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Friday, April 26, 2024
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योगी सरकार में उजागर होते भ्रष्टाचार के मामले

अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टुमारो

लखनऊ | यूपी में योगी सरकार में तबादला-पोस्टिंग के खेल में जमकर भ्रष्टाचार हुआ है और योगी आदित्यनाथ की ईमानदारी की जीरो टारलेन्स नीति की धज्जियां उड़ गई हैं। दिखाने के लिए योगी आदित्यनाथ ने इस मामले पर एक जांच कमेटी बैठाकर एवं जांच रिपोर्ट आने के बाद कार्यवाही कर दी है, लेकिन मंत्री जितिन प्रसाद को योगी आदित्यनाथ ने साफ तौर पर बचा लिया है।

यूपी में योगी आदित्यनाथ की सरकार में ईमानदारी का बड़ा ढिंढोरा पीटा जाता है और ईमानदार सरकार होने का दावा किया जाता है। ईमानदारी के लिए जीरो टारलेन्स नीति की बड़ी दुहाई दी जाती है। जबकि धरातल पर नजारा कुछ और ही देखने को मिलता है। अभी कुछ दिनों पूर्व यूपी में पीडब्ल्यूडी और स्वास्थ्य विभाग में हुए तबादला-पोस्टिंग के खेल में जमकर भ्रष्टाचार होने और इसके जरिये धन उगाही का समाचार सुर्खियों में छाया हुआ था।

भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर योगी सरकार की काफी फजीहत हुई थी। राज्य के डिप्टी सीएम एवं स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक ने तो खुलेआम इस पर नाराज़गी जताई थी और विभाग के अपर मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद को कटघरे में खड़ा किया था।

हम सबसे पहले पीडब्ल्यूडी विभाग की बात करते हैं। इस विभाग के मंत्री जितिन प्रसाद हैं। इनके विभाग पीडब्ल्यूडी ने तबादला-पोस्टिंग में काफी सुर्खियां बटोरी हैं और भ्रष्टाचार करने और उसके जरिये धन उगाही करने में काफी नाम चर्चा में रहा है। इस विभाग में तबादला-पोस्टिंग करते समय धन कमाने के चक्कर में अधिकारियों की मति इस कदर मारी गई कि उन्होंने मर चुके कर्मचारियों का भी तबादला कर दिया है।

ऐसे ही एक कर्मचारी का नाम जेई घनश्याम दास है। यह 3 साल पूर्व मर चुके हैं, लेकिन इनका तबादला झांसी कर दिया गया है। हद तो तब हो गई, जब इटावा से राजकुमार नामक कर्मचारी को ललितपुर भेजा गया। जबकि विभाग में ऐसा कोई नहीं है। यही नहीं, शीघ्र रिटायरमेंट होने वाले कई कर्मचारियों का तबादला मनमाने तरीके से दूर कर दिया गया और पैसा पाने वाले अधिकारियों एवं कर्मचारियों को मनचाही पोस्टिंग दी गई। लगभग साढ़े तीन सौ अधिकारियों और कर्मचारियों का इस तरह तबादला किया गया और भ्रष्टाचार कर जमकर धन उगाही की गई।

पीडब्ल्यूडी विभाग में नियम विरुद्ध तबादला-पोस्टिंग का मामला सामने आने पर योगी आदित्यनाथ सरकार की खूब फजीहत हुई। इस फजीहत से परेशान हो कर यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने पीडब्ल्यूडी विभाग में हुए तबादला-पोस्टिंग के खेल के विरुद्ध एक जांच कमेटी गठित कर दी और उससे जल्द से जल्द रिपोर्ट देने के लिए कहा।

