इंडिया टुमारो
नई दिल्ली | विपक्षी दलों के कई सांसदों और राजनेताओं के साथ-साथ कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इज़राइल और फिलिस्तीन के बीच चल रहे युद्ध में फिलिस्तीन के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया है.
सोमवार को जारी एक संयुक्त बयान में, उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से अपील की है कि वह “अंतर्राष्ट्रीय कानूनों का पालन करने और फिलिस्तीनी लोगों के अधिकारों और उनकी प्रतिष्ठा का सम्मान करने के लिए इज़राइल राज्य पर दबाव डालें.”
सभी नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं का संयुक्त बयान इस प्रकार है:-
“हम, हस्ताक्षरकर्ता, मानते हैं कि हिंसा कभी भी समाधान नहीं होती है क्योंकि यह विनाश और पीड़ा के अनंत चक्र की ओर ले जाती है. इसलिए, हम संघर्ष का शांतिपूर्ण समाधान प्रस्तुत करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा कोशिशों में तेज़ी लाने की ज़रूरत पर ज़ोर देते हैं. अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को इज़राइल राज्य पर अंतर्राष्ट्रीय कानूनों का पालन करने और फिलिस्तीनी लोगों के अधिकारों और प्रतिष्ठा का सम्मान करने के लिए दबाव डालना चाहिए. हम क्षेत्र में स्थायी शांति सुनिश्चित करने के लिए गहन राजनयिक प्रयासों और बहुपक्षीय पहलों का आह्वान करते हैं.
हम गाज़ा में चल रहे संकट और फिलिस्तीनी लोगों की पीड़ा के बारे में अपनी गहरी चिंता व्यक्त करते हैं. हम इज़राइल द्वारा गाज़ा में फ़िलिस्तीनियों पर अंधाधुंध बमबारी की कड़ी निंदा करते हैं. हमारा मानना है कि यह एक तरह से नरसंहार का प्रयास है. हम निर्दोष लोगों की जान जाने और घरों और बुनियादी ढांचे के विनाश को रोकने के लिए युद्ध फौरन रोकने का आग्रह करते हैं.
“इसके अलावा, हम गाज़ा के लोगों को तत्काल और बिना किसी रुकावट के मानवीय सहायता पहुंचाने पर ज़ोर देते हैं. मानव जीवन को गंभीर खतरे में डाल देने की स्थिति में तत्काल ध्यान देने और कार्रवाई करने की ज़रूरत होती है. यह सुनिश्चित करने के लिए सभी ज़रूरी उपाय किए जाने चाहिए कि भोजन, पानी और चिकित्सा सहायता सहित आवश्यक आपूर्ति प्रभावित आबादी तक बिना किसी बाधा के पहुंच सकें.
“हम महात्मा गांधी के इस कथन में दृढ़ता से विश्वास रखते हैं, “फिलिस्तीन उसी तरह अरबों का है जैसे इंग्लैंड अंग्रेज़ो का है या फ्रांस फ्रांसीसियों का है,” जो कि फ़िलिस्तीनी लोगों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अधिकारों को मान्यता देने के उनके विश्वास को दर्शाता है, बिलकुल उसी प्रकार जैसे किसी भी अन्य राष्ट्र के नागरिक का अपनी मातृभूमि पर अधिकार होता है.
यह मानते हुए हुए कि फ़िलिस्तीनी लोगों ने 75 वर्षों से अधिक समय तक अपार पीड़ा झेली की है, हम दृढ़ता से कहते हैं कि उनके शोषण को खत्म करने का समय आ गया है. हम अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के अनुसार 1967 की सीमाओं पर एक स्वतंत्र फ़िलिस्तीनी राज्य की स्थापना को मान्यता देने का आग्रह करते हैं. इस तरह की मान्यता इज़राइल-फिलिस्तीनी संघर्ष का न्यायसंगत और स्थायी समाधान सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो फिलिस्तीनी लोगों को अपनी नियति निर्धारित करने और शांति और सुरक्षा में रहने का अवसर प्रदान करती है.
इस संयुक्त बयान पर निम्न हस्ताक्षरकर्ता हैं:
मणिशंकर अय्यर (पूर्व मंत्री)
जेना श्रीकांत (पूर्व मंत्री)
के सी त्यागी
मनोज झा, सांसद
जावेद अली खान, एम.पी.
कुँवर दानिश अली, सांसद
दीपांकर भट्टाचार्य, सीपीआई (एमएल)
मुज़फ्फर शाह, जेकेएएनसी
शाहिद सिद्दीकी, एम.पी.
डी. राजा, सीपीआई
सुभाषिनी अली, पूर्व सांसद सीपीएम
नीलोत्पल बसु, पूर्व सांसद
संतोष भारती, पूर्व सांसद
मोहम्मद अदीब, पूर्व सांसद
मोहम्मद अफज़ल, पूर्व सांसद
नदीम खान, सामाजिक कार्यकर्ता