इंडिया टुमारो
नई दिल्ली | वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया (डब्ल्यूपीआई) ने दो दिन पहले राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में मुसलमानों को निशाना बनाने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कथित ‘आपत्तिजनक और अपमानजनक’ भाषणों के लिए उनके भाषणों और चुनाव प्रचार पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है.
डब्ल्यूपीआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. एसक्यूआर इलियास ने भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त को लिखे पत्र में प्रधानमंत्री के भाषण को लेकर चुनाव आयोग का ध्यान आकर्षित किया जिसमें डॉ. इलियास ने कथित तौर पर ‘घुसपैठिए’ और ‘अधिक बच्चे पैदा करने वाला समुदाय’ जैसे शब्दों और भाषा का इस्तेमाल किया था, जिसका निशाना देश में लगभग 20 करोड़ मुसलमानों थे.
डब्ल्यूपीआई द्वारा अपनी शिकायत में कहा गया है, “यह बयान देश के एक बड़े समुदाय का अपमान है. प्रधानमंत्री का यह बयान घृणित और इस्लामोफोबिक भी है.”
डॉ इलियास ने कहा, “भारत के प्रधानमंत्री द्वारा किया गया यह शर्मनाक कृत्य है. यह हमारे राष्ट्र की एकता और अखंडता के लिए भी खतरा है.”
शिकायत में आगे कहा गया है कि, “यह प्रधानमंत्री द्वारा आदर्श आचार संहिता और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के प्रावधानों का भी गंभीर उल्लंघन है.”
डब्ल्यूपीआई प्रमुख ने चुनाव निकाय से अपील की है कि वह “प्रधानमंत्री के भाषण को गंभीरता से लें और उनके चुनावी भाषणों और प्रचार पर तुरंत प्रतिबंध लगाएं.”
डब्ल्यूपीआई की कर्नाटक इकाई ने भी सीईसी को एक अलग पत्र भेजकर पीएम मोदी के भाषणों और राजनीतिक रैलियों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है.
डब्ल्यूपीआई कर्नाटक के पत्र में कहा गया है, “रैली के दौरान (राजस्थान में) प्रधानमंत्री मोदी ने एक खास समुदाय के लिए भड़काऊ और नफरत भरी टिप्पणी की जो हमारे देश के नागरिकों के बीच हिंसा भड़का सकता है और विभाजन पैदा कर सकता है.”
कर्नाटक डब्ल्यूपीआई सचिव मुबीन अहमद द्वारा हस्ताक्षरित इस ज्ञापन में आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करने और नफरत फैलाने वाले भाषण को बढ़ावा देने के लिए पीएम मोदी और भाजपा के खिलाफ उचित कार्रवाई की मांग की गई है.
WPI कर्नाटक इकाई ने भी स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए इस चुनाव में पीएम मोदी का नामांकन रद्द करने की मांग की है.