इस जांच कमेटी का अध्यक्ष कृषि उत्पादन आयुक्त मनोज कुमार सिंह को बनाया गया। इनके साथ कमेटी में अपर मुख्य सचिव गन्ना विकास संजय भूसरेड्डी और अपर मुख्य सचिव नियुक्ति एवं कार्मिक देवेश चतुर्वेदी को सदस्य बनाया गया। इसी के साथ पीडब्ल्यूडी मंत्री जितिन प्रसाद के ओएसडी अनिल कुमार पांडेय की प्रतिनियुक्ति रद्द कर उनको वापस केंद्र सरकार में योगी आदित्यनाथ ने भेज दिया। यही नहीं अनिल कुमार पांडेय के खिलाफ जांच भी बैठा दी।

इसी बीच जांच कमेटी ने तेजी के साथ जांच कर अपनी रिपोर्ट यूपी सरकार को सौंप दी। इसके बाद यूपी सरकार ने इस मामले में कार्यवाही करते हुए पीडब्ल्यूडी के विभागाध्यक्ष मनोज कुमार गुप्ता, प्रमुख अभियंता(परियोजना एवं नियोजन) राकेश सक्सेना, वरिष्ठ स्टाफ अफसर शैलेंद्र यादव, प्रशासनिक अधिकारी व्यवस्थापन पंकज दीक्षित और प्रधान सहायक व्यवस्थापन संजय चौरसिया को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया। इस तरह छोटी मछलियों को सजा मिल गई। लेकिन भ्रष्टाचार के तालाब में अपनी हुकूमत चलाने वाले मगरमच्छ बच गए।

इस मामले में पीडब्ल्यूडी मंत्री जितिन प्रसाद का कुछ नहीं बिगड़ा। जितिन प्रसाद को योगी आदित्यनाथ ने साफ बचा लिया। जबकि जितिन प्रसाद को भी मंत्री के पद से हटाया जाना चाहिए। जितिन प्रसाद पीडब्ल्यूडी विभाग के मंत्री हैं और इनकी नाक के नीचे सब कुछ होता रहा। इनको इसकी जानकारी न हो, ऐसा नहीं हो सकता है।

जितिन प्रसाद अपने ओएसडी अनिल कुमार पांडेय को केन्द्र सरकार से यूपी प्रतिनियुक्ति पर खुद प्रयास कर लाए थे। बताया जाता है कि जितिन प्रसाद केन्द्र में कांग्रेस सरकार में जब मंत्री थे, तो भी इन्होंने अपने ओएसडी के रूप में अनिल कुमार पांडेय को अपने साथ रखा हुआ था। अनिल कुमार पांडेय में कौन सी खूबी थी, जिसके चलते जितिन प्रसाद उसको प्रतिनियुक्ति पर केंद्र से यूपी लाए थे? इस सवाल का जवाब जितिन प्रसाद ही दे सकते हैं। लेकिन यह तय है कि अनिल कुमार पांडेय ने पीडब्ल्यूडी मंत्री जितिन प्रसाद के ओएसडी के रूप में विभाग में तबादला-पोस्टिंग में गड़बड़ी कर जमकर भ्रष्टाचार कर धन उगाही किया है।

जितिन प्रसाद की सहमति के बिना इतना बड़ा खेल अनिल कुमार पांडेय जैसा ओएसडी नहीं कर सकता है। इसलिए पीडब्ल्यूडी मंत्री जितिन प्रसाद भी इस मामले में दोषी हैं और उनको मंत्री पद से हटाया जाना चाहिए। लेकिन योगी आदित्यनाथ ने जितिन प्रसाद को बचा लिया है। इससे यह साबित होता है कि योगी आदित्यनाथ की सरकार केवल फर्जी ईमानदारी का ढिंढोरा पीट रही है, जबकि हकीकत उससे कोसों दूर है।

इसी तरह यूपी में स्वास्थ्य विभाग में भी तबादला-पोस्टिंग में जमकर भ्रष्टाचार हुआ है। यूपी के डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक को किसी तरह की खबर नहीं हुई तथा उनके विभाग में बड़े पैमाने पर तबादला-पोस्टिंग हो गए। उनको जब इस मामले की जानकारी हुई, तो इस पर उन्होंने बड़ा ऐतराज जताया।

