अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टुमारो
लखनऊ | इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने शुक्रवार को एक याचिका की सुनवाई करते हुए यूपी मदरसा बोर्ड एक्ट 2004 को असंवैधानिक करार दिया है.
यूपी मदरसा बोर्ड एजूकेशन एक्ट को हाईकोर्ट द्वारा असंवैधानिक करार देने पर शिक्षा जगत से जुड़े लोगों ने हैरत जताई है.
इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ बेंच ने यूपी बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन एक्ट 2004 को धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत के ख़िलाफ बताया है.
हाईकोर्ट ने यह फैसला अंशुमान सिंह राठौर की याचिका पर दिया. इलाहाबाद हाईकोर्ट में अंशुमान सिंह राठौर ने एक याचिका दाखिल कर यूपी मदरसा बोर्ड एजूकेशन एक्ट को चुनौती दी थी.
याचिका की सुनवाई आज, शुक्रवार 22 मार्च 2024 को लखनऊ पीठ में हुई. जस्टिस विवेक चौधरी और जस्टिस सुभाष विद्यार्थी की पीठ ने इस मामले की सुनवाई की.
पीठ ने इसकी सुनवाई करते हुए यूपी मदरसा बोर्ड एजूकेशन एक्ट को असंवैधानिक करार दिया. पीठ ने कहा कि, “यह एक्ट धर्म
निरपेक्षता के सिद्धांत के खिलाफ है.”
पीठ ने मदरसे में पढ़ने वाले छात्रों को बुनियादी शिक्षा व्यवस्था में समायोजित करने की बात भी कही. हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद मदरसा शिक्षा बोर्ड की रजिस्ट्रार प्रियंका अवस्थी का कहना है कि, “विस्तृत आदेश का इंतज़ार है. आदेश आने के बाद ही स्थिति पूरी तरह से स्पष्ट होगी. इसके बाद आगे का फैसला लिया जायेगा.”
यूपी मदरसा शिक्षा बोर्ड के चेयरमैन डा.इफ्तिखार अहमद जावेद ने इस फैसले पर कहा है कि, “अभी विस्तृत आदेश देखेंगे. आदेश के अध्ययन के लिए वकीलों की टीम का गठन करेंगे. 2 लाख बच्चों के भविष्य का सवाल है. इससे रोज़गार भी जाएगा. हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया जाएगा.”
इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा यूपी मदरसा बोर्ड एजूकेशन एक्ट को असंवैधानिक करार दिए जाने के बाद मौलाना सैफ अब्बास ने कहा है कि, “हाईकोर्ट के फैसले से हम आश्चर्यचकित हैं. मदरसा एक्ट मौलवी ने नहीं, सरकार का बनाया हुआ है. अब मदरसा छात्रों और टीचरों का क्या होगा. ज़रूरत पड़ी तो हम आगे की अदालतों में जाएंगे.”
इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर राज्य अल्पसंख्यक कल्याण, केंद्र का अल्पसंख्यक कल्याण सहित अन्य अल्पसंख्यक संगठनों ने आपत्ति जताई है.