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Friday, April 26, 2024
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अयोध्या: राम के नाम पर लूट, दर्जनों अफसरों और नेताओं ने कमाई के लिए अयोध्या में खरीदी ज़मीनें

अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टुमारो

लखनऊ | राम नाम की लूट है लूट सके तो लूट, अंत काल पछताएगा जब प्राण जाएंगे छूट। संत कबीर का यह दोहा अयोध्या में राम मंदिर के लिए खरीदी गई ज़मीनों में राजनेताओं और अफसरों पर सटीक बैठता है। राजनेताओं और अफसरों ने कमाई के चक्कर में अयोध्या में खूब जमीनें खरीदीं। जमीनों को पहले ट्रष्ट में शामिल कराया गया और फिर ज़मीनों को खरीद कर कमाई की गई।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा अयोध्या में राम मंदिर बनाए जाने का 9 नवम्बर 2019 को आदेश दिए जाने के बाद अयोध्या में ज़मीनों की कीमतों में अचानक उछाल शुरू हुआ। इसके पश्चात फरवरी 2020 में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र का गठन हुआ। ट्रस्ट ने करीब 70 एकड़ ज़मीन का अधिग्रहण किया। इसके बाद यहां ज़मीन खरीदने के लिए लोगों में होड़ मच गई।

अयोध्या में ज़मीनों को खरीदने के लिए राजनेताओं और अफसरों में होड़ लग गई और वह यहां की ज़मीन को खरीदने में जुट गए। ऐसा इसलिए हुआ कि राजनेताओं और अफसरों ने यह सोचा कि यहां पर औने-पौने में ज़मीन खरीद लेंगे और बाद में राम मंदिर ट्रस्ट को ज़मीन बेच कर लम्बी कमाई कर लेंगे। यही सोचकर राजनेताओं और अफसरों ने यहां पर खूब ज़मीनों की खरीदारी की।

इस प्रकार का काम करके इन्होंने राम के नाम पर खूब लूटपाट की। इन्होंने यह नहीं सोचा कि राम मंदिर के लिए इस प्रकार का काम नहीं करें बल्कि इन्होंने कमाई करने के लिए राम के नाम पर जम कर लूटपाट की और इन्होंने भगवान राम को भी नहीं बख्शा।

अयोध्या में ज़मीनों को खरीदने का काम राजनेताओं से लेकर अफसरों तक ने किया। किसी ने अपने नाम से ज़मीन लिया और किसी ने अपने सगे संबंधियों के नाम से ज़मीनों को खरीदा। यहां पर तैनात अयोध्या मंडल के कमिश्नर एम पी अग्रवाल ने ज़मीनों की खरीद की शुरूआत की। एम पी अग्रवाल नवम्बर 2019 से यहां पर कमिश्नर हैं।

दैनिक भाष्कर ने इसपर विस्तार से ख़बर छापी है.

एम पी अग्रवाल पर आरोप है कि इनके ससुर केशव प्रसाद अग्रवाल ने 10 दिसंबर 2020को बरहटा मांझा में महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रष्ट से 31 लाख रुपए में 2,530 वर्ग मीटर ज़मीन खरीदी। उनके बहनोई आनन्द वर्धन ने उसी दिन उसी गांव में एम आर वी टी से 15.50 लाख रुपए में 1,260 वर्ग मीटर ज़मीन खरीदी।

दीपक कुमार डीआईजी अयोध्या 26 जुलाई 2020 से 30 मार्च 2021 के बीच तैनात रहे हैं। दीपक कुमार फिलहाल डीआईजी अलीगढ़ हैं। दीपक कुमार की पत्नी की बहन महिमा ठाकुर ने 1 सितंबर 2021 को बरहटा मांझा में 1,020 वर्ग मीटर एम आर वी टी से 19.75 लाख रुपए में खरीदा।

इंद्र प्रताप तिवारी भाजपा विधायक ने 18 नवंबर 2019 को बरहटा मांझा में 2,593 वर्ग मीटर एम आर वी टी से 30 लाख रुपए में ज़मीन खरीदी। 16 मार्च 2021को उनके बहनोई राजेश कुमार मिश्रा ने राघवाचार्य के साथ मिलकर सूरजदास से बरहटा मांझा में 6320 वर मीटर 47.40 लाख रुपए में ज़मीन खरीदा।