बृजेश पाठक ने इस मामले की जानकारी योगी आदित्यनाथ को दी और इस पर उनसे कार्यवाही करने के लिए कहा। इसके बाद योगी आदित्यनाथ ने स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद को बुलाया और अपने पास बृजेश पाठक और अमित मोहन प्रसाद को आमने-सामने बैठाकर बात किया। डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने खुलेआम योगी आदित्यनाथ के सामने अमित मोहन प्रसाद पर भ्रष्टाचार और लूटपाट करने का आरोप लगाया। बृजेश पाठक के आरोप पर योगी आदित्यनाथ सन्नाटे में आ गए।

इसके बाद योगी आदित्यनाथ ने स्वास्थ्य विभाग में हुए तबादले-पोस्टिंग की जांच के लिए मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्रा की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई और इस मामले की जांच करने के लिए कहा। इस कमेटी का सदस्य अपर मुख्य सचिव होम एवं ऊर्जा अवनीश अवस्थी को बनाया। इस कमेटी ने भी अपनी जांच पूरी कर सरकार को सौंप दिया है। स्वास्थ्य विभाग में तबादला-पोस्टिंग में बड़ी गड़बड़ियां जांच कमेटी को मिली हैं। तबादला-पोस्टिंग में नियम-कानून की धज्जियां उड़ाई गई हैं। बताया जाता है कि जिलों में सीएमओ की नियुक्तियां पैसों की बोली लगाकर की गई हैं।

स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद 3-4 साल से जमे हुए हैं। इनके कार्यकाल में स्वास्थ्य विभाग में बड़ी-बड़े खेल हुए हैं। स्वास्थ्य विभाग में गड़बड़ी के मामले सामने आने के बाद बहुत से तबादले रोक भी दिए गए हैं। इससे यह साबित हो गया है कि डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने जो आरोप स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद के ऊपर लगाए थे, उनमें दम था और वह सही थे।

स्वास्थ्य विभाग में तबादला-पोस्टिंग में जमकर भ्रष्टाचार होने और करोड़ों रुपए अवैध रूप से कमाने का मामला उजागर हो गया है। लेकिन अभी तक अमित मोहन प्रसाद के खिलाफ सीएम योगी आदित्यनाथ ने कोई एक्शन नहीं लिया है। इस मामले पर डिप्टी सीएम बृजेश पाठक झुकने को तैयार नहीं हैं। अब देखना है कि योगी आदित्यनाथ भ्रष्टाचार पर प्रहार करते हुए दोषी अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्यवाही करते हैं या चुप बैठकर ईमानदारी का फर्जी ढिंढोरा ही पीटते रहते हैं।

उत्तर प्रदेश इंजीनियर्स एसोसिएशन ने निलंबित विभागाध्यक्ष और अभियंताओं का किया समर्थन

यूपी में तबादला-पोस्टिंग में भ्रष्टाचार होने के आरोप में निलंबित पीडब्ल्यूडी विभागाध्यक्ष मनोज कुमार गुप्ता और प्रमुख अभियंता राकेश कुमार सक्सेना के समर्थन में उत्तर प्रदेश इंजीनियर्स एसोसिएशन खुलकर सामने आ गई है। एसोसिएशन ने तबादला-पोस्टिंग में गड़बड़ी के लिए पीडब्ल्यूडी मंत्री जितिन प्रसाद और विभाग के प्रमुख सचिव को जिम्मेदार ठहराया है।

एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरजीत सिंह ने कहा है कि, “सीएम की पूर्णरूप से तबादला-पोस्टिंग की पारदर्शी प्रक्रिया की हम सराहना करते हैं। लेकिन हो सकता है कि इस प्रकरण के सारे तथ्य सीएम के संज्ञान में न लाए गए हों। उत्तर प्रदेश लोक निर्माण विभाग में अभियंता अधिकारियों के तबादले के आदेश लोक निर्माण मंत्री और प्रमुख सचिव एवं शासन की सहमति या अनुमोदन के बाद ही जारी किए जाते हैं। अधिशासी अभियंता से उच्च स्तर के अभियंताओं के तबादले आदेश शासन द्वारा जारी किए जाते हैं। इससे स्पष्ट है कि तबादला की प्रक्रिया केवल विभागाध्यक्ष द्वारा नहीं की जाती है। इसलिए हम मुख्यमंत्री जी से मांग करते हैं कि इस मामले में निलंबित किए गए विभागाध्यक्ष और अभियंताओं को दोषमुक्त कर उनको बहाल किया जाए।”

इंजीनियर्स एसोसिएशन के द्वारा इस तरह की बात करने से लोक निर्माण मंत्री जितिन प्रसाद और विभाग के प्रमुख सचिव की भूमिका पर उंगली उठाया जाना लाजिमी है। अब लोक निर्माण मंत्री और विभाग के प्रमुख सचिव की भूमिका इस मामले में संदिग्ध नजर आती है।

राज्यमंत्री दिनेश खटीक का इस्तीफ़ा, योगी सरकार पर दलितों के अपमान का आरोप

उधर दूसरी ओर यूपी के जलशक्ति राज्यमंत्री दिनेश खटीक ने योगी आदित्यनाथ की सरकार से इस्तीफा दे दिया है। दिनेश खटीक ने इस्तीफा देते हुए अफसरों पर तबादलों में भ्रष्टाचार करने और दलितों का अपमान करने का आरोप लगाया है। दिनेश खटीक ने कहा है कि, “दलित होने के कारण विभाग में उनके साथ भेदभाव किया जा रहा है। करीब साढ़े तीन महीने बाद भी उन्हें कोई कार्य आवंटित नहीं किया गया है।”


इस तरह दिनेश खटीक ने अपने कैबिनेट मंत्री स्वतंत्र देव सिंह पर उंगली उठाई है और नाराजगी जाहिर की है। दिनेश खटीक ने तबादला-पोस्टिंग में भ्रष्टाचार करने और धन उगाही करने का आरोप विभाग के अधिकारियों पर लगाया है। उन्होंने कहा है कि, “तबादला सत्र-2022 में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किया गया है और जमकर वसूली की गई है। तबादलों को लेकर जब अधिकारियों से सूचना मांगी, तो उन्हें सूचना नहीं उपलब्ध कराई गई।”

मंत्री दिनेश खटीक ने नमामि गंगे योजना पर भी उंगली उठाई है। उन्होंने कहा है कि, “ग्राउंड में जाने पर पता चलता है कि इसमें भ्रष्टाचार हुआ है। इस संबंध में आरोपी अधिकारी के खिलाफ शिकायत करने पर कोई कार्यवाही नहीं होती है। इसकी जांच उच्च स्तरीय एजेंसी से कराई जानी चाहिए।”

दिनेश खटीक के आरोप से जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह काफी परेशान हैं। वे अब अपने को बचाने के लिए दिनेश खटीक के मामले को विपक्ष की ओर धकेल रहे हैं और विपक्ष द्वारा इस मामले को तिल का ताड़ बनाने की बात कह रहे हैं। जबकि दिनेश खटीक ने राज्यमंत्री के पद से इस्तीफा देते हुए इस्तीफा गवर्नर को भेजा है। उन्होंने इस्तीफे की एक प्रति गृह मंत्री अमित शाह को भी भेजा है।

दिनेश खटीक के इस्तीफे के बाद यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले का समाधान करने के लिए उनको लखनऊ बुलाया है, लेकिन वह योगी आदित्यनाथ से मिलने के बजाए गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिलने दिल्ली चले गए हैं। लेकिन दिनेश खटीक के इस्तीफे से और आरोप लगाने से यह बिल्कुल साफ हो गया है कि योगी आदित्यनाथ की सरकार में भ्रष्टाचार हो रहा है।

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