इंडिया टुमारो
नई दिल्ली | राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने मणिपुर सरकार से मई के बाद से राज्य में शुरु हुई हिंसा और झड़पों में मारे गए लोगों के परिजनों को 10 लाख रुपये मुआवज़ा देने का आदेश दिया है.
17 नवंबर को एनएचआरसी के आदेश में मृतकों के परिजनों को उक्त मुआवज़ा राशि एक माह के भीतर देने को कहा गया है.
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने मणिपुर और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में हुई हिंसा की घटनाओं पर सुनवाई के लिए दो दिवसीय शिविर आयोजित किया था.
द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, एनएचआरसी ने मणिपुर सरकार को क्षतिग्रस्त घरों का आकलन पूरा करने के साथ साथ छह सप्ताह के भीतर हर एक पीड़ित को 10 लाख रुपये मुआवज़ा देने का आदेश दिया है.
बीते शुक्रवार (17 नवंबर) को NHRC ने कहा कि, उसने मणिपुर सरकार को आदेश दिया है कि मई के बाद से जातीय झड़पों में मारे गए सभी लोगों के परिजनों को चार सप्ताह के भीतर 10-10 लाख रुपये दिए जाएं.
साथ ही एनएचआरसी ने राज्य सरकार को मणिपुर से गुज़रने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग 2 और 37 पर नाकाबंदी हटाने का भी निर्देश दिया है.
एनएचआरसी के अध्यक्ष जस्टिस अरुण कुमार मिश्रा ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा, “हमें बताया गया है कि हिंसा में मारे गए 93 लोगों के परिजनों को 10 लाख रुपये का मुआवज़ा दिया गया है. एक विशेष तारीख तक 180 लोग मारे गए थे. हमने सरकार से शेष लोगों के परिजनों को मुआवज़ा देने की प्रक्रिया चार सप्ताह के भीतर पूरी करके हमें रिपोर्ट करने को कहा है.”
उन्होंने बताया कि, हिंसा के दौरान क्षतिग्रस्त हुए घरों के पुनर्निर्माण के संबंध में आयोग ने मणिपुर सरकार को मौजूदा योजना के अनुसार मुआवज़ा वितरित करने के लिए छह सप्ताह के भीतर मूल्यांकन पूरा करने का निर्देश दिया है.
जस्टिस मिश्रा ने कहा, “सरकार घरों के पुनर्निर्माण हेतु 10 लाख रुपये के मुआवज़े का प्रस्ताव प्रस्तुत कर रही है. हमने उन्हें इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए कहा है, ताकि घरों का पुनर्निर्माण जल्द शुरू हो सके.”
रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने आगे कहा, “मणिपुर के कुछ हिस्सों में अभी भी जारी हिंसा को देखते हुए है, एनएचआरसी ने राज्य सरकार से स्थिति को बहाल करने और राष्ट्रीय राजमार्ग-2 और 37 पर नाकाबंदी को जल्द से जल्द हटाने के लिए एक रोडमैप तैयार करने को कहा है.”
जस्टिस मिश्रा ने पत्रकारों से बात करते हुए आगे कहा कि, “आयोग ने जिरीबाम को इंफाल के साथ जोड़ने वाली सुरंगों और रेल पटरियों के निर्माण की एक परियोजना के कार्यान्वयन के दौरान पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे (एनएफआर) की लापरवाही के कारण हुई 57 लोगों की मौत, 18 घायल और 4 लोगों के लापता होने से संबंधित मामले की भी सुनवाई की.”
उन्होंने कहा, “बुनियादी सुविधाओं की अनुपलब्धता के कारण चुराचांदपुर में जिला अस्पताल की खराब स्थिति और मणिपुर में हिंसा की घटनाओं की शिकायतें भी सुनी गईं.”
गौरतलब है कि 3 मई को मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मैतेई समुदाय की मांग के विरोध में पहाड़ी ज़िलों में ‘आदिवासी एकता मार्च’ आयोजित होने के बाद से लगातार हिंसा जारी है.
मैतेई समुदाय और कुकी समुदाय के बीच हुईं जातीय झड़पों में 180 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और सैकड़ों की संख्या में लोग घायल हुए हैं.