगर से जुड़ी बीमारियों का इलाज जितना अच्छा यूनानी में है उतना अच्छा एलोपैथ में नहीं है.

वह कहते हैं कि आयुष मंत्रालय का मक़सद यह है कि हम सभी पैथी को एक ही छत के नीचे एक प्लेटफार्म पर लायें ताकि मरीज़ के इलाज में भी आसानी होगी और कहीं भटकना नहीं पड़े.

ऑल इंडिया तिब्बी यूनानी कांग्रेस ने भी भारत सरकार के इस पहल का स्वागत करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अनुरोध किया है कि आयुर्वेद की तरह यूनानी मेडिसिन एन्ड सर्जरी को भी विकसित किया जाए क्योंकि ये भी आयुष मंत्रालय के अंतर्गत आता है. दोनों के सर्जरी के चिकित्सीय पाठ्यक्रम भी लगभग समान है.

ऑल इंडिया तिब्बी यूनानी कांग्रेस के लीडर प्रोफ़ेसर मुश्ताक़ अहमद प्रधानमंत्री से अपील करते हुए कहते हैं कि तिब्बे यूनानी से जुड़े सर्जरी के विशेषज्ञ को सर्जरी की अनुमति दी जाए जिस प्रकार आयुर्वेदा को दिया गया है.

यूनानी तिब्बी कॉन्फ्रेंस ने सरकार के द्वारा उठाए गए इस क़दम का स्वागत किया है. आयुष मंत्रालय को भेजे अपने पत्र में इब्न ए ज़हर (1093-1162 AD) का हवाला देते हुए कहा गया है कि इब्न ए ज़हर उस ज़माने के सर्जरी के बड़े चिकित्सक माने जाते थे. उन्होने पहली बार सर्जरी से पहले प्रैक्टिकल ट्रेनिंग का परिचय कराया था. इसलिए हम कह सकते हैं कि यूनानी चिकित्सा में सर्जरी कोई नई चीज़ नहीं है.

प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में उम्मीद जताते हुए यह मांग की गई है कि, आयुर्वेदा की ही तरह यूनानी मेडिसिन एंड सर्जरी को भी विकसित करने की योजना बनायी जाए.

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