रहीम ख़ान
जयपुर | बिल्किस बानो रेप मामले में दोषियों की रिहाई के विरोध में और राजस्थान में बढ़ते महिला अपराध को लेकर बुधवार को विभिन्न संगठनों द्वारा जयपुर के शहीद स्मारक पर विरोध सभा व रैली का आयोजन किया गया. सभा में मुख्य वक्ता के रूप में सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा रॉय व वृंदा करात भी शामिल हुई.
राजस्थान के विभिन्न महिला एवं जन संगठनों ने प्रदेश में महिलाओं के साथ बढ़ती बलात्कार व यौन हिंसा की घटनाओं पर राजस्थान सरकार और पुलिस के गैर जिम्मेदाराना व उदासीन रवैये पर विरोध जताया.
महिला अधिकारों को लेकर प्रदर्शन कर रहे संगठनाें ने बिलकिस बानो के बलात्कारियों व उनके परिवार के सदस्यों के हत्यारों को बरी करने के गुजरात सरकार के निर्णय को वापस लेने की मांग की.
मीडिया में छपी रिपोर्ट्स के अनुसार राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 2 सितंबर 2022 को आरपीए के प्रशिक्षु उपनिरीक्षक व प्लाटून कमांडर के दीक्षांत समारोह में कहा था कि बलात्कार के आरोपी विदेश से नहीं आते. ज्यादातर मामलों मे परिवार जान पहचान और रिश्तेदार ही आरोपी होते हैं, रेप की सही घटना में पुलिस ने कार्रवाई नहीं की हो, ऐसा एक भी मामला नहीं है.
उन्होंने कहा था, महिला अत्याचार से संबंधित 56 प्रतिशत मामले झूठे दर्ज होने से राजस्थान पुलिस, सरकार और प्रदेश की छवि खराब हो रही है. सीएम ने डीजीपी को भी कहा कि झूठा मुकदमा दर्ज कराने वालों के खिलाफ भी कार्रवाई करे ताकि देश में राज्य की छवि खराब न हो.
मुख्यमंत्री के इस बयान की कड़ी निन्दा करते हुए वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता व NFIW की राष्ट्रीय अध्यक्ष अरुणा रॉय ने कहा कि, “पुलिस महिलाओं की FIR बंद करेगी और शिकायतकर्ता महिलाओं पर सख्त कार्यवाही होगी और पुलिस की कोई जवावबदेही भी नही होगी यह महिलाओं का अपमान है, हम चाहते हैं कि मुख्यमंत्री यह बयान वापस लें”.
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की वरिष्ठ नेता वृंदा करात ने अपने सम्बोधन में कहा कि, “मुख्यमंत्री अगर यह कहते हैं कि औरतें झूठी एफआईआर दर्ज करवाती हैं, तो उनमें और आरएसएस में जो यही मान्यता औरतों के बारे में रखती हैं, दोनों में क्या अंतर हुआ? मुख्यमंत्री को यह कथन वापस लेना चाहिए और महिलाओं से माफी भी माँगनी चाहिए.”
पीयूसीएल राजस्थान की अध्यक्ष कविता श्रीवास्तव ने बताया कि, “सभा में राजस्थान में महिलाओं और बालिकाओं पर बढ़ते बलात्कार, यौन हिंसा व अत्याचार के खिलाफ मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन पढ़ा गया और उनसे प्रदेश को महिला हिंसा मुक्त बनाने की मांग की गई. यह सभा चेतावनी सभा के रूप में रखी गई थी.”
कविता श्रीवास्तव ने कहा कि, “राजस्थान भर के महिला एंव जन संगठन एंव सभी प्रबुद्ध जन, राजस्थान में महिलाओं एंव बालिकाओं पर बढ़ती यौन हिंसा, बलात्कार एवं अत्याचार को लेकर बहुत नाराज़ है और चिंतित भी हैं. उन्होंने कहा कि बलात्कार व यौन हिंसा की बढ़ती घटनायें केवल आंकड़ों का सवाल: नहीं है बल्कि महिलाओं व बच्चियों के साथ बढ़ती असुरक्षा व अपराध का बुनियादी प्रश्न है.”
उन्होंने कहा, यह सरकार की नाकामी है कि राजस्थान में महिलाओं व बालिकाओं के लिए सुरक्षित माहौल नहीं दे सकी है, सही व न्यायपूर्ण जांच तो बहुत दूर की बात है.
दोनों मुख्य वक्ताओं ने गुजरात में बिलकिस बानो के अपराधियों को सजा से क्षमा कर रिहा कर देने की कड़े शब्दों में निंदा की और कहा की अपराधियों की रिहाई दिसम्बर में हो रहे गुजरात विधानसभा चुनावों के संदर्भ में हुई है, जिससे कि समाज में फिर से ध्रुवीकरण हो, जिसका लाभ सत्ताधारी दल बीजेपी को मिले.
विरोध सभा में वक्ताओं का यह उनका मानना था कि अगर इसको चुनौती नहीं दी गई तो आगे भी इसी तरह से जघन्य अपराध में सज़ा होने के बावजूद अपराधी को छोड़ दिया जायेगा.