अयोध्या के मुख्य राजस्व अधिकारी पुरुषोत्तम दास गुप्ता 20 जुलाई 2018 से 10 सितंबर 2021 तक अयोध्या में तैनात रहे हैं। मौजूदा समय में यह गोरखपुर में एडीएम ई हैं। इनके साले अतुल गुप्ता की पत्नी तृप्ति गुप्ता ने अमरजीत यादव नामक व्यक्ति की साझेदारी में 12 अक्टूबर 2021 को बरहटा मांझा में 1,130 वर्ग मीटर ज़मीन एम आर वी टी से 21.88 लाख रुपए में जमीन खरीदी।

अयोध्या के भाजपा विधायक वेद प्रकाश गुप्ता पर आरोप है कि विधायक के भतीजे तरुण मित्तल ने 21 नवम्बर 2019 को बरहटा मांझा में 5,174 वर्ग मीटर ज़मीन रेणु सिंह और सीमा सोनी से 1.15 करोड़ रुपए में खरीदा। 29 दिसंबर 2020 को उन्होंने जगदम्बा सिंह और जदुनन्दन सिंह से 4 करोड़ रुपए में मंदिर स्थल से लगभग 5 किलोमीटर दूर सरयू नदी के पार अगले दरवाजे महेशपुर (गोंडा) में 14,860 वर्ग मीटर ज़मीन खरीदी।

उमाधर द्विवेदी पूर्व आईएएस अधिकारी हैं। यह यूपी कैडर के अवकाश प्राप्त अधिकारी हैं और यह लखनऊ में रहते हैं। इन्होंने बरहटा मांझा में 23 अक्तूबर 2021 को एम आर वी टी से 39.04 लाख रुपए में 1,680 वर्ग मीटर ज़मीन खरीदा।

ऋषिकेश उपाध्याय अयोध्या के मेयर हैं। इन्होंने अयोध्या में राम मंदिर बनाए जाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले से 2 माह पहले 18 सितम्बर 2019 को हरीश कुमार से 30 लाख रुपए में 1,480 वर्ग मीटर ज़मीन खरीदी। 9 जुलाई 2018 को परमहंस शिक्षण प्रशिक्षण महाविद्यालय के प्रबंधक के रूप में इन्होंने रमेश से दान के रूप में अयोध्या के काजीपुर चितवन में 2,530 वर्ग मीटर ज़मीन का अधिग्रहण किया।

सरकारी रिकॉर्ड में ज़मीन की कीमत 1.01 करोड़ रुपए है। आयुष चौधरी अयोध्या में एसडीएम रहे हैं और अब कानपुर में तैनात हैं। आयुष चौधरी की चचेरी बहन शोभिता रानी ने अयोध्या के बिरौली में 5,350 वर्ग मीटर ज़मीन को 17.66 लाख रुपए में आशाराम से खरीदा था। यह डील 28 मई 2020 को हुई। 28 नवंबर 2029 को शोभिता रानी की संचालित आरव दिशा कमला फाउंडेशन ने दिनेश कुमार से 7.24 लाख रुपए में अयोध्या के मलिकपुर में 1,130 वर्ग मीटर जमीन और खरीदी।

अरविंद चौरसिया पीपीएस अधिकारी हैं। अब यह मेरठ में तैनात हैं। 21 जून 2021 को उनके ससुर संतोष कुमार चौरसिया ने भूपेश कुमार से अयोध्या के रामपुर हलवारा उपरहार गांव में 126.48 वर्ग मीटर ज़मीन 4 लाख रुपए में खरीदा। 21 सितंबर 2021 को उनकी सास रंजना चौरसिया ने कारखाना में 279.73 वर्ग मीटर ज़मीन भागीरथी से 20 लाख रुपए में खरीदी।

हर्षवर्धन शाही राज्य सूचना आयुक्त ने 18 नवम्बर 2021 को अपनी पत्नी संगीता शाही और बेटे सहर्ष कुमार शाही ने अयोध्या के सराय रासी मांझा में 929.85 वर्ग मीटर ज़मीन इंद्र प्रकाश सिंह से 15.82 लाख रुपए में खरीदी।

बलराम मौर्य सदस्य राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने 28 फरवरी 2020 को गोंडा के महेशपुर में जगदम्बा और त्रिवेणी सिंह से 50 लाख रुपए में 9,375 वर्ग मीटर जमीन खरीदा।

बद्री उपाध्याय गांजा गांव के लेखपाल हैं। 8 मार्च 2021 को उनके पिता वशिष्ठ नारायण उपाध्याय ने श्याम सुंदर से गांजा में 116 वर्ग मीटर 3.50 लाख रुपए में खरीदा। लेखपाल राजस्व अधिकारी होता है और यह जमीन के मामले देखता है।

