रहीम ख़ान
जयपुर | विकलांग जन क्रांति सेना जो राजस्थान प्रदेश विकलांग सेवा समिति से संबद्ध है के द्वारा दिव्यांगों की कुछ मांगों को लेकर जयपुर में 20 अक्टूबर 2021 से अनिश्चित कालीन धरना दिया जा रहा है। 98 दिनों से चल रहे धरने पर सरकार ने कोई संज्ञान नहीं लिया है.
यह धरना जयपुर में विशेष योग्यजन भवन बाइस गोदाम के सामने पिछले 98 दिनों से जारी है। इस धरने में राजस्थान के प्रत्येक जिले से आकर दिव्यांग धरने पर डटे हुए हैं।
धरना दे रहे दिव्यांगों की मुख्य मांगें हैं:
(1) रोज़गार
(2) पेंशन बढ़ोतरी
(3) दिव्यांग कार्मिकों के गृह जिलों में स्थानांतरण
(4) शिक्षा विभाग समायोजन में दिव्यांग कार्मिकों को निवास से दूर नहीं भेजे
(5) पदोन्नति में 40% दिव्यांगताधारी इससे ऊपर सभी को शामिल किया जाये
(6) सरकारी नौकरी भर्ती में सभी वर्गों को शामिल कर पद सृजित कर संख्या दर्शायें
अपनी इन मांगों को लेकर विकलांग जन क्रांति सेना का एक प्रतिनिधि मंडल सचिवालय में राजस्थान सरकार के मुख्य सचिव निरंजन आर्य से भी मिल चुका है।
मुख्य सचिव ने दिव्यांगजनो की सभी मांगो को गम्भीरता से सुना एवं कहा कि मुख्यमंत्री दिव्यांगों के प्रति सवेंदनशील हैं। मुख्य सचिव ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर दिव्यांग जनों की मांगो के बारे में अवगत करवाने का भी आश्वासन दिया।
प्रतिनिधि मंडल मंत्री टीकाराम जूली से भी मिल चुका है लेकिन अब तक सिर्फ आश्वासन ही मिला है।
विकलांग जन क्रांति सेना के राजस्थान प्रमुख सत्येन्द्र सिंह राठौड़ ने इंडिया टुमारो को बताया कि इससे पहले प्रदेश के दिव्यांग जनों ने फरवरी 2021 में भी आंदोलन किया था।
एक माह तक विशेष योग्यजन भवन के प्रांगण जयपुर में विकलांगों द्वारा किए विशाल धरने-प्रदर्शन के बाद सरकार ने विकलांग भाईयों की पेंशन, रोजगार और पदोन्नति में आरक्षण जैसी अनेक समस्याओं को जल्द से जल्द हल करने और समस्याओं पर विचार-विमर्श करने के लिए विकलांग प्रतिनिधि मंडल के साथ मिलकर एक कमेटी का गठन किया था और समस्याओं को जल्द से जल्द 3-4 माह में हल करने का वादा किया था।
राठौड़ ने बताया कि, समझौते के 7 माह गुजर जाने के बाद भी सरकार विकलांगों की समस्याओं को लेकर गंभीर नजर नहीं आ रही है। अभी तक सरकार द्वारा बनाई गई कमिटी की भी मात्र एक बार ही मीटिंग हुई है।
उन्होंने कहा, “सरकार ने विकलांगों की कुछ समस्याओं पर विचार-विमर्श भी किया है। लेकिन बेरोजगार विकलांगों को रोजगार देने और पेंशन बढ़ाने जैसी समस्याओं पर सरकार ने अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। विकलांग जन क्रान्ति सेना द्वारा बार-बार सरकार को समस्याओं से अवगत कराया जा रहा है फिर भी सरकार विकलांगों की समस्याओं को अनदेखा कर रही है।”
राठौड़ ने बताया कि सरकार की अनदेखी और बेरूखी को देखते हुए विकलांग जन क्रान्ति सेना द्वारा 20 अक्टूबर 2021 से अनिश्चितकालीन धरना जारी है और जब तक सरकार हमारी मांगों को नहीं मान लेती है तब तक हम यहीं बैठे रहेंगे। 3 दिसंबर विश्व विकलांग दिवस को भी हमनें काले दिवस के रूप में मनाया है।
चूरू निवासी अदरीश खान ने इंडिया टुमारो को बताया कि, “विकलांग अपनी विशेष मांगो पेंशन बढ़ाने और रोज़गार गारंटी को लेकर तीन महीने से बीच सड़क पर भयंकर ठंड और बारिश के मौसम में बैठे हुए हैं। ऐसे समय में जब चारों ओर ठंडी हवाएं चल रही है और कोहरा छाया हुआ है, सभी लोग अपने-अपने घरों में बैठे हुए भी खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। लेकिन बेबस लाचार और असहाय विकलांग लोग सरकार से आस लगाए हुए अपने सभी दु:ख कष्टों को सहते हुए। बीच सड़क पर अपने हाथों से खाना बनाकर खा रहे हैं और इस भयंकर सर्दी के मौसम में अपना धरना जारी रखे हुए हैं।”
उन्होंने बताया कि, राजस्थान प्रदेश की कांग्रेस सरकार जो कि खुद को किसानों, गरीबों और असहाय लोगों का मसीहा कहती है वह भी अपनी आंखों पर पट्टी बांधकर और कानों में तेल डाल कर सो रही है। शर्म आती है सरकार के ऐसे जनप्रतिनिधि नेताओं को देखकर जिनके मन में विकलांगों के प्रति तनिक भी संवेदना नहीं है। जब भी विकलांग लोग अपनी मांगों को लेकर किसी नेता सांसद या विधायक के पास जाते हैं तो वे उन्हें झूठे दिलासे देकर छोड़ देते हैं।
श्री देवनारायण दिव्यांग सेवा समिति जयपुर के अध्यक्ष रामबाबू गुर्जर कहते है कि विकलांग लोग इसी समाज का एक हिस्सा होते हुए भी अपने को अलग-थलग महसूस करता है क्योंकि विकलांगों के प्रति समाज की भी संवेदनाएं शायद खत्म हो चुकी है।
उन्होंने कहा, विकलांगों के प्रति समाज ने एक अलग ही नजरिया बना रखा है। समाज के सभी वर्गो ने विकलांगों को अपने हाल पर छोड़ दिया है। मेरा समाज के सभी वर्गो के जनप्रतिनिधियों से भी निवेदन है कि वे विकलांगों के प्रति अपना नजरिया बदले और एक सहयोगी की तरह आगे आकर विकलांगों की समस्याओं को सरकार के सामने लाने की कोशिश करें। क्योंकि जब तक समाज में सभी वर्गो का विकास नहीं होगा तब कोई भी समाज आगे नहीं बढ़ सकता और विकलांग वर्ग भी इसी समाज का एक हिस्सा है।