अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टुमारो
लखनऊ | उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में पिछड़ रही भाजपा को जिताने के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ अब गजवा-ए-हिन्द की माला जप रहे हैं, क्योंकि राज्य में पहले और दूसरे चरण के हुए विधानसभा चुनाव की आंतरिक रिपोर्ट ने भाजपा की नींद उड़ा दी है।
उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के लिए भाजपा ने सारे दांव- पेंच आजमाए हैं। भाजपा ने पहले और दूसरे चरण के चुनाव में अधिकतम विधानसभा सीटें जीतने के लिए पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट-मुस्लिम समुदाय की एकता तोड़ने से लेकर कैराना के पलायन और मुज़फ़्फ़रनगर के दंगों की याद मतदाताओं को दिलाकर उनके घाव हरे करने का प्रयास किया है, जिससे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हिंदू वोटों का धुर्वीकरण हो जाए और भाजपा इस क्षेत्र में अधिकतम विधानसभा सीटें जीतने में कामयाब हो जाए।
योगी आदित्यनाथ और देश के गृह मंत्री अमित शाह ने कैराना और मुज़फ़्फ़रनगर का कई बार दौरा किया। दौरे में इन्होंने मतदाताओं से कैराना से पलायन न होने और योगी आदित्यनाथ की सरकार में अपराधियों के यूपी छोंड़ देने या उनके खात्मे तक की बात की। लेकिन पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मतदाताओं के ऊपर इनका जादू नहीं चला। मतदाताओं ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाईचारा और आपसी एकता कायम रखने को प्रमुखता देते हुए विधानसभा चुनाव में मतदान किया।
मतदान के बाद भाजपा को उसके सूत्रों के जरिए जो चुनावी रिपोर्ट मिली, उससे भाजपा के आंखों की नींद गायब हो गई। चर्चा है कि भाजपा को जो रिपोर्ट मिली और आंतरिक खबरें प्राप्त हुईं, उसमें सपा-रालोद गठबंधन को 113 सीटों में से लगभग 100 सीटें मिलने की बात सामने आई है। इस तरह की खबरें मिलने के बाद भाजपा के पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई है।
यूपी विधानसभा चुनाव में पहले और दूसरे चरण के चुनाव में भाजपा के पिछड़ने की खबर से परेशान होकर भाजपा आलाकमान के साथ ही आरएसएस ने यूपी विधानसभा चुनाव जीतने के लिए कमर कस ली है। आरएसएस ने सीधे-सीधे विधानसभा चुनाव की कमान अपने हाथ में ले लिया है। अब यूपी विधानसभा चुनाव आर एस एस के तीसरे नंबर के नेता अरुण कुमार की अगुवाई में लड़ा जा रहा है।
अरुण कुमार आरएसएस में मोहन भागवत और दत्तात्रेय होसबोले के बाद तीसरे नंबर के नेता हैं। यह आरएसएस और भाजपा के बीच समन्वयक की भूमिका निभाने का काम करते हैं। अरुण कुमार से ही गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के यूपी चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान तक दिशा-निर्देश प्राप्त करते हैं और उन्हीं दिशा – निर्देश के मुताबिक काम करते हैं। यूपी में पहले और दूसरे चरण के चुनाव में भाजपा के पिछड़ने के समाचार से परेशान होकर आरएसएस ने यूपी चुनाव को जीतने के लिए पूरी ताकत लगा दी है।
विधानसभा चुनाव जीतने के लिए आरएसएस की ओर से अमित शाह, योगी आदित्यनाथ और यूपी भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह भाजपा के चुनावी प्रचार में खुलकर बोलने की छूट दे दी गई है। यह छूट आरएसएस की ओर से इनको इसलिए दी गई है कि किसी तरह हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण हो जाए, जिससे भाजपा की भारी जीत हो जाए। आरएसएस को अब एकमात्र सहारा हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण का ही है। आरएसएस यह मानकर चल रहा है कि अब भाजपा की डूबती नैय्या हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण से ही बचा सकता है। यही कारण है कि भाजपा के सभी बड़े नेता चुनाव प्रचार के दौरान भाषण देते समय स्तरहीन भाषा का प्रयोग करते हैं। वे यह भी नहीं विचार करते हैं कि उन्हें क्या बोलना है और क्या नहीं बोलना है।
