अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टुमारो
लखनऊ | उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आचार संहिता उल्लंघन करने के मामले की चुनाव आयोग ने जाँच करने का निर्देश दिया है और मथुरा के डीएम से इस संबंध में रिपोर्ट मांगी है।
चुनाव आयोग ने योगी आदित्यनाथ के खिलाफ जाँच करने का निर्देश आज़ाद अधिकार सेना के अध्यक्ष अमिताभ ठाकुर की शिकायत पर दिया है।
आज़ाद अधिकार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमिताभ ठाकुर ने पिछले दिनों चुनाव आयोग को एक पत्र भेजकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की शिकायत की थी और उनके खिलाफ आरोप लगाया था कि वह लगातार आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन कर रहे हैं। इसलिये सीएम के खिलाफ कार्यवाही की जाये।
अमिताभ ठाकुर ने चुनाव आयोग को भेजी गई अपनी शिकायत में कहा था कि, “योगी आदित्यनाथ वोट हासिल करने के लिए मेरठ, मथुरा, बदायूं, बरेली और पीलीभीत सहित अपने चुनावी भाषणों में लगातार अयोध्या के राम मंदिर के साथ मथुरा, काशी प्रकरण तथा काँवड़ यात्रा के संबंध में टिप्पणियां कर रहे हैं, जो आचार संहिता के प्रस्तर 1 के उप प्रस्तर 1 और 3 का उल्लंघन है। इसलिए योगी आदित्यनाथ के खिलाफ कार्यवाही की जाए।”
चुनाव आयोग ने पहले तो इस शिकायत पर चुप्पी साधे रखा, लेकिन अब जाकर उसने इस मामले का संज्ञान लिया है और योगी आदित्यनाथ के खिलाफ जाँच करने का निर्देश दिया है। इस संबंध में यूपी के मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय के अनु सचिव संजय प्रकाश मौर्य ने मथुरा के डीएम से कार्रवाई कर 2 दिनों में तथ्यात्मक आख्या देने का आदेश दिया है।
चुनाव आयोग द्वारा योगी आदित्यनाथ के खिलाफ जाँच करने का निर्देश देने के बाद यह मामला उत्तर प्रदेश सरकार में चर्चा का विषय बन गया है।
इसके साथ ही यूपी के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने भाजपा द्वारा बड़े – बड़े पोस्टर और होर्डिंग लगाने, बेहिसाब और अभूतपूर्व खर्च करने तथा आधिकारिक एक्स हैंडल से आचार संहिता का उल्लंघन करने की अमिताभ ठाकुर की शिकायत पर भी कार्यवाही करने का निर्देश दिया है। इस बारे में मुख्य चुनाव अधिकारी ने लखनऊ के डीएम से कार्रवाई कर दो दिन में आख्या देने का निर्देश दिया है।
यहाँ गौरतलब है कि यूपी की राजधानी लखनऊ में बड़े पैमाने परभाजपा द्वारा बड़े – बड़े पोस्टर और होर्डिंग लगवाए गये हैं, जिनका कोई रिकार्ड नहीं है। यह सब बिना अनुमति के लगाए गये हैं और इसकी कोई अनुमति नहीं ली गई है।
उदाहरण के लिए 10 की अनुमति है, तो 100 बैनर लगाए गये हैं। चूँकि यह सत्तारूढ़ भाजपा से संबंधित हैं, इसलिए लखनऊ के जिला प्रशासन ने इनको नहीं हटवाया है। जबकि अन्य राजनीतिक दलों के पोस्टरों और होर्डिंग्स को हटवा दिया गया है।
इस तरह लखनऊ के जिला प्रशासन ने पक्षपात पूर्ण तरीके से कार्य किया है। अब यूपी के मुख्य निर्वाचन अधिकारी द्वारा इस मामले में कार्रवाई करने और रिपोर्ट देने का आदेश देने से लखनऊ का जिला प्रशासन घबराया हुआ है।
लखनऊ का जिला प्रशासन को अब अपने बचने का कोई तरीका नहीं नजर आ रहा है। चुनाव आयोग के जाँच करने और कार्रवाई करने तथा रिपोर्ट करने के फरमान से यूपी भाजपा बैकफुट पर है। इस मामले पर भाजपा ने चुप्पी साध ली है।