सुधांश रंजन गांजा गांव के कानूनगो हैं। यह लेखपाल के काम की निगरानी करने का काम करते हैं। 8 मार्च 2021 को रंजन की पत्नी अदिति श्रीवास्तव ने गांजा में 270 वर्ग मीटर ज़मीन 7.50 लाख रुपए में खरीदी।

दिनेश ओझा पेशकार की बेटी श्वेता ओझा ने 15 मार्च 2021 को तीहरा मांझा में 2542 वर्ग मीटर ज़मीन खरीदी। यह ज़मीन इन्होंने 5 लाख रुपए में महराजदिन से खरीदा।

मजेदार बात यह है कि यह सारी ज़मीनें राम मंदिर के 5 किलोमीटर के दायरे में खरीदी गईं हैं। इनसे राजनेताओं और अफसरों को सीधा लाभ होगा, क्योंकि इनसे इनको बढ़े हुए दाम की कीमत मिलेगी। इससे यह खुलेआम राम नाम की लूट करेंगे। इस प्रकार से यह न केवल हिंदू आस्थाओं से खिलवाड़ करने में बड़ी भूमिका निभाएंगे बल्कि राम मंदिर के लिए एकत्रित हुए चंदे को लूटने में बड़ी भूमिका निभाएंगे।

राम मंदिर के निर्माण के लिए समूचे देश से चंदे के रूप में राम मंदिर तीर्थ ट्रस्ट को अरबों रुपए का चंदा मिला है। लेकिन राम मंदिर के नाम पर मिले हुए चंदे को लूटने का काम किया जा रहा है। यह काम योजनाबद्ध तरीके से किया जा रहा है। राम मंदिर के नाम पर भी लूट का काम चल रहा है। राम मंदिर के निर्माण के जमीन की खरीदारी के नाम पर चंदे को लूट कर सन्त कबीर के दोहे-राम नाम की लूट है, लूट सके तो लूट, अंत काल पछतायेगा जब प्राण जाएंगे छूट। को चरितार्थ किया जा रहा है। इस खेल में राजनेताओं से लेकर अफसर तक शामिल हैं।

समाजवादी पार्टी ने इस सम्बंध में कहा है कि, “अयोध्या में बीजेपी के मेयर, एमएलए, और सांसदों में ज़मीन खरीदने की होड़ लगी है। यह दलितों का हक छीन रहे हैं। गैरकानूनी रूप से दलितों से ज़मीन की खरीद की जांच उन्हीं के द्वारा की जा रही है, जिनके रिश्तेदारों ने ज़मीन खरीदी थी। यह भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस का दावा करने वाले सीएम का सच है।”

कांग्रेस ने भी कहा है कि, “रामद्रोही भाजपा राम को धोखा दे रही है। प्रभु श्रीराम के नाम पर मुनाफाखोरी कर रही है।”

आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने कहा है कि, “देश के करोड़ों लोगों की आस्था प्रभु श्रीराम के मंदिर में है। भाजपा के विधायकों और बाबा के अधिकारियों की आस्था ज़मीन की जालसाजी में है।” संजय सिंह ने पीएम मोदी से सवाल पूछा है कि, मोदी जी आखिर कब होगी मंदिर का चंदा खाने वालों पर कार्यवाही।

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष एवं सांसद राहुल गांधी ने इस संबंध में ट्विटर पर एक ट्वीट करके भाजपा पर निशाना साधा है। उन्होंने लिखा है कि, “हिंदू सत्य के रास्ते पर चलता है। हिंदुत्ववादी धर्म की आड़ में लूटता है।”

इस मामले में अयोध्या के डीएम नीतीश कुमार का कहना है कि, “अगर कोई शिकायत आती है, तो जांच करेंगे। अभी तक तो मेरे पास कोई शिकायत नहीं आई है। मामला भी मेरे संज्ञान में नहीं है। ऐसे मामलों में किसी अधिकारी ने कब और कैसे ज़मीन खरीदी, अगर इसके सबूत मिलते हैं तो जांच होगी।”

आश्चर्यजनक बात यह है कि इन खरीदी गई जमीनों में अनुसूचित जाति के लोगों की भी ज़मीनें हैं, जिन्हें खरीदा ही नहीं जा सकता है। यह ज़मीन कैसे खरीदी गईं और कैसे बिक गईं, इसकी भी जांच की जानी चाहिए। यह ज़मीनें नियम विरुद्ध खरीदी गई हैं।

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