अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टुमारो
नई दिल्ली | सुप्रीम कोर्ट ने सपा नेता यूसुफ मलिक के खिलाफ रासुका लगाने के लिए यूपी सरकार को कड़ी फटकार लगाई है और एनएसए को तुरंत रद्द करते हुए उनको तत्काल रिहा करने का निर्देश दिया है।
ज्ञात हो कि सपा नेता युसुफ मलिक को अप्रैल 2022 में गिरफ्तार किया गया था और उनके ऊपर रासुका लगाया गया था। उनके खिलाफ सरकारी अधिकारियों को धमकाने और उनके रिश्तेदारों की संपत्ति से राजस्व की वसूली सहित उनके काम को रो कने के लिए 2 एफआईआर दर्ज की गई थीं।
युसुफ मलिक ने जुलाई 2022 में अपनी नजरबंदी यानी रासुका के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। लेकिन उनकी याचिका पर हाईकोर्ट ने कोई निर्णय नहीं लिया और उनके मामले में देरी होती गई। इसको देखते हुए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली।
सुप्रीम कोर्ट में उनके मामले की सुनवाई सोमवार को हुई। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से कहा कि यूसुफ मलिक को तुरंत रिहा किया जाए या अदालत के आदेश के लिए तैयार रहें।
कल मंगलवार 11 अप्रैल 2023 को इस मामले की फिर सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ में हुई।
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने इस मामले की सुनवाई करते हुए यूपी सरकार को कड़ी फटकार लगाई। पीठ ने इस मामले पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि, “इस तरह से एनएसए लगाना दुरुपयोग के समान है। एनएसए को राजनीतिक प्रकृति के मामलों में लागू नहीं किया जाना चाहिए।”
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि, “हम काफी हैरान हैं कि संपत्ति के लिए राजस्व की वसूली के मामलों में एनएसए लगाया जा रहा है। यूसुफ मलिक के खिलाफ की गई एनएसए की कार्यवाही को हम रद्द करते हैं और उसे तत्काल मुक्त करते हैं।”
यूपी सरकार की ओर सुप्रीम कोर्ट से आदेश नहीं पारित करने की अपील की गई और कहा गया कि, “यूसुफ मलिक की नजरबंदी का एक वर्ष 23 अप्रैल को पूरा हो जाएगा और उन्हें उस अवधि से अधिक हिरासत में नहीं लिया जा सकता है और वह 12 दिनों के बाद बाहर आ जाएंगे।”
लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार की बात को सुनने से इंकार करते हुए उसको अस्वीकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, “यह कानून का दुरुपयोग है।”
यूसुफ मलिक के वकील वसीम कादरी ने कहा कि, “यूसुफ मलिक को झूठे मामलों में फंसाया गया था। राज्य में वर्तमान सत्तारूढ़ दल के हाथों पुलिस द्वारा राजनीतिक प्रतिशोध का शिकार बनाया गया था।”
महत्वपूर्ण बात यह है कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया है कि इस सूचना को रामपुर जिला न्यायाधीश को अविलंब भेजा जाए, ताकि मलिक को तुरंत जेल से रिहा किया जा सके।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से यूपी सरकार को तगड़ा झटका लगा है। यूपी सरकार मुसलमानों के मामले बदले की भूमिका निभाते हुए काम करती है और मुसलमानों का जमकर उत्पीड़न करती है। यही नहीं मुसलमानों का उत्पीड़न करने के लिए निम्न स्तर पर उतर जाती है और कानून का जमकर दुरुपयोग करती है।
यूसुफ मलिक के मामले में भी योगी आदित्यनाथ की सरकार ने कानून का जमकर दुरुपयोग किया। सुप्रीम कोर्ट में फैसले के वक्त भी अपनी बात को कहकर यूसुफ मलिक को एक साल तक नजरबंद रखने की बात कही और 23 अप्रैल 2023 को एक साल पूरा हो जाने पर यूसुफ मलिक के स्वतः छूट जाने की बात कही।
लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार की बात को अस्वीकार कर दिया और यूसुफ मलिक की रासुका को रद्द कर उनको तुरंत जेल से रिहा करने का आदेश दिया।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से यूपी सरकार की मनमानी उजागर हो गई है और योगी आदित्यनाथ की सरकार यूसुफ मलिक के मामले में बैकफुट पर आ गई है। यूपी सरकार इस मामले में अब अपना मुंह छिपा रही है।