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Tuesday, April 30, 2024
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हमीरपुर के डीएम को इलाहाबाद हाईकोर्ट की फटकार, कहा- जिलाधिकारी को ट्रेनिंग की ज़रूरत


अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टुमारो

लखनऊ | इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हमीरपुर जिले के डीएम की मनमानी पर अंकुश लगाते हुए उन्हें प्रशिक्षण दिलाने का राज्य के मुख्य सचिव को आदेश दिया है। हाईकोर्ट के इस आदेश से यूपी की अफसरशाही को शर्मिंदगी उठानी पड़ रही है।

यूपी के हमीरपुर जिले में एक मामला सामने आया है, जहां के डीएम डॉ. चंद्र भूषण ने मनमानी करके एक चुने हुए ग्राम प्रधान के वित्तीय और प्रशासनिक अधिकार छीन लिए। इससे ग्राम पंचायत का विकास कार्य रुक गया है और ग्राम प्रधान को वित्तीय संकट का सामना करना पड़ा।

यूपी के हमीरपुर जिले के सिमनौड़ी गांव की महिला प्रधान के वित्तीय और प्रशासनिक अधिकार डीएम के आदेश पर सीज कर लिए गए थे। इस मामले में कमेटी गठित करने का भी डीएम ने आदेश दिया था। इस आदेश के खिलाफ महिला प्रधान ने हाईकोर्ट में अपील की थी।

सिमनौडी ग्राम के 11 ग्राम पंचायत सदस्यों में से 8 ने बीते साल अगस्त माह में ग्राम प्रधान रजनी वाल्मीकि पर भ्रष्टाचार और अन्य मामले के आरोप लगाते हुए डीएम से शिकायत की थी। इस पर प्रारंभिक जांच के बाद डीएम हमीरपुर डॉ. चंद्रभूषण ने कारण बताओ नोटिस जारी कर ग्राम प्रधान रजनी वाल्मीकि से 3 आरोपों का जवाब मांगा था।

नोटिस में ग्राम प्रधान से पहले आरोप में पूछा गया था कि वह ग्राम सभा की समय से बैठक नहीं बुलाती? दूसरे आरोप में यह पूछा गया था कि गाय शेड में पानी भरा है? और तीसरे आरोप में पूंछा गया था कि वह मनरेगा दस्तावेज पेश नहीं करती हैं? जिसका जवाब ग्राम प्रधान रजनी वाल्मीकि ने दिया और उसने बैठकों की तिथि पेश कर कहा कि बैठक समय पर होती है। गाय शेड की व्यवस्था दुरुस्त करने के कदम उठाए गए हैं और भारी बरसात के कारण मनरेगा दस्तावेज तैयार नहीं हो सके थे।

इस जवाब के बाद 18 फरवरी को डीएम चंद्र भूषण ने ग्राम प्रधान रजनी वाल्मीकि के अधिकार सीज कर दिये और एक कमेटी गठित कर दी। इस आदेश के खिलाफ ग्राम प्रधान रजनी वाल्मीकि ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की शरण ली और एक याचिका दायर की।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ग्राम प्रधान रजनी वाल्मीकि की याचिका स्वीकार कर इस मामले की सुनवाई की। जस्टिस पंकज भाटिया की पीठ में इसकी सुनवाई हुई। जस्टिस पंकज भाटिया ने सभी को सुना और उसके बाद डीएम चंद्रभूषण के खिलाफ आदेश पारित किया तथा इस आदेश का पालन करने के लिए यूपी के मुख्य सचिव को निर्देश दिया।

जस्टिस पंकज भाटिया ने कहा कि, “न्यायिक सिद्धान्तों को दरकिनार कर जिलाधिकारी ने बिना किसी आधार के मनमाने तौर पर ग्राम प्रधान के वित्तीय व प्रशासनिक अधिकार छीन लिए।”

जस्टिस पंकज भाटिया ने राज्य के मुख्य सचिव को निर्देश देते हुए कहा कि, “वह हमीरपुर के जिलाधिकारी डॉ. चंद्र भूषण को उचित प्रशिक्षण दिलाएं, ताकि भविष्य में दोबारा गलती न कर सकें।”

जस्टिस पंकज भाटिया ने पंचायत राज एक्ट की धारा 95(1) जी के तत्वों का परिशीलन करते हुए कहा कि, “ग्राम प्रधान के अधिकार छीनना गंभीर मामला है। इसे सावधानी से इस्तेमाल करना चाहिए। जांच रिपोर्ट व कार्यवाही में ऐसा कोई तत्व नहीं मिला, जिसके आधार पर अधिकार छीने जा सकते हैं। जिलाधिकारी ने न्यायिक विवेक का इस्तेमाल नहीं किया। जांच कमेटी में शिकायतकर्ता को रखकर न्यायिक मापदंडों का उल्लंघन किया और मनमाना विधि विरुद्ध आदेश जारी कर ग्राम प्रधान के अधिकार छीन लिए।”

हाईकोर्ट ने इसके साथ ही ग्राम प्रधान रजनी वाल्मीकि के सीज किए गए जिलाधिकारी डॉ. चंद्र भूषण के आदेश को रद्द कर दिया और हाईकोर्ट द्वारा की गई टिप्पणी को डॉ. चंद्र भूषण की चरित्र पंजिका में दर्ज करने का निर्देश दिया। इसके साथ ही इस मामले का निस्तारण कर दिया।

इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा हमीरपुर के डीएम डॉ. चंद्र भूषण के खिलाफ आदेश देने से यूपी की अफसरशाही को तगड़ा झटका लगा है। हाईकोर्ट द्वारा राज्य के मुख्य सचिव को हमीरपुर के डीएम डॉ. चंद्र भूषण को उचित प्रशिक्षण दिलाने का निर्देश देने ताकि वह भविष्य में दोबारा गलती न कर सकें से यूपी की अफसरशाही को शर्मिंदगी उठानी पड़ी है।

अब अफसरशाही को हाईकोर्ट के आदेश से सबक लेते हुए मनमानी, स्वेच्छाचारी और हठधर्मिता छोंड़नी होगी। उनको केवल विधिसम्मत कार्य ही करना पड़ेगा।

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