अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टुमारो
लखनऊ | इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 69 हज़ार शिक्षक भर्ती में गलत सवाल पर एक नंबर न देने पर यूपी बेसिक शिक्षा परिषद प्रयागराज के सचिव और उत्तर प्रदेश परीक्षा नियामक प्राधिकारी प्रयागराज को कोर्ट में तलब किया है और उनके खिलाफ कार्यवाही करने की बात कही है।
ज्ञात हो कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 25 अगस्त 2021 को एक आदेश दिया था, जिसमें कहा था कि शिक्षक भर्ती परीक्षा में गलत सवाल पूंछने पर अभ्यर्थियों को (परीक्षार्थियों को) 1 नंबर दिया जाए। लेकिन हाईकोर्ट के इस आदेश का पालन नहीं किया गया।
यूपी सरकार हाईकोर्ट के इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चली गई। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई 9 नवंबर 2022 को हुई। लेकिन यूपी सरकार सुप्रीम कोर्ट में इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ कोई मजबूत दलील नहीं पेश कर सकी। परिणामतः सुप्रीम कोर्ट में यूपी सरकार हार गई।
सुप्रीम कोर्ट में केस हार जाने के बावजूद यूपी सरकार अपनी ज़िद पर अड़ी रही तथा इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को नहीं माना।
हाईकोर्ट के आदेश को लेकर बेसिक शिक्षा परिषद प्रयागराज के सचिव प्रताप सिंह बघेल और उत्तर प्रदेश परीक्षा नियामक प्राधिकारी प्रयागराज के सचिव अनिल भूषण चतुर्वेदी आपस में लड़ते रहे और इसके लिए एक -दूसरे को जिम्मेदार बताते रहे। इस तरह से यह दोनों जिम्मेदार अधिकारी इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को लटकाये रहे और उसका पालन नहीं किया।
इलाहाबाद हाईकोर्ट में इस मामले की फिर सुनवाई 23 नवंबर 2023 को हुई। जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल ने इस मामले की सुनवाई की।उन्होंने इस मामले की सुनवाई करते हुए इस पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की।
उन्होंने कहा कि, “हाईकोर्ट के आदेश का अब तक पालन क्यों नहीं किया गया,इसका स्पष्टीकरण दिया जाये? क्यों न उनके खिलाफ आदेश की अवहेलना करने पर अवमानना की कार्रवाई की जाए?”
जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल ने कहा कि, “दोनों अधिकारियों ने हलफनामे दाखिल किए हैं और एक – दूसरे पर आदेश का पालन न करने का आरोप लगाया है।याचिका पर एक अंक देने के आदेश की सुप्रीम कोर्ट ने भी पुष्टि की है। इसके बावजूद आदेश का पालन करने का रास्ता नहीं निकल पा रहा है। अधिकारी आरोप और प्रत्यारोप में व्यस्त हैं।”
कोर्ट के समाने याचिकाकर्ताओं के वकील अनुराग त्रिपाठी और राहुल कुमार मिश्र ने कहा कि, “दोनों ही अधिकारी एक – दूसरे पर जिम्मेदारी थोप कर अपना पल्ला झाड़ रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट का आदेश होने के बाद भी नियुक्ति देने में कोई कानूनी अड़चन नहीं है।”
यहाँ यह उल्लेखनीय है कि 69 हज़ार शिक्षक भर्ती मामले में एक सवाल के गलत उत्तर पर हाईकोर्ट ने सवाल हल करने वाले अभ्यर्थियों को एक अंक देकर परिणाम घोषित करने का आदेश दिया था।
हाईकोर्ट ने कहा था कि इसका पहले से चयनित पर कोई असर नहीं होगा। लेकिन यूपी सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले को नहीं माना और वह इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चली गई, जहां पर उसकी हार हुई। लेकिन यूपी की योगी सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले को नहीं माना।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 23 नवंबर 2023 के आदेश के बाद योगी सरकार बैकफुट पर आ गई है। हाईकोर्ट ने अपने 23 नवंबर 2023 के आदेश में संबंधित दोनों अधिकारियों के खिलाफ आदेश की अवहेलना करने के लिए अवमानना की कार्रवाई करने की बात कही है और उनको हाईकोर्ट में तलब किया है। इससे यूपी सरकार तक में हलचल देखने को मिल रही है।
हाईकोर्ट ने दोनों अधिकारियों को एक साथ बैठकर आदेश के अनुपालन का हल निकालने और एक्शन प्लान के साथ 28 नवंबर 2023 को कोर्ट में तलब किया है।
योगी आदित्यनाथ सरकार को इस मामले में तगड़ा झटका भी लगा है, क्योंकि योगी सरकार इस मामले को अपनी जिद और हठधर्मिता के कारण लटकाये हुए थी। किंतु अब उसके अधिकारियों के ऊपर हाईकोर्ट की तलवार लटक गई है, जिससे योगी सरकार फंस गई है।