अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टुमारो
लखनऊ | यूपी में विदेशी फंडिंग से चलने वाले 4000 मदरसों की एस आई टी जांच होगी और इनकी जांच के लिए एक एस आई टी गठित कर दी गई है। इस एस आई टी के अध्यक्ष ए टी एस के ए डी जी मोहित अग्रवाल होंगे। इनके साथ सदस्य के रूप में
एसपी साइबर क्राइम डा. त्रिवेणी सिंह और अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की निदेशक जे रीभा होंगी।
यूपी में 16460 मान्यता प्राप्त मदरसे हैं, जिनमें 560 अनुदानित हैं। शेष गैर मान्यता प्राप्त मदरसे हैं। यूपी में मदरसों की जाँच के समय यूपी मदरसा बोर्ड के चेयरमैन इफ्तिखार अहमद जावेद ने कहा था कि मदरसों की जाँच नहीं सर्वें किया जा रहा है, जिससे मदरसों के मान्यता प्राप्त और गैर मान्यता प्राप्त की जानकारी एवं संख्या का पता चले, जिससे गैर मान्यता प्राप्त मदरसों की शिक्षा व्यवस्था के स्तर को सुधारा जा सके।
इसी बीच यह बात भी उठी थी कि गैर मान्यता प्राप्त मदरसों को विदेशी फंडिंग मिलती है और वह उसकी मदद से चलते हैं। इनकी कभी भी जाँच हो सकती और और इनकी जाँच होने के बाद इनको बंद किया जा सकता है। तत्कालीन समय में इस मुद्दे पर किसी ने नहीं बोला था और इस पर चुप्पी साध ली थी। अब जाकर राज्य सरकार ने विदेशी फंडिंग से चलने वाले मदरसों की जाँच के लिए एक एस आई टी गठित कर दी है जो विदेशी फंडिंग से चलने वाले मदरसों की जाँच करेगी।
विदेशी फंडिंग से चलने वाले और जांच के दायरे में आने वाले इन 4000 मदरसों के बारे में यूपी सरकार का कहना है कि विदेशी फंडिंग से उक्त यह मदरसे धर्मांतरण और देश विरोधी गतिविधियां संचालित कर रहे हैं।
इसकी शिकायतें राज्य सरकार को लगातार मिल रही थीं। इसी को ध्यान में रखकर राज्य सरकार ने इस मामले में कड़ा रुख अपनाया है और इसकी एस आई टी से जांच कराने का फैसला लिया है। राज्य सरकार ने इस संबंध में एस आई टी गठित कर दी है और इसका अध्यक्ष ए टी एस(आतंक निरोधी दस्ता) के एडीजी मोहित अग्रवाल को बनाया है। इस एस आई टी के सदस्य के रूप में एसपी साइबर क्राइम डा.त्रिवेणी सिंह और अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की निदेशक जे रीभा को नियुक्त किया गया है।
एस आई टी सबसे पहले मदरसों को मिलने वाली विदेशी व गैर कानूनी फंडिंग का पता लगाएगी। इसके बाद एस आई टी मदरसों में हो रही फंडिंग की सिलसिलेवार जांच करेगी। इसके बाद में सभी मदरसों को नोटिस जारी किया जाएगा और उनसे फारेन करेंसी एकाउंट (ई ई एफ सी) के जरिए से हो रहे लेनदेन की जानकारी मांगी जाएगी।
इसके बाद उनको सूचीबद्ध किया जाएगा, जिन्हें विदेश से रकम मिल रही है। इस बात की जांच होगी कि किस – किस देश से रकम भेजी गई है और उक्त पैसे का प्रयोग किन गतिविधियों में किया गया है।
अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने जब यूपी में मदरसों की जांच की थी और मान्यता प्राप्त और गैर मान्यता प्राप्त मदरसों की बात सामने आई थी, तभी यह कहा गया था कि गैर मान्यता प्राप्त मदरसे विदेशी फंडिग से चल रहे हैं और यह आगे चलकर बंद हो सकते हैं।
मदरसों की जांच के दौरान जब यह मामला सामने आया था, तब यूपी मदरसा बोर्ड के चेयरमैन इफ्तिखार अहमद जावेद ने इस पर तत्कालीन समय में जवाब देते हुए कहा था कि, मदरसों का केवल सर्वें किया जा रहा है और कोई जांच नहीं हो रही है। कोई मदरसा बंद नहीं होगा।
यूपी में मदरसों की जांच से जब यह साफ हो गया था कि गैर मान्यता प्राप्त मदरसे विदेशी फंडिग से चल रहे और इनके संचालन कर्ताओं ने मदरसे की आय की स्रोत में खुद यह दर्शाया था कि उनको विदेशी फंडिंग मिल रही है, तो इतने बड़े पैमाने पर मदरसों की एस आई टी जांच समझ से परे है।
इतनी बड़ी संख्या में मदरसों की एस आई टी जांच पर मदरसा बोर्ड के चेयरमैन इफ्तिखार अहमद जावेद ने भी चुप्पी साध ली है।
यूपी में मदरसों की जाँच किए जाने के वक्त यह चर्चा जोरों पर थी कि अब कभी भी राज्य में मदरसों को बंद किया जा सकता है। अब राज्य में योगी आदित्यनाथ की सरकार के द्वारा 4000 मदरसों की एस आई टी जाँच करवाने का आदेश देने से यह लगभग तय हो गया है कि अब उक्त मदरसों पर जाँच की तलवार लटक गई है और यह मदरसे आगे चलकर कभी भी बंद हो सकते हैं। जाँच तो एक बहाना है, असली मकसद योगी सरकार द्वारा इन मदरसों को बंद करना है।