इंडिया टुमारो
नई दिल्ली | अरविंद सुब्रमण्यन, पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार ने शुक्रवार को एक कार्यक्रम में अपनी बात रखते हुए कहा है कि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के ताज़ा आंकड़ों को समझ पाना मुश्किल है क्योंकि यह ‘बिल्कुल रहस्यमय’ है.
इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में बोलते हुए उन्होंने जीडीपी के आंकड़ों पर सवाल उठाया और कहा कि आंकड़े रहस्यमय हैं और आपस में मेल नहीं खाते.
ज्ञात हो कि अरविंद सुब्रमण्यन ने अक्टूबर 2014 से जून 2018 तक देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार के रूप में काम किया था.
पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन ने इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में बोलते हुए कहा कि, “मैं नवीनतम जीडीपी आंकड़ों को समझ नहीं सकता, वह रहस्यमय हैं और आपस में मेल नहीं खाते हैं.”
रिपोर्ट के अनुसार अरविंद सुब्रमण्यन ने इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में बोलते हुए कहा, “मैं आपको ईमानदारी से बताना चाहता हूं कि ताजा जीडीपी आंकड़ों को मैं समझ नहीं पा रहा हूं. मैं पूरे सम्मान के साथ कहना चाहता हूं कि ये बिल्कुल रहस्यमयी हैं.”
सुब्रमण्यन ने अपनी बात के क्रम में कहा कि, “ताज़ा आंकड़े मेल नहीं खाते हैं. इन आंकड़ों में ‘निहित मुद्रास्फीति’ एक से 1.5 प्रतिशत है जबकि अर्थव्यवस्था में वास्तविक मुद्रास्फीति तीन से पांच प्रतिशत के बीच है.”
बात चीत के दौरान उन्होंने कहा कि जहां अर्थव्यवस्था 7.5% की दर से बढ़ रही है, वहीं निजी खपत 3% की दर से पिछड़ रही है.
रिपोर्ट के अनुसार सुब्रमण्यम ने कहा कि, नवीनतम आंकड़ों में त्रुटियां और चूक है जिसे स्पष्ट नहीं किया गया है. उन्होंने कहा, वास्तव में वित्त वर्ष 2023-24 के लिए अनुमानित 7.6 प्रतिशत वृद्धि दर में से लगभग 4.3 प्रतिशत अंक जितनी हैं.
उन्होंने यह भी बताया कि पिछली दो या तीन तिमाहियों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में बहुत तेजी से गिरावट आई है.
अरविंद सुब्रमण्यन, पूर्व आर्थिक सलाहकार ने कहा, “ऐसा नहीं है कि सिर्फ भारत का एफडीआई नीचे आ रहा है, बल्कि उभरते बाजारों में जाने वाले वैश्विक एफडीआई में भारत की हिस्सेदारी भी कम हो गई है.”
उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि, “सवाल यह है कि अगर भारत निवेश के लिए इतना आकर्षक देश बन गया है, तो अधिक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश क्यों नहीं आ रहा है? कॉरपोरेट निवेश भी 2016 के स्तर से काफी नीचे है.”
आंकड़ों के मुताबिक, भारत की अर्थव्यवस्था पिछले डेढ़ साल में सबसे तेज गति से वित्त वर्ष 2023-24 की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में बढ़ी थी, जो कि 8.4 फीसदी की दर थी.
सुब्रमण्यन ने नवीनतम जीडीपी आंकड़ों पर चिंता व्यक्त की है, वहीं भारत के पूर्व मुख्य सांख्यिकीविद् प्रणब सेन ने वरिष्ठ पत्रकार करण थापर को बताया कि पहली तिमाही में जीडीपी वृद्धि का 7.8 प्रतिशत का आंकड़ा अधिक प्रतीत होता है. उन्होंने कहा कि वास्तव में 6.5 फीसदी का आंकड़ा ज्यादा सटीक है.
अपनी बात साझा करते हुए उन्होंने कहा कि जीडीपी वृद्धि का आंकड़ा केवल अर्थव्यवस्था की स्थिति की आंशिक तस्वीर पेश करता है, वह बेरोजगारी के उच्च स्तर को सामने नहीं रखता है.
आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) के जुलाई 2022 से जून 2023 के आंकड़ों के अनुसार, भारत में बड़ी संख्या में व्यक्ति स्वरोज़गार या अवैतनिक श्रम में लगे हुए हैं. यह आंकड़े पूर्व आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन के दावों की अक्कासी करते हैं.
उन्होंने चिंता जताते हुए कहा कि, निजी निवेश, कॉरपोरेट निवेश वर्ष 2016 के स्तर से काफी नीचे है.