–मसीहुज़्ज़मा अंसारी
नई दिल्ली | दिल्ली के अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में सोमवार को पूर्व आइपीएस अब्दुर्रहमान की नई किताब “एब्सेंट इन पॉलिटिक्स एंड पॉवर, पॉलिटिकल एक्सक्लूशन ऑफ इंडियन मुस्लिम्स” का विमोचन हुआ जिसमें कई पार्टियों के सांसद और वरिष्ठ पत्रकार शामिल हुए.
यह किताब पूर्व आइपीएस अब्दुर्रहमान ने लिखी है जो एक बुद्धजीवी और सामाजिक-राजनीतिक चिन्तक के रूप में जाने जाते हैं. अब्दुर्रहमान की यह तीसरी किताब है जिसका सोमवार को अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर, नई दिल्ली में विमोचन किया गया.
इस किताब का विषय मुसलमानों की राजनीतिक शून्यता है जिसके कारण और निवारण पर विस्तार से चर्चा की गई है. लेखक द्वारा कई महत्वपूर्ण आंकड़ों से स्वतंत्रता के बाद से मुसलमानों के सियासी एतबार से हाशिये पर पहुंचने पर बात की गई है.
किताब के विमोचन पर मौजूद अतिथियों में कई महत्वपूर्ण नाम शामिल थे जिनमें आल इंडिया मजलिसे इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी, राष्ट्रीय जनता दल के प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद प्रो मनोज झा, इंडियन नेशनल मुस्लिम लीग के सचिव और लोकसभा सांसद ई टी मोहम्मद बशीर, सांसद और AIUDF के अध्यक्ष मौलाना बदरुद्दीन अजमल और वरिष्ठ पत्रकार आरफा ख़ानम शेरवानी आदि मौजूद थे.
असदुद्दीन ओवैसी ने इस मौके पर अपनी बात साझा करते हुए कई बिन्दुओं पर प्रकाश डाला और सेक्युलर पार्टियों द्वारा मुसलमानों को राजनीतिक रूप से हाशिये पर ले जाने के लिए ज़िम्मेदार बताया.
ओवैसी ने कहा, “अगर आप मेरे साथ नहीं आना चाहते तो मत आइए, किसी और पार्टी में जाइये लेकिन राजनीति से दूर मत भागिए, आगे आइए, लीडर बनिए. किसी पार्टी में जाकर दरी मत बिछाइए.”
पूर्व आईपीएस और किताब के लेखक अब्दुर्रहमान ने कहा, “भारत धर्मनिरपेक्ष रहेगा या एक धार्मिक राज्य बनेगा यह 14.2% मुस्लिम तय नहीं कर सकते. इसका निर्णय तो बहुसंख्यक समुदाय या बड़ी पार्टियों को लेना है. सेक्युलरिज्म का पूरा बोझ मुसलमानों पर डालकर कब तक उनका वोट लिया जाएगा? क्या इस कुर्बानी के लिए सिर्फ मुसलमान हैं?
उन्होंने कहा कि, “अगर मुसलमान चाहते हैं कि उनकी आवाज़ सुनी जाए तो लोकसभा और विधान सभा में अपना प्रतिनिधित्व बढ़ाना होगा.”
अब्दुर्रहमान ने कहा, “1952 से 2019 तक कांग्रेस ने अपने 8131 टिकट में से 555 टिकट मुसलमानों को दिया है जो सिर्फ 6.83% है. भाजपा/जन संघ ने केवल 50 टिकट दिया और केवल 4 मुस्लिम जीते. CPI ने 5.06% और CPM ने 10.02% टिकट मुस्लिमों को दिए हैं.”
उन्होंने कहा कि, “आंकड़ों से पता चलता है कि क्षेत्रीय पार्टियों ने मुसलमानों को कुछ ज़्यादा टिकट दिए हैं, लेकिन आबादी के अनुपात में वे भी कम ही रहा है. तथाकथित सेक्युलर पार्टियां मुसलमानों का वोट तो लेती हैं लेकिन टिकट उचित संख्या में नहीं देतीं. यहां एक बड़ा सवाल यह है कि जब टिकट ही नहीं मिलेगा तो मुस्लिम जीतकर कहां से आयेंगे?”
राष्ट्रीय जनता दल के प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद प्रो मनोज झा ने कार्यक्रम में अपनी बात साझा करते हुए कहा कि, “देश की स्थिति चिंताजनक है क्योंकि बोलने से पहले डर लगता है कि मेरी बात को किस प्रकार लिया जाएगा.”
उन्होंने कहा कि, “राजनीति में मुस्लिम प्रतिनिधित्व होना चाहिए और सभी को मिलकर मौजूदा सरकार से लड़ना होगा. क्योंकि जो हालात हैं उसमें यह नहीं कहा जा सकता कि मौजूदा सरकार 2024 में जाने वाली है, ऐसा बहुत मुश्किल नज़र आता है.”
