शाहिद सुमन | इंडिया टुमारो
नई दिल्ली | नए कृषि क़ानूनों के विरोध में किसानों द्वारा प्रदर्शन करते हुए दो हफ्ते हो चुके हैं. सरकार और किसानों के दर्मियान बात चीत का सिलसिला जारी है. इस बीच विभिन्न धरना स्थलों पर प्रदर्शन कर रहे किसानों की मौत का सिलसिला भी जारी है और अब तक 8 किसानों की मौत हो चुकी है.
कृषि आन्दोलन में हो रही किसानों की मौत को लेकर किसान नेताओं ने सरकार से मृतक किसानों के परिवारों को मुआवज़ा देने की मांग की है.
इंडियन एक्सप्रेस के ख़बर के मुताबिक, किसानों के 13 दिन के प्रदर्शन में अब तक 7 आंदोलनकारियों की मौत हुई है, वहीं कुछ अन्य अखबारों और न्यूज़ चैनल के मुताबिक 8 या उससे अधिक प्रदर्शनकारी किसानों की जान जा चुकी है.
मृतक किसानों में 5 किसान आंदोलनकारियों की मौत टिकरी बॉर्डर पर हुई है और एक किसान की मौत सिंघु बॉर्डर पर हुई है. इसके आलावा एक किसान की मौत दिल्ली-पटियाला हाईवे पर हुई है.
इंडिया टुमारो से बात करते हुए दिल्ली के सिंघू बॉर्डर और टिकरी बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसान नेताओं ने कहा कि आन्दोलन में मरने वाले किसानों को उचित मुआवज़ा देने की हम सरकार से मांग कर रहे हैं.
किसान नेताओं ने कहा, “इस आन्दोलन में मरने वाले किसान प्रदर्शनकारियों को सरकार को मुआवज़ा और परिवार के किसी एक सदस्य को सरकारी नौकरी देना चाहिए.”
इंडिया टुमारो से बात करते हुए टिकरी बॉर्डर पर हरियाणा के किसान नेता और किसान न्याय यात्रा के प्रमुख, शमशेर सिंह ने कहा, “किसानों का इस तरह मरना बहुत ही दुखद है. हम सत्ता और विपक्ष दोनों दलों के नेताओं से कहना चाहते हैं कि इन मरने वाले किसानों को शहीद का दर्जा दिया जाए साथ ही उनके परिजनों को उचित मुआवज़ा देने की घोषणा सरकार को करना चाहिए.”
किसान नेता शमशेर सिंह ने कहा कि, “अब सरकार को चाहिए कि किसानों की सभी मांगो को मान कर इस तरह मरने से बचाया जाए. भीषण सर्दी में भी किसान 13 दिनों से सड़कों पर जमे हुए हैं. इस बीच कई किसानों की अलग-अलग कारणों से जान भी चली गई है.”
कुछ दिनों पहले तीन कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए दिल्ली आंदोलन में भाग लेकर लौटे हरियाणा के जिला जींद के हैबुआना गांव के किसान किताब सिंह की मौत हो गई थी. किसान किताब सिंह को दिल का दौरा पड़ने से उनकी मौके पर ही मौत हो गई थी. मृतक किसान किताब सिंह 60 साल के थे और गढ़ी मार्ग पर धरने की अगुआई कर रहे थे.
वहीं रिपोर्ट के मुताबिक सिर्फ दिल्ली से सटे सीमा पर हो रह प्रदर्शन के दौरान तकरीबन 8 किसानों की मौत हुई है. इन किसानों में संजय सिंह, किताब सिंह, गुरजंत सिंह, गुरुभाष सिंह, गज्जर सिंह, बलजिंदर सिंह, धन्ना सिंह और लखवीर सिंह शामिल हैं.
दिल्ली-हरियाणा के सिंघु बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन में टीडीआई सिटी के सामने किसान की मौत हुई है, उसकी पहचान अजय मोर (32) गांव बरोदा, सोनीपत के रूप में हुई है.
मृतक के परिजनों ने बताया कि मौत ठंड लगने से हुई है. परिजनों के अनुसार, अजय रात को खाना खाकर सोया था लेकिन सुबह नहीं उठा.
इसी प्रकार दिल्ली में कृषि कानूनों के विरोध में हिस्सा लेने जा रहे पंजाब के किसान सुरिंदर सिंह की सोनीपत में सड़क हादसे के दौरान मौत हो गई थी. सुरिंदर सिंह अपनी ट्रैक्टर-ट्राली पर करीब 12 किसानों को लेकर दिल्ली जा रहे थे.
किसानों के लिए गुरमैल कौर रोटी बनाती थीं. अचानक हर्ट एटेक आने से उनकी भी मौत हो गई.
एक और मामले में कुछ दिन पहले कृषि कानूनों के विरोध प्रदर्शन में शामिल होकर दिल्ली लौटे गांव हैबुआना के किसान कवलजीत सिंह की मौत हो गई थी. मौत का कारण हार्ट अटैक बताया गया था. बस से उतरकर धरना स्थल की ओर बढ़ते समय किसान को अचानक दौरा पड़ा और वह नीचे गिर गए, बाद में उनकी मौत हो गई.
एक 42 वर्षीय किसान धन्ना सिंह की भी सड़क हादसे में जान चली गई. धन्ना किसान आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले पहले किसान थे.
वहीं टिकरी बॉर्डर पर 3 दिसंबर को लंगर सेवा में लगे किसान लखवीर सिंह की हार्ट अटैक से मौत हो गई. वह पंजाब के मनसा जिले के रहने वाले थे.
किसान आंदोलन के नेता और पहले दिन से ही प्रदर्शन में मौजूद मानक सिंह ने कहा है कि किसानों की इस तरह मौत से सरकार की जवाबदही बनती है.
उन्होंने कहा, “अगर यह प्रदर्शन न होता तो हम आज अपने किसान साथियों को नहीं खोते. उन्होंने कहा कि क्या इन किसानों को शांति से रहना पसंद नहीं है? अगर उनकी मांग गलत होती तो वे हफ्तों से सड़क पर क्यों होते? सरकार को किसानों की मांग पर विचार करने की ज़रूरत है.”
पिछले हफ्ते भी प्रदर्शन के दौरान कुछ किसानों की मौत हुई थी. आंदोलन में शामिल 60 साल के किसान गज्जर सिंह की बहादुरगढ़ बॉर्डर पर दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई. ये लुधियाना के खटरा भगवानपुरा गांव के रहने वाले थे.
इसी प्रकार पंजाब के किसानों के ट्रैक्टर ठीक करने के लिए प्रदर्शन में उनके साथ आए मैकेनिक, जनक राज की कार में आग लग जाने से उनकी मौत हो गई. रिपोर्ट के अनुसार वे कार में हीटर चलाकर सो रहे थे और इसी दौरान गाड़ी में आग लग गई.
नए कृषि क़ानूनों की वापसी की मांग को लेकर किसान धरने पर डटे हुए हैं और सरकार अपनी हठधर्मिता की नीति पर जमी हुई है. प्रदर्शन कर रहे किसान विभिन्न कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं और इसमें उनकी मौत भी हो रही है मगर सरकार किसानों की मांगों और उनकी मौत के आंकड़ों को कब और कितनी गंभीरता से लेगी ये आने वाला समय ही बताएगा.