उन्होंने कहा कि, “यह दौर इतना बुरा है की तीस्ता सीतलवाड़ जैसे न्याय की लड़ाई लड़ने वाले लोगों को भी अपराधी घोषित कर जेल भेज दिया जा रहा है. अगर हम सरकारों के महिला विरोधी निर्णयों के विरुद्ध खड़े नहीं होंगे तो औरतों के 50 सालों के कानून बनाने व उनको लागू करवाने के संघर्ष को मिटा दिया जायेगा. भले ही सरकार चाहे राजस्थान की हो या गुजरात या केन्द्रीय सरकार हो.”
सभा मे आये सभी प्रतिनिधियों के हस्ताक्षर करवाने के बाद बिलकिस बानो के बलात्कारियों व उनके परिवार के हत्यारों को वापिस जेल भेजने का ज्ञापन राष्ट्रपति, गुजरात के राज्यपाल और मुख्य न्यायाधीश के नाम भेजा गया.
मुख्यमंत्री को दिए गए ज्ञापन की मुख्य मांगे :
प्रदेश में महिलाओं और बालिकाओं पर हो रहे अत्याचार में रोक थाम के लिए
•2013 की निर्भया सामूहिक बलात्कार व हत्या कांड के संदर्भ में UPA सरकार द्वारा गठित जस्टिस जे एस वर्मा की रपट को पूर्ण रूप से लागू किया जाए उसमे प्रस्तावित बिल ऑफ राइट्स को विधान सभा में पारित करें और उसकी सिफारिशों को गंभीरता से लागू करें
•चरमराई और भ्रष्ट पुलिस व्यवस्था को ठीक करने के लिए प्रकाश सिंह बनाम भारत सरकार व अन्य के फैसले को सख्ती से लागू किया जाए
•पुलिस कानून 2007 में बनाई जिला व राज्य स्तरीय मोनिट्रिंग और जवाबदेही को लेकर बनाई शिकायत समितियाँ आज दिन तक लागू नही हैं, उन्हे कब लागू किया जाएगा?
•इस वक्त अधिकांश आयोग, बाल, मानव अधिकार आदि में पद खाली हैं, इन्हे तत्काल भरा जाए
•एससी, एसटी कानून को गंभीरता से लागू किया जाए
•हिंसा पीड़ित बालिकाएं और महिलाओं के लिए पुनर्वास नीति तुरंत बनाई जाए और पीड़ित महिलाओं के एंटीटलमेंट तुरंत दिए जाएँ.
सभा में एनएफआईडब्ल्यू की निशा सिद्धू, जनवादी महिला समिति की सईदा बेगम, आज़ाद फॉउण्डेशन से अराधना, एआईआरएसओ के रितांश आजाद, जमाअत इस्लामी हिन्द राजस्थान की प्रदेश महिला सचिव रुबीना अबरार व सबीहा, राजस्थान महिला कामगार यूनियन की बासना चक्रवर्ती, नेशनल मुस्लिम विमन्स वेलफ़ेअर सोसायटी की निशात हुसैन व कोहिनूर मौजूद रहीं. रुवा की लाड़ कुमारी जैन, एपवा की भँवरी बाई व मंजु लता, पीयूसीएल राजस्थान से कविता श्रीवास्तव आदि ने संबोधित किया.
मंच संचालन सुमित्रा चोपड़ा, मंजुलता, मिहिका व निशा सिद्धू ने किया. सभा में सीपीआईएम सचिव अमरा राम, राजस्थान समग्र सेवा संघ के सवाई सिंह, जमाअत इस्लामी हिन्द राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष मोहम्मद नाज़िमुद्दीन, प्रदेश महासचिव डॉ. मोहम्मद इकबाल, पीयूसीएल के प्रेमकृष्ण शर्मा आदि ने एकजुटता जाहिर की.
सभा के अंत मे शहीद स्मारक से अल्बर्ट हाल जयपुर तक रैली निकाली गई. रैली में जोर शोर से लड़ेंगे-जीतेंगे, अशोक गहलोत महिला विरोधी बयान वापस लो, राजस्थान पुलिस पर हल्ला बोल व नारी शक्ति के नारे लगाये गये.
इस कार्यक्रम में शामिल होने वाले संगठनों में पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीस, राजस्थान, नेशनल मुस्लिम वुमेन वैलफेयर एसोसिएशन, राजस्थान यूनिवर्सिटी विमन्स असोसियसन, नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वूमन, अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति, विविधा महिला आलेखन एंव संदर्भ केंद्र, महिला पुनर्वास समूह, ऑल इंडिया रेवलूशनेरी स्टूडेंट ऑर्गनाईजेशन, आजाद फाउंडेशन, मजदूर किसान शक्ति संगठन, राजस्थान, अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला समिति शामिल रहे.
इनके अलावा राजस्थान महिला कामगार यूनियन, भारत ज्ञान विज्ञान समिति, शिल्पायन, आगाज़ फॉउण्डेशन, दलित अधिकार केंद्र, कोरों, सी-फार, विशाखा महिला शिक्षण एंव संदर्भ समूह, जमात ए इस्लामी हिन्द, वेल्फेर पार्टी ऑफ इंडिया, राजस्थान समग्र सेवा संघ, स्टूडेंटस फेडरेशन ऑफ इंडिया, राजस्थान नागरिक मंच, सूचना एंव रोजगार अभियान, सेंटर फॉर एक्विटी स्टडीज आदि संगठन विरोध प्रदर्शन में शामिल रहे.