अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टुमारो
लखनऊ | उत्तर प्रदेश के मुज़फ्फरनगर जिले में शिक्षा विभाग द्वारा मदरसों को प्रतिदिन 10 हजार रुपये जुर्माना लगाए जाने का नोटिस वापस ले लिया गया है और नोटिस जारी करने वाले खंड शिक्षा अधिकारी से स्पष्टीकरण मांगा गया है। इससे शिक्षा विभाग बैकफुट पर आ गया है।
पिछले दिनों मुज़फ्फरनगर जिले के पुरकाजी ब्लाक के खंड शिक्षा अधिकारी ज्योति प्रकाश तिवारी ने 12 मदरसों को मान्यता दस्तावेज पेश करने का निर्देश देते हुए एक नोटिस दिया था।
नोटिस में उन्होंने कहा था कि अगर मान्यता नहीं पाई गई और मदरसा खुला पाया गया तो प्रतिदिन 10 हज़ार रुपये के हिसाब से जुर्माना लगाया जाएगा।
खंड शिक्षा अधिकारी ज्योति प्रकाश तिवारी के इस मनमाने नोटिस के बाद जमीयत उलमा ए हिंद आगे आया था और उसने खंड शिक्षा अधिकारी और शिक्षा विभाग पर गलत तरीके से नोटिस दिए जाने का आरोप लगाया था।
इसीके बाद इस मामले ने तूल पकड़ा था। इस पर यह सवाल उठाया गया था कि शिक्षा विभाग को क्या इस तरह का मदरसों को नोटिस देने का अधिकार प्राप्त है या नहीं?
इस तरह का सवाल सामने आने के बाद मुज़फ्फरनगर के अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी मैत्री रस्तोगी ने भी इस पर ऐतराज जताया था और नोटिस वापस लेने की बात कही थी।
यहाँ पर यह ज्ञात हो कि मदरसों के सभी मामलों को देखने और उनको नोटिस जारी करने का अधिकार जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी को प्राप्त है। लेकिन इसके बावजूद शिक्षा विभाग के खंड शिक्षा अधिकारी ने मनमाने तरीके से अधिकार न होते हुए भी अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी के अधिकारों पर अतिक्रमण करते हुए मदरसों को नोटिस जारी किया।
इस मामले के तूल पकड़ने और मामला शांत होने के बजाए आगे बढ़ने पर इस पर डीएम मुज़फ्फरनगर ने स्वयं दखल दिया और उन्होंने गुरुवार 26 अक्टूबर 2023 को जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी शुभम शुक्ला को मदरसों को दिया गया नोटिस वापस लेने और खंड शिक्षा अधिकारी ज्योति प्रकाश तिवारी से स्पष्टीकरण मांगे जाने का आदेश दिया।
इसके बाद जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी शुभम शुक्ला ने मदरसों को जारी नोटिस रद्द करने की अधिसूचना जारी की। साथ उन्होंने खंड शिक्षा अधिकारी से भी स्पष्टीकरण मांगा है।
मुज़फ्फरनगर में मदरसों को गलत तरीके से शिक्षा विभाग के खंड शिक्षा अधिकारी द्वारा नोटिस जारी करने से और मामले के काफी तूल पकड़ने के बाद नोटिस रद्द किए जाने से शिक्षा विभाग बैकफुट पर आ गया है। शिक्षा विभाग की इससे काफी किरकिरी हुई है।