इंडिया टुमारो
नई दिल्ली | तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा है कि तमिलनाडु सरकार कभी भी राज्य में नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए) लागू नहीं करेगी क्योंकि यह क़ानून मुसलमानों और श्रीलंकाई तमिलों के विरुद्ध है.
मुख्यमंत्री स्टालिन ने केंद्रीय राज्य मंत्री शांतनु ठाकुर के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि, “मैं आश्वासन देता हूं कि हम तमिलनाडु में नागरिकता (संशोधन) अधिनियम को पैर नहीं रखने देंगे.”
स्टालिन ने कहा, “2021 में जैसे ही हम सत्ता में आए, हमने सीएए को वापस लेने की मांग करते हुए विधानसभा में एक प्रस्ताव पारित किया था.”
ज्ञात हो कि केंद्रीय राज्य मंत्री शांतनु ठाकुर ने बीते दिनों यह बयान दिया था कि एक सप्ताह में सीएए पश्चिम बंगाल में और साथ ही पूरे देश में लागू किया जाएगा.
मुख्यमंत्री स्टालिन ने राज्यसभा में इस विधेयक का समर्थन करने के लिए भाजपा की तत्कालीन सहयोगी अन्नाद्रमुक की भी आलोचना की.
स्टालिन ने भाजपा पर देश में धार्मिक सद्भाव के खिलाफ काम करने का आरोप लगाया और इसका समर्थन करने के लिए अन्नाद्रमुक पर भी हमला बोला.
इस समय स्पेन गए स्टालिन ने बात करते हुए कहा कि जब वे विपक्ष में थे तो उनकी पार्टी द्रमुक (डीएमके) ने तमिलनाडु में सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था.
उन्होंने यह भी कहा कि उनकी पार्टी डीएमके ने इसके खिलाफ राज्यभर से दो करोड़ हस्ताक्षर भी एकत्र किए थे और इसे भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति को भेजा था और क़ानून को लेकर विरोध भी जताया था.
ज्ञात हो कि 29 जनवरी को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा था कि भाजपा हमेशा किसी भी चुनाव से पहले सीएए का मुद्दा उठाती है. उन्होंने कहा कि तृणमूल ने एनआरसी के खिलाफ लड़ाई लड़ी.
ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि भाजपा ने वोट के लिए फिर से ‘सीएए-सीएए’ चिल्लाना शुरू कर दिया है. उन्होंने भाजपा मंत्री के इस बयान की निंदा की.
सीएए क़ानून पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में उत्पीड़न का शिकार रह चुके उन गैर-मुस्लिम प्रवासियों (हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी, ईसाई) को भारतीय नागरिकता प्रदान करता है, जो 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए थे.
इस कानून को लेकर देशभर में विरोध प्रदर्शन हुए थे और जानकारों ने इसे मुस्लिम विरोधी बताया था. क़ानून के जानकारों और बुद्द्जीवियों ने CAA को असंवैधानिक और मुस्लिम विरोधी बताते रहे हैं.