इंडिया टुमारो
नई दिल्ली | धार्मिक त्योहारों के दौरान सांप्रदायिक हिंसा को रोकने के लिए भारत सरकार से प्रभावी क़दम उठाने की मांग करते हुए जमात-ए-इस्लामी हिंद (JIH) ने रामनवमी के जुलूस के दौरान देश भर में हुई हिंसा की घटना की निंदा की है.
जमात-ए-इस्लामी हिंद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष इंजीनियर मोहम्मद सलीम ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि, “धार्मिक जुलूस की आड़ में की गई कोई भी हिंसा किसी भी धर्म के लिए चिंता का विषय है. अगर इसका इस्तेमाल आपसी सौहार्द को ख़त्म करने, हिंसा फैलाने या शांति भंग करने के लिए किया जाता है तो यह घोर निंदनीय है और इसे रोका जाना चाहिए.”
यह बातें प्रो. सलीम इंजीनियर ने गुरुवार को जमात-ए-इस्लामी हिंद के राष्ट्रीय मुख्यालय में पत्रकारों के लिए आयोजित इफ्तार पार्टी से पूर्व पत्रकार वार्ता में बोलते हुए कही. पत्रकार वार्ता में जमाते इस्लामी हिन्द के राष्ट्रीय मीडिया सचिव सैयद तनवीर अहमद और सह-सचिव सैयद खलीक अहमद भी मौजूद थे.
प्रो सलीम ने रामनवमी पर देश के विभिन्न शहरों में हिंसा के समान पैटर्न पर गंभीर चिंता व्यक्त की.
उन्होंने कहा, “इस प्रकार की घटनाए धार्मिक नेताओं के लिए भी विचार करने वाली बात है. उन्हें इस प्रवृत्ति के खिलाफ खुलकर सामने आना चाहिए और अपने अनुयायियों से धार्मिक गतिविधियों को असामाजिक तत्वों द्वारा अपहरण किए जाने से रोकने का आग्रह करना चाहिए.”
उन्होंने कहा, “हमें लगता है कि रामनवमी जुलूस के दौरान हुई हिंसा स्वतःस्फूर्त नहीं थी बल्कि पूर्व नियोजित थी. इसलिए, यह क़ानून व्यवस्था की घोर विफलता है, जो कि चिंता का विषय भी है.”
जमात ए इस्लामी हिन्द के उपाध्यक्ष ने प्रशासन और पुलिस से डीजे बजाने की अनुमति नहीं देने का आग्रह किया, जो कि ध्वनि प्रदूषण का कारण भी बनता है. उन्होंने यह भी मांग की, कि जो गाने बजाए जा रहे हैं उनकी भी पूर्व में जांच की जानी चाहिए कि उसके शब्द उत्तेजक या अपमानजनक तो नहीं हैं, उसके बाद ही इसे बजाने की अनुमति दी जानी चाहिए.
उन्होंने कहा कि, पुलिस को ऐसे जुलूसों को सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील इलाकों से गुज़रने की अनुमति नहीं देनी चाहिए.
उन्होंने कहा, “यह समझना कठिन है कि धार्मिक जुलूसों में वे रास्ते क्यों चुने जाते हैं जो अन्य धार्मिक स्थानों के सामने से गुज़रना पड़ता है. अगर यह भड़काने और डराने की मंशा से किया जाता है, तो पुलिस और प्रशासन द्वारा इसकी अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.”
जमात-ए-इस्लामी हिन्द के उपाध्यक्ष ने 2008 के जयपुर बम विस्फोट मामले में राजस्थान उच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत किया जिसमें न्यायमूर्ति पंकज भंडारी और न्यायमूर्ति समीर जैन ने निचली अदालत के उस फैसले को पलट दिया जिसमें मामले के चार आरोपियों को पहले मौत की सजा सुनाई गई थी.
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का भी स्वागत किया, जिसने मलयालम समाचार चैनल मीडिया वन को प्रसारण लाइसेंस का नवीनीकरण करने से इनकार करने के केंद्र के आदेश को रद्द कर दिया. उन्होंने कहा, केरल स्थित टीवी चैनल लगातार दबे-कुचले लोगों के पक्ष में मुद्दों को उठाने के लिए लोकप्रिय है.
प्रो सलीम ने उम्मीद जताई कि सरकार प्रेस की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने से परहेज करेगी और अपनी नीतियों और फैसलों की रचनात्मक आलोचना का स्वागत करेगी. उन्होंने कहा, “इससे लोकतंत्र मजबूत होगा और प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में हमारी रैंकिंग में सुधार होगा.”
जमात ए इस्लामी के उपाध्यक्ष ने अडानी-हिंडनबर्ग रिपोर्ट पर चर्चा करने के लिए सरकार की अनिच्छा पर भी चिंता व्यक्त की है, जिसके परिणामस्वरूप निवेशकों का लाखों करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.
उन्होंने कहा, अडानी प्रकरण ने हमारे नियामक निकायों और हमारे लेखा परीक्षकों की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया है. यह बताया गया है कि एलआईसी ऑफ इंडिया का भी अडानी समूह की कंपनियों के साथ आर्थिक संबंध था, जहां देश के लोगों का पैसा लगा है. विपक्ष संसद में इस मुद्दे पर चर्चा चाहता है, सरकार को अडानी मामले की जांच के लिए जेपीसी गठित करने की विपक्ष की मांग को स्वीकार करना चाहिए.