ख़ान इक़बाल | इंडिया टुमारो
जयपुर | राजस्थान की राजधानी जयपुर के सेन्ट्रल जेल में पिछले 26 वर्षों से आतंकवाद के आरोप में सज़ा काट रहे 93 वर्षीय डॉ. हबीब ख़ान को रिहा करने की मांग गुरुवार को एक नागरिक अधिकार संगठन द्वारा की गई.
डॉ. हबीब खान पिछले 26 वर्षों से जयपुर के केन्द्रीय कारागाह में बंद हैं. उन्हें जनवरी 1994 में मुंबई बम ब्लास्ट मामले में गिरफ्तार किया गया था और 28 फरवरी 2004 को अजमेर की टाडा अदालत ने उन्हें आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई थी.
डॉ० हबीब खान उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले के कहारों का अडडा इलाके के रहने वाले हैं. वह आतंकवाद के आरोप में राजस्थान की जयपुर जेल में पिछले 26 सालों से बंद हैं.
गुरुवार को जयपुर के विनोबा ज्ञान मंदिर में आयोजित एक प्रेस वार्ता में नागरिक अधिकार संघटन पीयूसीएल ने डॉ० हबीब ख़ान की तत्काल रिहाई की मांग की है.
ज्ञात हो कि डॉ. हबीब राज्य के सबसे बुजूर्ग कैदियों में से एक हैं और वे अपनी देखभाल भी नहीं कर पाते. वह ह्रदय के रोगी हैं, उनकी आँखों की रोशनी जा चुकी है और वह सुन पाने में भी असमर्थ हैं.
पीयूसीएल द्वारा मीडिया को जारी बयान में कहा गया है कि, “डॉ. हबीब बिना किसी के सहयोग से चल भी नहीं पाते हैं, वे बहुत बीमार हैं और काफी कमज़ोर हो चुके हैं. उनका शरीर पर नियन्त्रण नहीं है और वो अपने निजी कार्यों के लिए दूसरों पर निर्भर हैं.”
अपने बयान में पीयूसीएल राजस्थान ने डॉ० हबीब की कमज़ोरी, बीमारी और आयु को देखते हुए उनकी तत्काल रिहाई की मांग की है.
नियमों का हवाला देते हुए कहा गया है कि, “जेल नियमों के अध्याय 3 के तहत राज्य सरकार उनकी बीमार अवस्था और शारीरिक कमज़ोरी को देखते हुए राज्य सरकार राज्यपाल को सलाह दे सकती है कि वे संविधान के अनुच्छेद 161 के तहत उन्हें माफ़ करते हुए रिहा कर दे. राज्य सरकार को मानवता को ध्यान में रखते हुये उन्हें रिहा कर देना चाहिये.”
डॉ० हबीब को रिहा करने की मांग करते हुए उन्हें पूर्व में मिली पेरोल का हवाला देते हुए कहा गया है कि, “डॉ. हबीब को दो बार पैरोल प्राप्त हुई है एक बार 2018 में 20 दिन के लिए और 15 जनवरी 2020 को 15 दिन के लिए. इस दौरान उन्होंने कोई ग़ैरक़ानूनी गतिविधियों में शामिल नहीं रहे और कोई अपराध नहीं किया.”
साथ ही यह भी कहा गया है कि जब उन्हें 1995 से 1999 के बीच अंतरिम बेल मिली थी तब भी उनके विरुद्ध कोई अनियमितता की रिपोर्ट नहीं मिली थी.
पीयूसीएल ने मांग की है कि राज्यभर की सभी जेलों में जंहा 75 वर्ष के उम्रदराज लम्बी सजा व आजीवन कारावास की सज़ा काट रहे केदियो की स्वास्थ्य की समीक्षा करते हुए उन्हें स्थाई पेरोल या माफी देकर रिहा कर देना चाहिये.