यूपी विधानसभा चुनाव अन्य दलों के लिए सत्ता हासिल करने और कुर्सी पाने के लिए हो सकता है। लेकिन आरएसएस और भाजपा के लिए यह विधानसभा चुनाव जीवन -मरण का प्रश्न बन गया है। आरएसएस इस विधानसभा चुनाव को 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल मानकर लड़ रही है। अगर भाजपा यह विधानसभा चुनाव हार जाती है, तो भाजपा 2024 का सेमीफाइनल मैच अभी से हार जाएगी। इस सेमीफाइनल मैच के हारने का सबसे बड़ा प्रभाव यह पड़ेगा कि आगे चलकर 2024 में भाजपा केंद्र सरकार से पैदल हो जाएगी। केंद्र सरकार से भाजपा के पैदल होने से आरएसएस को तगड़ा झटका लग सकता है, क्योंकि आरएसएस के 2025 में 100 साल पूरे हो रहे हैं और आरएसएस केंद्र सरकार में भाजपा के रहते हुए 2025 में भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने का सपना देख रहा है।
यूपी में विधानसभा चुनाव जीतने के लिए और हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण के लिए आरएसएस ने भाजपा नेताओं को बोलने की खुली छूट दे रखी है। यही वजह है कि भाजपा नेता बोलते हुए अपना आपा खो तक खो देते हैं और स्तरहीन भाषा का प्रयोग करते हैं। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने जो गजवा-ए-हिन्द की बात कही है, वह यूं ही नहीं कही है बल्कि आरएसएस के इशारे पर हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण के लिए कही है। आरएसएस यूपी में हर हालत में विधानसभा चुनाव जीतना चाहता है, इसीलिए योगी आदित्यनाथ ने गजवा-ए-हिन्द की बात कहा है।
योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि, “जो लोग गजवा-ए-हिन्द का सपना देख रहे हैं, हम उनकी ऐसी किसी साजिश को कामयाब नहीं होने देंगे।” योगी आदित्यनाथ इस प्रकार की बात यूपी में विधानसभा चुनाव में भाजपा के पिछड़ने के कारण कह रहे हैं, जिससे हिंदू-मुस्लिम के बीच तनाव पैदा हो जाए और हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण हो जाए। बिना हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण हुए भाजपा को सरकार बनाना तो दूर की बात रही, उसे विधानसभा चुनाव में इज्जत बचाना भी मुश्किल हो जाएगा।
योगी आदित्यनाथ जिस गजवा-ए-हिन्द की बात कहते हुए हिंदू मतदाताओं की भावनाओं को उभारकर हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण करने का प्रयास कर रहे हैं, शायद योगी आदित्यनाथ को उस गजवा-ए-हिन्द शब्द का मतलब ही नहीं मालूम होगा। योगी आदित्यनाथ जी आपकी जानकारी के लिए हम आपको बताते हैं कि गजवा-ए-हिन्द का मतलब होता है-जब मुस्लिम आक्रांता भारत पर हमला करके, भारत पर कब्जा कर लें। जबकि ऐसा दूर-दूर तक कुछ भी नहीं है।
भारत में रहने वाले मुस्लिम भारत के नागरिक हैं तथा भारत के नियम-कानून मानते हैं, वे भला देश पर कब्जा क्यों करेंगे? देश की आजादी से लेकर आज तक मुस्लिम समुदाय के लोगों ने भारत पर कब्जा क्यों नहीं कर लिया? इस सवाल का जवाब योगी आदित्यनाथ जी क्या दे सकते हैं? चुनाव के समय ही इस तरह की बातें क्यों की जाती हैं, इसका जवाब भाजपा क्या दे सकती है?
योगी आदित्यनाथ जी, आप गज़वा-ए-हिन्द का मामला उछाल कर लोगों को आप बरगला नहीं सकते हो। लोगों को रोजी-रोजगार चाहिए, क्योंकि हिंदू-मुस्लिम के खेल से लोगों का पेट नहीं भरेगा। योगी आदित्यनाथ आपको यह मालूम होना चाहिए कि गजवा-ए-हिन्द शब्द का प्रयोग पाकिस्तान का एक बहुत ही छोटा तबका करता है। वह भारत समेत दुनिया के बड़े भाग पर कब्जा करने का सपना देखता है। पाकिस्तान के इस छोटे से तबके के लोगों की संख्या उंगलियों पर गिनने लायक है। योगी जी आप देश के सबसे बड़े राज्य यूपी के मुख्यमंत्री हैं, इसलिए ज़िम्मेदार पद पर बैठकर आपको इस तरह की बात नहीं करनी एवं कहनी चाहिए।