इंडिया टुमारो
नई दिल्ली | जम्मू कश्मीर में ईरानी नेता अयातुल्लाह ख़ुमैनी को एक पाठयपुस्तक में दुनिया के सबसे बुरे लोगों में से एक बताए जाने पर काफी विवाद हो रहा है.
नई दिल्ली, उत्तर प्रदेश और कुछ अन्य जगहों के निजी स्कूलों में पढ़ाई जाने वाली कक्षा छः की एक पाठ्यपुस्तक में दुनिया के सबसे बुरे लोगों पर आधारित एक चैप्टर में ईरान के दिवंगत धार्मिक नेता अयातुल्ला ख़ुमैनी के विरुद्ध आपत्तिजनक टिप्पणी की गई है.
NCERT कक्षा 6 के जनरल नॉलेज की किताब में ईरान के दिवंगत धार्मिक नेता अयातुल्ला ख़ुमैनी को ‘दुनिया के सबसे बुरे लोगों’ में शामिल करने को लेकर आक्रोश देखने को मिल रहा है. एनसीईआरटी ने भी इस विवाद पर अपनी सफाई दी है.
इस चैप्टर में दुनिया के सबसे खराब लोगों की एक सूची दी गई है जिसमें ईरान के धार्मिक और राजनीतिक नेता रहे अयातुल्लाह ख़ुमैनी को सबसे बुरे लोगों में शुमार किया गया है.
पाठयपुस्तक का प्रकाशन उत्तर प्रदेश के एक्यूबर बुक्स इंटरनेशनल द्वारा किया गया है और विवाद बढ़ने पर एक्यूबर बुक्स इंटरनेशनल ने माफी मांगी है और अपनी गलती सुधारने को कहा है.
पाठयपुस्तक के विवादित चैप्टर में कोरिया के किम इल-सुंग और जापान के पूर्व सम्राट हिरोहितो, जिन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध में देश का नेतृत्व किया, के साथ ‘दुनिया के सबसे बुरे लोगों’ की सूची में ईरान के नेता अयातुल्लाह खुमैनी को भी शामिल किया गया है.
पाठयपुस्तक में ईरान के नेता अयातुल्लाह ख़ुमैनी पर काफी आपत्तिजनक जानकारी देते हुए चैप्टर में बताया गया है कि दुनिया भर में शिया मुसलमानों एक धार्मिक नेता और इस्लामी विद्वान के रूप में अयातुल्लाह खुमैनी पूजे जाते हैं और उन्होनें 1979 से 1989 तक ईरान के धार्मिक नेता के रूप में ‘कई बुरे काम’ किए थे.
किताब के अनुसार, “अयातुल्लाह ख़ुमैनी उन लोगों को मारते थे जो ‘अल्लाह’ में विश्वास नहीं करते थे. उनके राज में संगीत सुनने पर भी लोगों पर क्रूरता की जाती थी. वह ईरानी क्रांति और ईरान-इराक युद्ध के अपराधी थे, जिसके चलते लाखों लोगों की मौत हुई.”
विभिन्न संगठनों ने जताई आपत्ति:
अयातुल्लाह ख़ुमैनी पर किताब में विवादित विवरण दिए जाने पर पूरे देश में आपत्ति जताई जा रही है. जम्मू-कश्मीर के एक संगठन अंजुमन-ए शैरी शियान ने भी एक बयान जारी कर कहा है कि पाठ्यपुस्तक में ‘इस्लामी क्रांति के नेता, इमाम ख़ुमैनी के बारे में स्पष्ट रूप से झूठ बोला गया है और गलत सूचना फैलाई जा रही है.
अंजुमन-ए शैरी शियान ने बयान में कहा है कि, “ख़ुमैनी दूनिया में पिछली सदी के सबसे सम्मानित, नैतिक, धार्मिक और राजनीतिक रूप से प्रभावशाली मुस्लिम नेता थे. उनका नेतृत्व अत्याचार और अन्याय के खिलाफ लड़ने को प्रेरित करता है.”
संगठन ने आगे कानूनी कार्रवाई की बात करते हुए कहा है कि प्रकाशक की ओर से बिना तथ्यों के दुर्भावनापूर्ण तरीके से ख़ुमैनी को लेकर गलत बातें कही गई हैं, जो इतिहास और इस्लाम के प्रति पूर्वाग्रह को दर्शाता है, ये निंदनीय है.
जम्मू-कश्मीर में ही शिया मुसलमानों की एक संस्था- ऑल जेएंडके शिया एसोसिएशन ने भी भारत सरकार से प्रकाशक के खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह किया है.
