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Sunday, April 28, 2024
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BJP शासित राज्यों में दलित, मुस्लिम और आदिवासियों के विरुद्ध बढ़े अमानवीय कृत्यों के मामले

अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टुमारो

नई दिल्ली | देश में इन दिनों आदिवासी, मुस्लिम और दलित समाज के लोगों का अपमान कर मानवता को शर्मसार करने का दौर चल रहा है। इनको अपमानित करने वाले सर उठाकर चल रहे हैं, लेकिन कार्यवाही करने के नाम पर केवल रस्म अदायगी की जा रही है।

आदिवासी, मुस्लिम और दलित समाज के लोगों को अपमानित करने की घटनाएं मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की हैं। मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकारें हैं। “भाजपा का नारा है -सबका साथ, सबका विकास।” लेकिन यहां पर भाजपा विधायक के प्रतिनिधि ने ही एक आदिवासी व्यक्ति पर पेशाब करके न केवल मानवता को शर्मसार किया है बल्कि भाजपा के “सबका साथ, सबका विकास” के दावे को ज़मीन पर उतारा है।

यह पहली घटना मध्य प्रदेश के सीधी जिले की है, जहां पर भाजपा विधायक केदारनाथ शुक्ला के प्रतिनिधि प्रवेश शुक्ला द्वारा घटित की गई। इस घटना में भाजपा विधायक केदारनाथ शुक्ला के प्रतिनिधि प्रवेश शुक्ला ने आदिवासी समाज के एक व्यक्ति के ऊपर सरेआम पेशाब करके न केवल उस व्यक्ति का अपमान किया है बल्कि मानवता को शर्मसार कर दिया है।

इस घटना के घटित होने के बाद मध्य प्रदेश में विपक्षी पार्टी कांग्रेस द्वारा राज्य की शिवराज सिंह चौहान की सरकार को कटघरे में खड़ा किया गया, तब इस मामले में कार्यवाही हुई।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपनी सरकार की और अपनी कुर्सी की इज़्ज़त बचाने के लिए इस घटना में पीड़ित आदिवासी समाज के व्यक्ति को भोपाल में अपने बंगले पर बुलवाकर उसके पैर धुले और माफी मांगी और मदद की। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उस व्यक्ति से कहा कि, वह उसकी मदद के लिए हमेशा उपलब्ध रहेंगे।

इसके अलावा दोषी प्रवेश शुक्ला को गिरफ्तार कर लिया गया और उसके ऊपर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत मामला दर्ज कर जेल में डाल दिया गया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यह कार्यवाही इसलिए की, क्योंकि इसी साल नवम्बर में राज्य में विधानसभा चुनाव होने हैं और इस घटना से उनको आदिवासियों के भाजपा के पाले से खिसक जाने का डर सताने लगा था।

आईए अब हम मध्य प्रदेश में ही घटित हुई दूसरी घटना की चर्चा करते हैं। दूसरी घटना ग्वालियर के डबरा नामक स्थान पर घटित हुई है। इसमें मुस्लिम समाज के एक युवक मोहसिन खान को गोलू गुज्जर नामक गुंडे ने फोन करके बुलवाया। मोहसिन खान के पहुंचने पर गोलू गुज्जर और उसके साथियों ने उसको उठाकर अपनी गाड़ी में डाल लिया और गाड़ी को शहर की सड़कों पर फर्राटे से दौड़ाता रहा। इसके साथ ही वह और उसके साथी मोहसिन खान को चप्पलों और थप्पड़ों से पीटते रहे।

गोलू गुज्जर ने मोहसिन खान से अपने पैर की मालिश करवाई। इस पर भी जब उसका मन नहीं भरा, तो उसने मोहसिन खान से अपने पैर के तलवे तक चटवाया। इस मामले का वीडियो वायरल होने पर ग्वालियर पुलिस के एसपी ने एक ट्वीट कर कहा है कि, “दिनांक 07/07/2023 को शोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें 4 युवकों द्वारा 02 युवकों के साथ कार में मारपीट की जा रही थी। उक्त वीडियो ग्वालियर पुलिस के संज्ञान में आने पर पुलिस द्वारा त्वरित कार्यवाही करते हुए उक्त वीडियो में मारपीट करने वाले 04 युवकों के खिलाफ थाना विश्वविद्यालय में अपहरण व मारपीट का प्रकरण कायम किया गया है।”

उन्होंने अपने ट्वीट में आगे कहा है कि, “उक्त प्रकरण के 04 आरोपियों में से 02 आरोपियों को पुलिस द्वारा पकड़ लिया गया है, जिसमें एक मुख्य आरोपी है, शेष आरोपियों की गिरफ्तारी हेतु पुलिस टीमों को लगाया गया है, जिन्हें शीघ्र गिरफ्तार कर लिया जाएगा। वायरल वीडियो में दिख रहे पीड़ित व उसके साथियों द्वारा पूर्व में दिनांक 21 मई 2023 को थाना डबरा क्षेत्र में आरोपियों के साथ मारपीट की गई थी, जिसमें थाना डबरा में अपराध पंजीकृत किया जाकर चलानी कार्यवाही की गई है।”

