इंडिया टुमारो
नई दिल्ली | राजस्थान हाईकोर्ट में शुक्रवार को एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की गई है जिसमें राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर अदालत की अवमानना का आरोप लगाते हुए उनके विरुद्ध कार्रवाई की मांग की गई है.
राजस्थान हाईकोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि, न्यायपालिका में भ्रष्टाचार के संबंध में बुधवार को दिए गए मुख्यमंत्री गहलोत के बयान जानबूझकर अदालतों को बदनाम करने के समान हैं.
दायर की गई याचिका में आरोप लगाया गया है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने देश की न्यायपालिका में भ्रष्टाचार का संगीन आरोप लगाया है.
यह याचिका अधिवक्ता शिव चरण गुप्ता द्वारा दायर किया गया है. याचिका में कहा गया है कि, न्यायपालिका में भ्रष्टाचार के संबंध में बुधवार को दिए गए गहलोत के बयान जानबूझकर न्यायपालिका को बदनाम करने वाले हैं.
याचिका में न्यायालय से भारतीय संविधान के अनुच्छेद 215 के तहत अपने अधिकार क्षेत्र का उपयोग करते हुए गहलोत के बयान पर स्वत: संज्ञान लेने की मांग की गई है.
ज्ञात हो कि बुधवार को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आरोप लगाया था कि उच्च न्यायिक संस्थानों सहित न्यायपालिका में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार है.
मीडिया से बात करने के दौरान उन्होंने दावा किया कि उन्होंने सुना है कि कुछ वकील फैसले लिखते हैं और उन्हें अदालत में ले जाते हैं, जहां उन्हें सुनाया जाता है.
अशोक गहलोत ने बुधवार को मीडिया से बात करते हुए कहा था कि, “आज इतना करप्शन हो रहा है न्यायपालिका के अंदर. इतना भयंकर भ्रष्टाचार है, कई वकील लोग तो मैंने सुना है, लिख के ले जाते हैं जजमेंट और जजमेंट वही आता है.”
उन्होंने कहा “न्यायपालिका के अंदर क्या हो रहा है? चाहे लोअर हो, चाहे अपर हो, हालात बड़े गंभीर हैं. ये देशवासियों को समझना चाहिए.”
हालांकि मुख्यमंत्री गहलोत ने गुरुवार को सोशल मीडिया पर बयान साझा कर अपनी सफाई दी थी और कहा था कि न्यायपालिका का सम्मान करता हूं और मैंने जो बयान दिया है वह अनेकों रिटायर्ड न्यायाधीशों व रिटायर्ड मुख्य न्यायाधीशों तक ने ज्यूडिशियरी में भ्रष्टाचार पर टिप्पणयां की हैं एवं उस पर चिंता व्यक्त की है.
उन्होंने सोशल मीडिया पर अपनी बात साझा करते हुए कहा था कि, “कल मैंने ज्यूडिशियरी के करप्शन को लेकर जो कहा वो मेरी निजी राय नहीं हैं। मैंने हमेशा ज्यूडिशियरी का सम्मान एवं उस पर विश्वास किया है। समय-समय पर सुप्रीम कोर्ट के अनेकों रिटायर्ड न्यायाधीशों व रिटायर्ड मुख्य न्यायाधीशों तक ने ज्यूडिशियरी में भ्रष्टाचार पर टिप्पणयां की हैं एवं उस पर चिंता व्यक्त की है.”
उन्होंने कहा, “मेरा न्यायपालिका पर इतना विश्वास है कि मुख्यमंत्री के रूप में जजों की नियुक्ति हेतु हाईकोर्ट कॉलेजियम के जो नाम हमारे पास टिप्पणी के लिए आते हैं, मैंने उन पर भी कभी कोई प्रतिकूल टिप्पणी नहीं की है। मेरा स्पष्ट मानना है कि हर नागरिक को न्यायपालिका का सम्मान करना चाहिए और ज्यूडिशियरी पर विश्वास करना चाहिए। इससे लोकतंत्र मजबूत होगा।.”
न्यूज़ रिपोर्ट के अनुसार, गहलोत ने कथित तौर पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधायक कैलाश मेघवाल द्वारा केंद्रीय कानून और न्याय राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल के खिलाफ लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों को भी संबोधित किया.
उन्होंने कहा, “कहा जाता है कि राजस्थान विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष कैलाश मेघवाल ने अर्जुन राम मेघवाल को “भ्रष्ट नंबर 1″ कहा था.”
मीडिया को संबोधित करते हुए गहलोत ने कहा था, “मुझे पता चला है कि उनके (अर्जुन राम मेघवाल के) समय में बहुत भ्रष्टाचार था. लेकिन मामले को दबा दिया गया है. इन लोगों ने हाईकोर्ट से स्टे ले रखा है.”