प्रो मनोज झा ने कहा कि, “लोग कहते हैं कि चुनाव के बाद स्थित बेहतर होगी और देश पटरी पर आजाएगा, ऐसा आसान नहीं है, देश केवल चुनाव से ही पटरी पर नहीं आएगा क्योंकि यह देश पटरी से उतर गया है. केवल चुनाव से स्थिति बेहतर होने वाली नहीं है, यह लड़ाई केवल चुनाव से नहीं जीती जा सकती बल्कि सामजिक स्तर पर, ज़मीन पर लड़ी
मुस्लिम प्रतिनिधित्व ज़रूरी है, लेकिन पार्टियों को इस डर से बाहर आना होगा कि चुनाव पोलाराइज़ हो जाएगा. सभी को एक दूसरे की सॉलिडेरिटी में खड़ा होना होगा.
प्रो मनोज झा ने कहा कि, “47 की साम्प्रदायिकता 2020 का राष्ट्रवाद है. उस समय की साम्प्रदायिकता आज बहुसंख्यकवादी राष्ट्रवाद में बदल गई है और इसके छीटें विपक्ष के दलों और उनके दामन पर भी हैं, उन पर भी पड़े हैं जो ये कहते हैं कि हम छीटों और छीटाकशी से दूर रहते हैं.”
वरिष्ठ पत्रकार आरफा ख़ानम शेरवानी ने कार्यक्रम में बोलते हुए कहा कि, “पहले मुझे मुस्लिम जर्नलिस्ट कहलाया जाना सहज नहीं लगता था लेकिन अब अच्छा लगता है, क्योंकि मैं किसी वर्ग का मुद्दा उठा तो पा रही हूं.”
आरफा ने कहा कि, “हिंदुस्तान में इस समय एक अलग हवा चल रही है. इस समय मुसलमान अपने वजूद की लड़ाई लड़ रहे हैं. एक स्लो नरसंहार हो रहा है, आर्थिक बहिष्कार हो रहा है, स्कूलों में अब इतनी नफरत है की टीचर्स अब बच्चों को उनका मज़हब देख कर सज़ा देने लगे हैं, अब रेलवे कांस्टेबल जिनका काम है आप की हिफाज़त करना वो आप को मारने पर उतारू हो जाते हैं.”
आरफा ने कहा कि, “नूह में एक साथ 50 बुलडोज़र के साथ मुसलमानों के होटल और मकान तबाह किए जा रहे थे. वहां गिरे हुए मकानों को देखकर लगता है कि वहां कोई हवाई हमला हुआ है. जंग की तरह सब कुछ तबाह कर दिया गया है. ऐसे हालात में अब्दुर्रहमान साहब की मुस्लिम प्रतिनिधित्व पर किताब लिखना एक उम्मीद देता है.”
पत्रकार आरफा ख़ानम ने इंडिया अलायन्स द्वारा कुछ पत्रकारों के बहिष्कार पर कहा कि, “पिछले 10 सालों से मीडिया का एक वर्ग समाज में ज़हर घोल रहा है, मुसलमानों के ख़िलाफ़ एकतरफा ख़बर चला रहा है, कोरोना वायरस तक क़रार दे रहा, उनके नरसंहार का आह्वान करने वालों का महिमामंडन कर रहा है लेकिन विपक्ष अब तक ख़ामोश था.”
उन्होंने कहा, “अब जब विपक्ष को लगा कि उनपर आंच आ रही है तो मीडिया का बहिष्कार करना हैरत में डालने वाला है. क्या इस से पहले मीडिया का बहिष्कार नहीं किया जा सकता था?”
इंडियन नेशनल मुस्लिम लीग के सचिव और लोकसभा सांसद ई टी मोहम्मद बशीर ने कार्यक्रम में कहा कि, “मुस्लिम प्रतिनिधित्व को लेकर हमारी पार्टी केरला में काम कर रही है और मुसलमानों की शिक्षा और सामाजिक बराबरी के लिए एक लम्बा संघर्ष किया है.”
सांसद और AIUDF के अध्यक्ष मौलाना बदरुद्दीन अजमल ने कहा कि, “मुस्लिम प्रतिनिधित्व को लेकर हम असाम में काफी अरसे से काम कर रहे हैं और हमारे 16 विधायक हैं. मुसलमानों की शिक्षा के लिए हमने कई शिक्षण संस्थानों को खोला जिस से मुसलमानों में काफी जागरूकता आई है.”
उन्होंने कहा कि, अब्दुर्रहमान साहब की किताब बहुत महत्वपूर्ण है लेकिन सवाल यह है कि क्या विपक्ष मुस्लिम प्रतिनिधित्व को महत्वपूर्ण मानता है? इंडिया अलायन्स में मुसलमान चेहरा क्यों नहीं? मुस्लिम पार्टियां क्यों नहीं है?”
कार्यक्रम में हज़ारों की संख्या में छात्र, मुस्लिम युवा, पत्रकार और नागरिक समाज के लोग मौजूद थे.