इंडिया टुमारो
नई दिल्ली | मौलाना आज़ाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी (MANUU) छात्र संघ ने केंद्र सरकार द्वारा नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) को लागू करने के फैसले पर विरोध जताया है और इस क़ानून को भेदभावपूर्ण, अन्यायपूर्ण और असंवैधानिक क़रार दिया है.
MANUU छात्रसंघ ने मंगलवार को यूनिवर्सिटी कैम्पस में इस क़ानून को लेकर जारी अधिसूचना पर विरोध सभा आयोजित की और रैली निकाली.
MANUU छात्र संघ अध्यक्ष मतीन अशरफ ने मीडिया को बयान जारी कर सरकार द्वारा नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) को लागू करने के फैसले पर अपने विरोध के बिन्दुओं को विस्तार से साझा किया है.
मीडिया को जारी बयान में MANUU छात्र संघ ने कहा है कि, “छात्रों की सामूहिक आवाज़ के रूप में, हम न्याय, समानता और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों के लिए दृढ़ता से खड़े हैं. हम अपने महान राष्ट्र की विविधता और विभिन्नता को बनाए रखने वाले संवैधानिक मूल्यों की रक्षा के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हैं.”
छात्र संघ ने कहा है कि, “2019 में अधिनियमित सीएए देश भर में बहस और चिंता का विषय रहा है. हिंदुत्वादी ढांचे के तहत सीएए का हमारा विरोध प्रत्येक नागरिक के अधिकारों की रक्षा करने की हमारी प्रतिबद्धता में निहित है, चाहे उनकी धार्मिक पृष्ठभूमि कुछ भी हो.”
बयान में कहा गया है कि, “हमारा मानना है कि धर्म के आधार पर भेदभाव करने वाला कोई भी कानून समानता और सामाजिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है.”
मीडिया को जारी बयान में MANUU छात्र संघ ने कहा है कि, “हम सीएए का विरोध इसलिए नहीं कर रहे हैं क्योंकि हमें पड़ोसी देशों में अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न की परवाह नहीं है, बल्कि इसलिए कि हम इस कानून की मनमानी पर सवाल उठाते हैं. यह न केवल नागरिकता के हिंदुत्व विचार को बढ़ावा देता है बल्कि विशेष रूप से मुसलमानों को बाहर करता है, उनके लिए द्वितीय श्रेणी की नागरिकता बनाता है.”
छात्र संघ ने अपना विरोध जताते हुए कहा है कि, “नागरिकता कभी भी धर्म पर आधारित नहीं हो सकती, इसीलिए हम सीएए को भेदभावपूर्ण, अन्यायपूर्ण और असंवैधानिक कहते हैं.”
अपने बयान में छात्र संघ ने कहा है कि, “हिंदुत्व, एक विचारधारा के रूप में, भारत के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को कमज़ोर करने की अपनी महत्वकांक्षा के कारण विवाद का विषय रहा है. हम अपने संविधान में निहित धर्मनिरपेक्ष लोकाचार को संरक्षित करने में दृढ़ता से विश्वास करते हैं और हम विविधता को संजोने वाले सामंजस्यपूर्ण और समावेशी समाज को बनाए रखने के महत्व को पहचानते हैं.”
सरकार से अपील करते हुए छात्रसंघ ने कहा, “MANUU छात्र संघ सरकार से CAA के कार्यान्वयन पर पुनर्विचार करने और चिंताओं को दूर करने और समावेशिता को बढ़ावा देने के लिए संबंधित पक्षों के साथ सार्थक बातचीत करने का आह्वान करता है.”
मुस्लिम विरोध और बढ़ते सांप्रदायिक ध्रुवीकरण पर छात्र संघ ने कहा, “लोकतंत्र की भावना में, हम न्याय और लोकतंत्र के लिए प्रतिबद्ध सभी लोगों को एकजुट होने और मुस्लिम विरोधी सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा देने के इन सुनियोजित प्रयासों के खिलाफ आवाज उठाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं.”