एसोसिएशन के प्रवक्ता मोलवी सैयद अदील ने कहा, “इमाम ख़ुमैनी एक ऐसा व्यक्तित्व हैं जिनकी मुस्लिम और गैर-मुस्लिम समान रूप से प्रशंसा करते हैं. ऐसे में सरकार को हमारी भावनाओं को आहत करने के लिए प्रकाशक के खिलाफ गंभीर और त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए.”
प्रकाशक को क़ानूनी नोटिस:
लखनऊ के एक वकील मोहम्मद हैदर रिज़वी ने भी किताब पर आपत्ति जताते हुए कहा है कि पाठ्यपुस्तक में ख़ुमैनी को लेकर जो बातें लिखी गई हैं, वो ‘देश के सांप्रदायिक ताने-बाने को बिगाड़ने’ और इस्लाम को एक ऐसे धर्म के रूप में दिखाने का कोशिश है, जो हिंसा को स्वीकार करता है.
रिज़वी ने पाठ्यपुस्तक प्रकाशक को कानूनी नोटिस भेजा है. नोटिस में उन्होंने कहा है कि इस किताब को कम उम्र छात्रों के लिए उनके स्कूली पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने के लिए प्रस्तावित किया गया है, किताब जिससे एक लोकप्रिय करिश्माई नेता ख़ुमैनी के खिलाफ निंदनीय और ज़हरीली साम्रगी से सस्ती लोकप्रियता हासिल की जा सके.
लद्दाख के सामाजिक कार्यकर्ता सज्जाद करगिली ने इसे ‘घृणित और इस्लामोफोबिक’ है.
अपने बयान में कारगिली ने कहा है कि, “इमाम ख़ुमैनी एक प्रसिद्ध विद्वान, लाखों शिया मुसलमानों के नेता और विश्व स्तर पर सम्मानित व्यक्तित्व थे. ऐसे प्रकाशकों के प्रति सरकार को तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए और इन किताबों को बाज़ार से हटा देना चाहिए.”
प्रकाशक ने मांगी माफ़ी:
हालांकि देश भर में किताब पर विवाद होने के बाद इसके प्रकाशक ने माफी मांगी है. प्रकाशकों ने ‘अनजाने में हुई गलती’ बताते हुए माफी मांगी और इस किताब को मार्केट से हटाने का वादा किया है.
उत्तरप्रदेश के मेरठ स्थित प्रकाशन हाउस एक्यूबर बुक्स इंटरनेशनल के एक प्रभाग क्यू-कनेक्ट बुक्स द्वारा इस किताब को प्रकाशित किया गया है.
एक बयान में प्रकाशकों ने कहा है कि ईरानी नेता को ‘इतिहास के सबसे बुरे लोगों’ के साथ रखना न केवल गलत है, बल्कि कई व्यक्तियों और समुदायों के लिए बेहद अपमानजनक भी है.
प्रकाशक ने आगे कहा, “हम अपनी गलती की गंभीरता को स्वीकार करते हैं और मानते हैं कि इस तरह का गलत चित्रण न केवल सच्चाई और न्याय को कमज़ोर करता है बल्कि रूढ़िवादिता को भी कायम रखता है.”
प्रकाशको के अनुसार इस पुस्तक का उद्देश्य ‘गलत सूचना फैलाना या गलत नैरेटिव के प्रचार-प्रसार में योगदान देना’ नहीं था.
प्रकाशन हाउस ने आगे कहा, “हम स्थिति को सुधारने के लिए तत्काल कदम उठा रहे हैं. हम सटीकता, निष्पक्षता और संवेदनशीलता सुनिश्चित करने के लिए अपनी सामग्री की समीक्षा और संशोधन करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. हम अपने आगामी प्रकाशनों और ऑनलाइन प्लेटफार्मों में इसे लेकर औपचारिक सुधार और माफी भी जारी करेंगे.”
ज्ञात हो कि इस से पहले भी कई राज्यों में अलग अलग समय में पाठ्यपुस्तकों में इस्लाम और मुसलमानों को लेकर गलत, भड़काऊ और अपमानजनक सामग्री प्रकाशित करने के मामले सामने आचुके हैं.
इस प्रकार के लगातार बढ़ते मामलों को भी इस्लामोफोबिया से ग्रसित मानसिकता का एक हिस्सा कहा जा सकता है. ऐसी घृणित मानसिकता के लोग संगठित रूप से और गलत मंशा के साथ इस प्रकार के कृत्य में संलग्न हैं.