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Monday, April 29, 2024
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लखनऊ: हिजाब में नौकरी करती भारत की पहली गेट वुमेन मिर्ज़ा सलमा

-काविश अज़ीज़

लखनऊ | हिंदुस्तान की पहली गेट वुमेन मिर्ज़ा सलमा उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के मल्हौर रेलवे स्टेशन पर ड्यूटी करती हैं. जब रेलवे फाटक खुलता और बंद होता है तो लोगों की निगाह हिजाब पहने हुए फाटक खोलने वाली महिला मिर्ज़ा सलमा पर पड़ती है और लोग हैरत से देखते हैं कि बरसों से जो काम मर्द करते चले आ रहे थे वह एक महिला कैसे कर सकती है.

ट्रेन से गुज़रने वाले भी सलमा को हैरत से देखते हैं, हाथों में झंडा लिए सलमा उस वक्त तक खड़ी रहती हैं जब तक ट्रेन चली नहीं जाती और फिर ट्रेन की टाइमिंग एक डायरी पर नोट करती हैं और अगली ट्रेन का इंतजार करती हैं.

भारत की पहली गेट वुमेन मिर्ज़ा सलमा लखनऊ के मल्हौर स्टेशन पर पिछले 10 साल से नौकरी करती हैं. शुरुआत में नौकरी में उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा, समाज के ताने सुनने पड़े लेकिन संघर्ष करती हुई सलमा अपनी पहचान के साथ हिजाब पहनते हुए नौकरी कर रही हैं. सलमा कहती हैं- “संघर्ष से ही इतिहास लिखा जाता है”

सलमा ने लखनऊ विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन किया है. 29 वर्षीय सलमा पिछले 10 वर्षों से यह नौकरी कर रही हैं. सलमा का एक बेटा भी है, 12 घंटे की ड्यूटी के साथ बच्चे की देखभाल और घर संभालना काफी मुश्किल हैं लेकिन यह सभी ज़िम्मेदारी सलमा बखूबी अंजाम देती हैं.

शुरुआत में ताने सुनने पड़े, अब सभी फ़ख्र करते हैं

इंडिया टुमारो से मिर्ज़ा सलमा ने बात करते हुए इस नौकरी के पीछे की पूरी कहानी बयान किया. वो कहती हैं, “जब मैंने यह नौकरी शुरू किया दो रिश्तेदारों ने बड़े तंज़ कसे, अम्मी अब्बू से आकर कहा यह मर्दों की नौकरी बेटी से क्यों करवा रहे हो? लेकिन जिस दिन अख़बार में मेरी खबर छपी कि सलमा हिंदुस्तान की पहली गेट वुमन है तो उस दिन से ताना देने वाले मुझ पर फ़ख्र करने लगे”.

ट्रेनिंग पूरी करने के बाद हुई तैनाती

सलमा को अपने पिता की नौकरी मिली है, उनके पिता को कम सुनाई देता था, फिजिकली अनफिट थे, तबीयत भी खराब रहती थी इसलिए सलमा ने फैसला किया कि वह अपने पिता का काम संभालेंगी. रेलवे ने उनके इस फैसले का स्वागत किया. सलमा को पूरी प्रक्रिया से गुज़रना पड़ा, पहले एग्ज़ाम दिया, गेट खोलने बंद करने का प्रशिक्षण लिया और फिर हिंदुस्तान की पहली गेट वुमन बन गई.

12 घंटे की नौकरी के साथ 2 साल के बेटे की परवरिश

सलमा तीन वर्ष पूर्व शादी हुई, उनके पति भी सरकारी नौकरी में हैं, उनका 2 साल का बेटा भी है. 12 घंटे की नौकरी के साथ 2 साल के बेटे की परवरिश मुश्किल है लेकिन परिवार के सहयोग से ये कर पाती हैं. 12 घंटे की नौकरी के बाद जब वह घर जाती हैं तो फिर अपने बेटे की देखभाल करती हैं, हालांकि उनके पिता उनके साथ ही रहते हैं. दिन में बेटा सलमा के पिता के साथ ही रहता है और दिन में उसे मां की कमी महसूस नहीं करता.

हिजाब अपनी मर्ज़ी से पहनती हूं, मुझे अच्छा लगता है: सलमा

सलमा हिजाब में नौकरी करती हैं. वह कहती हैं, हिजाब के बगैर घर से निकलना पसंद नहीं. सलमा हिजाब लगाकर नौकरी कर रही है, चूंकि हिजाब को लेकर कुछ अराजक तत्वों द्वारा लगातार बवाल किया जाता है लिहाजा सलमा ने बताया की “मेरे स्टाफ में कभी किसी ने मुझे हिजाब के लिए कुछ नहीं कहा, मैं अपने शौक से हिजाब लगाती हूं क्योंकि मुझे बिना हिजाब के घर से निकलना पसंद नहीं है. मेरे घर वालों ने मुझ पर कभी कुछ थोपा नहीं और न ही किसी काम के लिए रोका, मेरे शौहर भी हर फैसले के साथ हैं.”

“जो संघर्ष करता है वही इतिहास रचता है”

अपने 10 साल के संघर्ष और लोगों के ताने वगैरह याद करते हुए सलमा कहती हैं कि शुरुआत में कठिनाइयां आईं लेकिन कठिनाइयों का सामना करने वाले ही इतिहास रचते हैं. 29 वर्षीय सलमा 22 साल की उम्र में गेट वुमन बनी थीं, आज उनको नौकरी करते हुए 10 साल गुज़र गए, वह कहती हैं शुरुआत में घबराहट होती थी, डर भी लगता था लेकिन अब सब कुछ सामान्य हो गया है. वह कहती हैं, “जो संघर्ष करता है वही इतिहास रचता है”

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