इंडिया टुमारो
लखनऊ | उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष शाहनवाज़ आलम ने मीडिया को जारी एक बयान में कहा है कि संविधान दिवस पर मदरसों में संविधान की प्रस्तावना को पढ़ कर संविधान बचाने का संकल्प छात्रों ने लिया लेकिन आरएसएस द्वारा संचालित सरस्वती शिशु मंदिरों में संविधान की प्रस्तावना नहीं पढ़ी गयी.
उन्होंने कहा है कि सरस्वती शिशु मंदिरों में संविधान दिवस पर संविधान की रक्षा का संकल्प नहीं लिया जाना आरएसएस के संविधान विरोधी चरित्र को उजागर करता है.
कांग्रेस मुख्यालय से जारी बयान में शाहनवाज़ आलम ने कहा कि, यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि आरएसएस द्वारा संचालित सरस्वती शिशु मंदीर स्कूलों में संविधान दिवस पर संविधान को बचाने का संकल्प नहीं दिलवाया गया.
उन्होंने कहा, ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि 26 नवम्बर 1949 को बाबा साहब द्वारा राष्ट्रपति को संविधान सौंपे जाने के चौथे दिन ही आरएसएस ने अपने मुखपत्र ऑर्गनाइजर में लेख प्रकाशित कर सबको समानता का अधिकार देने वाले संविधान का विरोध करते हुए इसकी जगह मनु स्मृती लागू करने की बात कही थी.
बयान में आगे कहा गया है कि, “बाजपेयी सरकार में भी आरएसएस ने संविधान को बदलने की कोशिश की थी. लेकिन भारी विरोध के कारण उसे बैकफुट पर आना पड़ गया था.”
अल्पसंख्यक कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष शाहनवाज़ आलम ने कहा कि, “अब मोदी सरकार फिर से संविधान में से समानता, बराबरी, समाजवादी और सेकुलर शब्द हटाकर गैर बराबरी वाली प्राचीन व्यवस्था को लागू करने की साज़िश रच रही है। जिसे देश कभी सफल नहीं होने देगा.”
उन्होंने कहा कि, सबको देशभक्ति का सर्टिफिकेट बांटने वाले आरएसएस और भाजपा को बताना चाहिए कि सरस्वती शिशु मंदिरों में संविधान को बचाने का संकल्प क्यों नहीं दिलवाया गया? और ऐसा न करने वाले स्कूलों पर योगी सरकार कब कार्यवाई करेगी?