ग्वालियर पुलिस अधीक्षक का यह ट्वीट घटना को हल्का साबित करने वाला है, जिसे वह इस घटना के साथ जोड़कर बता रहे हैं। पुलिस अधीक्षक इस तरह से ट्वीट कर मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान की सरकार का बचाव कर रहे हैं। इस मामले में सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि अभी तक मध्य प्रदेश सरकार की ओर से या मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं व्यक्त की गई है।

इसका सबसे दुःखद पहलू यह है कि पीड़ित व्यक्ति मुस्लिम समाज का है, इसलिए भाजपाई मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस मामले में चुप्पी साध ली है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की यह चुप्पी यह बताती है कि भाजपा मुस्लिम विरोधी है। उसकी कथनी और करनी में अंतर है। भाजपा केवल मुसलमानों के हितैषी होने का ढोंग करती है। अगर इस बात में सच्चाई नहीं है, तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इस मामले पर चुप्पी क्यों साधे हुये हैं।

तीसरा मामला यूपी का है। यूपी के सोनभद्र जिले में एक दलित युवक को बिजली विभाग के एक कर्मचारी द्वारा न केवल जमकर पीटा गया बल्कि पीड़ित युवक से अपनी चप्पल भी चाटने को मजबूर किया। बताया जाता है कि उक्त मामला सोनभद्र के ग्राम -बालडीह का है।

6 जुलाई को दलित युवक जितेंद्र कुमार अपने मामा के यहां बालडीह ग्राम आया हुआ था। उसने देखा कि उसके मामा के यहां लाइट नहीं है, इस पर उसने लाइट को जोड़ दिया। इस पर वहां मौजूद अन्य गांव वालों ने भी उससे लाइट जोड़ने के लिए कहा। इस पर उसने लोगों की मदद की और सभी की लाइट चालू कर दिया।

जितेंद्र कुमार बिजली विभाग में संविदा कर्मचारी है। इसी जिले के शाहगंज थाना निवासी तेजबली पटेल, जो खुद बिजली विभाग में संविदा कर्मचारी है को इसकी जानकारी प्राप्त हुई, तो वह वहां पर पहुंचा। उसने जितेंद्र कुमार के साथ मारपीट शुरू कर दी और गाली -गलौज किया। इसके बाद तेजबली पटेल जितेंद्र कुमार को लेकर पावर हाउस गया और वहां पर उससे अभद्रता की। यही नहीं तेजबली पटेल ने जितेंद्र कुमार से अपने चप्पल भी चटवाया। इसके बाद इसका वीडियो वायरल हो गया, तो पुलिस हरकत में आई। पुलिस ने आरोपी तेजबली पटेल को गिरफ्तार कर लिया है।

इस घटना के सामने आने के बाद विंध्याचल रेंज के डीआईजी आर पी सिंह भारी पुलिस फोर्स को लेकर बालडीह गांव पहुंच गए हैं और उन्होंने गांव में भारी संख्या में पुलिस फोर्स को तैनात कर दिया है। गांव में इस घटना को लेकर काफी तनाव है। डीआईजी आर पी सिंह जांच की बात कहकर पीड़ित जितेंद्र कुमार को अपने साथ ले गए हैं और उन्होंने पीड़ित परिवार को न्याय का भरोसा दिलाया है। पीड़ित परिवार से मीडिया को मिलने से रोक दिया गया है। डीआईजी आर पी सिंह ने भी इस मामले पर मीडिया से कोई बात नहीं की है।

इस घटना के आरोपी तेजबली पटेल को बिजली विभाग के संविदा कर्मचारी के पद से हटा दिया गया है। लेकिन अभी तक पीड़ित जितेंद्र कुमार के लिए यूपी की योगी आदित्यनाथ की सरकार ने कोई मदद नहीं घोषित की है। योगी आदित्यनाथ की सरकार इस मामले को रफ़ा-दफा करने में जुट गई है।

मध्य प्रदेश और यूपी की इन घटनाओं से यह साबित हो गया है कि भाजपा की कथनी और करनी में अंतर है। भाजपा की राज्य सरकारों में आदिवासी, मुस्लिम और दलित सुरक्षित नहीं हैं। इनके अपमान करने के मामलों में भाजपा की राज्य सरकारें संवेदनहीन हैं।

भाजपा की नज़र में आदिवासी, मुस्लिम और दलित उनके लिए कोई मायने नहीं रखते हैं। लेकिन इन घटनाओं से भाजपा की राज्य सरकारों के दोहरे चरित्र का खुलासा हो गया है और पीड़ित व्यक्ति तो अपमानित हुए हैं, किंतु भाजपा गंदी राजनीति भी शर्मसार हो गई है।

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