-सैयद ख़लीक अहमद
नई दिल्ली | भारत के उन मुस्लिम वैज्ञानिकों और इंजीनियरों से मिलिए जिन्होंने भारत के चंद्रमा मिशन की सफलता में योगदान दिया है.
उन्होंने अन्य वैज्ञानिकों के साथ मिलकर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की चंद्रयान-3 प्रोजेक्ट टीम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसने अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी की दुनिया में एक नया इतिहास लिखा, जिससे देश को प्रसिद्धि मिली और देश और दुनिया इस गौरवान्वित क्षण का साक्षी बना.
हमारे वैज्ञानिकों के कारण, भारत अब अमेरिका, रूस और चीन के साथ खड़ा है – जो अंतरिक्ष यान प्रौद्योगिकी में महारत हासिल कर चुके हैं. यह कहना गलत नहीं होगा कि भारत अंतरिक्ष यान विज्ञान में “विश्व गुरु” (विश्व नेताओं) में से एक के रूप में उभरा है.
यहां उन कुछ मुस्लिम वैज्ञानिकों के नाम और संक्षिप्त परिचय दिए गए हैं जो चंद्रयान-3 टीम का हिस्सा थे.
सना फ़िरोज़, पूर्वी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार इंजीनियरिंग में बी.टेक. (2006-2010) किया और उन 54 महिला वैज्ञानिकों और इंजीनियरों में से हैं जिन्होंने चंद्रयान -3 की सफलता में योगदान दिया.
आज़मगढ़ के पड़ोसी छोटे से एक शहर मऊ की रहने वाली सना 2013 से मोहाली में इसरो के साथ काम कर रही हैं.
यासर अम्मार, जो सना के पति हैं और पूर्वी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार इंजीनियरिंग में बी.टेक. (2006-2010) किया है. इन्होने भी चंद्रयान -3 प्रोजेक्ट टीम का हिस्सा थे. यासिर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृहनगर गोरखपुर के मूल निवासी हैं. यासर इसरो की मोहाली यूनिट में काम करते हैं.
यासर, जो 2010 से इसरो के साथ काम कर रहे हैं, ने कई शोध पत्र लिखे हैं, जिनमें इसरो द्वारा प्रकाशित एक प्रतिष्ठित शोध पत्रिका, जर्नल ऑफ स्पेसक्राफ्ट टेक्नोलॉजी में प्रकाशित “Design and development of Silicon Photomultiplier for Photon Counting Applications” भी शामिल है.
मोहम्मद साबिर आलम एक इंजीनियर हैं, जिन्होंने चंद्रयान-3 मिशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान, तिरुवनंतपुरम (केरल) से एरोनॉटिकल और एस्ट्रोनॉटिकल इंजीनियरिंग में बीटेक की डिग्री हासिल करने के बाद वह 2018 से इसरो के तिरुवनंतपुरम केंद्र में काम कर रहे हैं.
अरीब अहमद एक युवा वैज्ञानिक हैं जिन्होंने चंद्रयान -3 की सफलता में बड़ा योगदान दिया. अरीब ने जामिया मिलिया इस्लामिया से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बी.टेक (2015-19 बैच) किया है. वह यूपी के मुजफ्फरनगर जिले से हैं, जहां देश ने अगस्त-सितंबर 2013 में भयानक सांप्रदायिक दंगे देखे थे, जिसमें 42 मुस्लिम और 20 हिंदू मारे गए थे. 50,000 से अधिक मुसलमान विस्थापित हुए, जिनमें से कई अभी तक अपने मूल घरों और गांवों में नहीं लौटे हैं.
अरीब अहमद
इसरो की श्रीहरिकोटा में तैनात, अरीब 14 जुलाई, 2023 से चंद्रयान -3 लॉन्च होने से पहले एक निरीक्षण दल का हिस्सा थे. अंतरिक्ष यान छह सप्ताह की अवधि में 23 अगस्त, 2023 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में उतरा.
अख्तर अब्बास जो पूर्वी उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले के मूल निवासी हैं और केरल के तिरुवनंतपुरम में तैनात हैं. इन्होंने भी चंद्रयान-3 प्रोजेक्ट में काम किया. अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से बी.टेक (2006-2010) और मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, इलाहाबाद से एम.टेक कर वह मार्च 2015 से इसरो के साथ काम कर रहे हैं. इसरो में शामिल होने से पहले, उन्होंने डीआईटी देहरादून में विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के रूप में काम किया था और इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड में संचालन प्रबंधक भी रहे.
अख्तर अब्बास
इशरत जमाल, चंद्रयान-3 प्रोजेक्ट का हिस्सा थे, उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बीटेक और आईआईटी, कानपुर से पावर एंड कंट्रोल में एमटेक किया है. वह पिछले छह साल से इसरो के साथ काम कर रहे हैं. वह वर्तमान में बेंगलुरु में इसरो की अनुसंधान यूनिट में तैनात हैं.
इशरत जमाल
एक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर उन्होंने पोस्ट में लिखा है, “मैं एक पावर इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर हूं, जिसके पास विभिन्न रेडियो फ्रीक्वेंसी (आरएफ) सबसिस्टम, जैसे सॉलिड स्टेट पावर एम्पलीफायर्स (एसएसपीए) और ट्रैवलिंग वेव ट्यूब एम्पलीफायर्स के लिए सिंथेटिक एपर्चर रडार (SAR) पेलोड के TWTAs, स्पेस क्वालिफाइड इलेक्ट्रॉनिक पावर कंडीशनर (ईपीसी)/पावर सप्लाई के डिजाइन और विकास का अनुभव है.”
ख़ुशबू मिर्ज़ा एक मुस्लिम महिला वैज्ञानिक हैं, जो चंद्रयान-3 प्रोजेक्ट में शामिल थीं. उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में बी.टेक किया है और ग्रेटर नोएडा में इसरो केंद्र में काम करती हैं.
वह ArcGIS उत्पादों में कुशल एक अनुभवी वैज्ञानिक हैं. ArcGIS क्लाइंट, सर्वर और ऑनलाइन भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) सॉफ्टवेयर का एक परिवार है जिसे ईएसआरआई (पर्यावरण प्रणाली अनुसंधान संस्थान) द्वारा विकसित और रखरखाव किया जाता है. Esri एक अमेरिकी बहुराष्ट्रीय भौगोलिक सूचना प्रणाली सॉफ्टवेयर कंपनी है.
मोहम्मद काशिफ भी चंद्रयान-3 मिशन का हिस्सा हैं और एक कुशल इंजीनियर हैं. काशिफ जामिया मिलिया इस्लामिया से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक हैं. वह दिसंबर 2021 में इसरो के बेंगलुरु केंद्र में शामिल हुए. उन्होंने 2021 में इसरो भर्ती में शीर्ष रैंक प्राप्त की थी.