-सैयद ख़लीक अहमद
नई दिल्ली | मुस्लिम वर्ल्ड लीग के महासचिव डॉ. मोहम्मद बिन अब्दुलकरीम अल-इस्सा और भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल ने कहा कि विविधता मानव अस्तित्व का स्वाभाविक रूप है. डोभाल ने यह भी कहा कि लगभग 20 करोड़ और 33 मुस्लिम देशों की आबादी के बराबर भारतीय मुसलमानों की आतंकवाद में भागीदारी अविश्वसनीय रूप से कम है.
दोनों नेताओं ने मंगलवार को यहां आईआईसीसी के परिसर में खुसरो फाउंडेशन और इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर (आईआईसीसी) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए अपनी यह टिप्पणियां कीं.
अरबी से अंग्रेजी भाषा में अनुवादित अपने भाषण में डॉ. अल-इस्सा ने भारत की विविधता और संस्कृति की सराहना की और कहा कि मानव जीवन की शुरुआत से ही पृथ्वी पर विविधता अस्तित्व में रही है.
इस बात की पुष्टि करते हुए कि विविधता मानव जीवन का अभिन्न हिस्सा है, उन्होंने कहा कि विविधता कई रूपों में मौजूद है जैसे धार्मिक विविधता, भाषाई विविधता और अन्य प्रकार की विविधता. उन्होंने बताया कि यदि हम विविधता के वास्तविक उद्देश्य और अर्थ को समझ सकें, तो इससे हमारी सोच में सकारात्मक बदलाव आ सकता है.
अक्सर उद्धृत किये जाने वाले वाक्यांश ‘अनेकता में एकता’ का ज़िक्र करते हुए एमडब्ल्यूएल सुप्रीमो ने कहा कि यह केवल किताबों में नहीं रहना चाहिए बल्कि इसे ज़मीन पर लागू करने की ज़रूरत है.
इस बात पर ज़ोर देते हुए कि विश्व मुस्लिम लीग का दुनिया भर में विभिन्न धर्मों के साथ गठबंधन है, डॉ. अल-इस्सा ने कहा कि उन्हें पता था कि भारत एक हिंदू बहुसंख्यक देश है, फिर भी डब्लूएमएल ने श्री श्री रविशंकर और सद्गुरु(जग्गी वासुदेव) के साथ दोस्ती के माध्यम से जुड़े क्योंकि डब्लूएमएल मानव समाज में संस्कृति और आस्था की विविधता में विश्वास करता है.
यह कहते हुए कि भारत में एक धर्मनिरपेक्ष संविधान है, उन्होंने कहा कि भारतीय समाज का मुस्लिम घटक बहुत महत्वपूर्ण है और उन्हें (मुसलमानों को) अपने देश के संविधान पर बहुत गर्व है.
मानव अस्तित्व के मूलभूत विशेषता के रूप में विविधता पर डॉ. अल-इसा के विचारों की प्रशंसा करते हुए, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने कहा कि, पवित्र कुरान भी विविधता में एकता पर केंद्रित है.
पवित्र कुरान की अनुवादित आयतों का हवाला देते हुए अजीत डोभाल ने कहा कि, पवित्र कुरान में ही उल्लेख किया गया है कि ईश्वर ने मनुष्यों को बनाया और उन्हें एक दूसरे की सुविधा के लिए जनजातियों और समूहों में विभाजित किया, न कि किसी अन्य कारण से.