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Monday, April 29, 2024
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सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर हिंसा की जांच के लिए तीन पूर्व जजों की ‘न्यायिक समिति’ का गठन किया

इंडिया टुमारो

नई दिल्ली | सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर में हिंसा की विभिन्न घटनाओं की जांच के लिए सोमवार को हाईकोर्ट के तीन पूर्व न्यायाधीशों की एक कमेटी का गठन किया.

जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय की पूर्व मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय महिला न्यायिक समिति गठित हुई है.

इस तीन सदस्यीय न्यायिक जांच समिति में जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस पद से रिटायर जस्टिस गीता मित्तल, जस्टिस आशा मेनन और जस्टिस शालिनी पनसाकर जोशी शामिल हैं.

अदालत ने कहा कि कमेटी जांच के अलावा पुनर्वास और अन्य मुद्दों की भी निगरानी करेगी.

यह समिति एक “व्यापक आधार वाली समिति” होगी जो राहत, उपचारात्मक उपाय, पुनर्वास उपाय, घरों और पूजा स्थलों की बहाली सहित चीजों को देखेगी.

CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा है कि सरकार समिति में शामिल तीनों पूर्व महिला जजों को सुरक्षा प्रदान करे.

समिति के पास चल रही जांच की जांच करने के अलावा अन्य उपचारात्मक उपायों, मुआवजे और पुनर्वास का सुझाव देने का व्यापक कार्य होगा.

भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने हालांकि, यह स्पष्ट कर दिया कि समिति सीबीआई की जगह नहीं लेगी, बल्कि कानून के शासन में विश्वास सुनिश्चित करने के लिए इसका गठन किया जा रहा है.

कोर्ट ने कहा, “व्यापक रूपरेखा यह है कि कानून के शासन में विश्वास बहाल करने के लिए हमारी शक्ति में जो कुछ भी है उसका उपयोग करना है. हम 3 पूर्व हाईकोर्ट न्यायाधीशों की एक समिति नियुक्त करेंगे. तीन जजों की यह समिति जांच, राहत, उपचारात्मक उपाय, मुआवजा और पुनर्वास पर गौर करेगी. यह एक व्यापक आधार वाली समिति है.. यह राहत शिविरों को भी देखेगी.”

हालाँकि, न्यायालय ने मामलों की सुनवाई को मणिपुर के बाहर किसी राज्य में स्थानांतरित करने से इनकार कर दिया.

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि वह सीबीआई पर कोई आरोप नहीं लगा रहा है.

पीठ ने स्पष्ट किया, “हम सीबीआई का स्थान नहीं लेंगे क्योंकि वह इस पर विचार कर रही है। लेकिन कानून के शासन में विश्वास सुनिश्चित करने के लिए हम सीबीआई पर कोई लांछन नहीं लगा रहे हैं.”

इसके अलावा, जांच एजेंसियों की जांच भी विशेष रूप से महाराष्ट्र के पूर्व डीजीपी और एनआईए अधिकारी दत्तात्रेय पडसलगीकर देखेंगे.

कोर्ट ने कहा, “हमने एक पूर्व पुलिस अधिकारी की पहचान की है जो पर्यवेक्षण की एक और परत का नेतृत्व करेगा जो हमें रिपोर्ट करेगा। पूर्व पुलिस अधिकारी दत्तात्रय पडसलगीकर होंगे.”

पीठ ने आदेश दिया कि न्यायिक समिति और दत्तात्रेय पडसलगीकर दोनों शीर्ष अदालत के समक्ष अलग-अलग रिपोर्ट पेश करेंगे.

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, कोर्ट मणिपुर में हिंसा फैलने के संबंध में दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें कुकी-ज़ोमी समुदाय की दो महिलाओं की याचिका भी शामिल थी, जिन्हें एक वीडियो में पुरुषों की भीड़ द्वारा नग्न परेड करते और छेड़छाड़ करते हुए देखा गया था.

ज्ञात हो कि केंद्र सरकार ने इस मामले की जांच सीबीआई से कराने के आदेश दिए थे.

इस बीच, महिलाओं ने घटना की एसआईटी से जांच कराने की मांग करते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया गया था.

दो महिलाओं के साथ हुई भयावह घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद देशभर में आक्रोश फैल गया था, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी स्वत: संज्ञान लेते हुए मामला दर्ज किया था.

मामले की सुनवाई के दौरान, 1 अगस्त को कोर्ट ने मणिपुर में कानून-व्यवस्था की स्थिति को नियंत्रित करने में विफलता पर अधिकारियों और राज्य पुलिस को फटकार लगाई थी.

सुप्रीम कोर्ट ने सख़्त टिप्पणी करते हुए कहा था कि राज्य पुलिस महिलाओं के खिलाफ यौन अपराधों सहित राज्य भर में होने वाले अपराधों की जांच करने में असमर्थ है, और कानून और व्यवस्था तंत्र पूरी तरह से ध्वस्त हो गया है.

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