https://www.xxzza1.com
Thursday, April 25, 2024
Home रिपोर्ट राजस्थान में विलुप्त होते ऊँट, 25 वर्षों में 71 प्रतिशत कम हुए

राजस्थान में विलुप्त होते ऊँट, 25 वर्षों में 71 प्रतिशत कम हुए

रहीम ख़ान | इंडिया टुमारो

जयपुर । जिस ऊंट को राजस्थान और रेगिस्तान की पहचान माना जाता है वही ‘रेगिस्तान का जहाज़’ अब खतरे में है. राजस्थान में ऊंटों की संख्या लगातार घटती जा रही है. पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने ऊंटों को बचाने के लिए वर्ष 2015 में भले ही ऊंट संरक्षण कानून बना दिया है लेकिन इसके बाद भी ऊंटों की संख्या में गिरावट चिंता का विषय है. ऊंट को राजस्थान के राज्य पशु का दर्जा भी प्राप्त है.

अब ऊंटों की सुरक्षा के लिए राजस्थान सरकार राज्य में गोशालाओं की तरह ऊंट शालाएं खोलने की योजना बना रही है. ऊंट राजस्थान का राज्य पशु होने के बावजूद 2012 से 2017 की पशुगणना में इसकी आबादी में लगभग 34 प्रतिशत की भारी कमी आई है. 1992 की पशु गणना में राज्य में 7.46 लाख ऊंट थे जो करीब 71 प्रतिशत की गिरावट के साथ 2017 की पशु गणना में सिर्फ 2.13 लाख ही रह गए हैं. राज्य के कृषि और पशुपालन मंत्री लाल चंद कटारिया को डर है कि अगर यह प्रवृत्ति जारी रही तो ऊंट केवल संग्रहालयों में ही देखे जाएंगे.

राजस्थान जैसे रेगिस्तानी राज्य में ऊंटों की घटती संख्या चिंता का विषय बन गई है. पिछली भाजपा सरकार ने ऊंट को राज्य पशु के रूप में नामित किया था और राजस्थान ऊँट (वध का प्रतिषेध और अस्थायी प्रव्रजन या निर्यात का विनियमन) अधिनियम 2015 पारित किया था, जो राज्य के अंदर और बाहर दोनों जगह ऊंट के परिवहन पर प्रतिबंध लगाता है. लेकिन इस अधिनियम ने भी वांछित परिणाम नहीं दिए और प्रदेश में ऊंटों की संख्या अभी भी घट रही है. राजस्थान में 2012 में 3.26 लाख ऊंट थे, जो 2017 में घटकर 2.13 लाख रह गए हैं.

ऊंट संरक्षण का मुद्दा राजस्थान विधानसभा में उठने पर राजस्थान सरकार में पशुपालन मंत्री लाल चन्द कटारिया ने बुधवार को विधानसभा में बताया कि सरकार ऊंटों के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है.

उन्होंने कहा कि ऊंट संरक्षण के लिए वर्ष 2015 में जो कानून बना है, उसमें आंशिक संशोधन की जरूरत है. उन्होंने विश्वास दिलाया कि इस कानून में संशोधन के लिए ड्राफ्ट तैयार कर लिया गया है और विधानसभा के अगले सत्र में इसे पारित कराया जायेगा.

कटारिया ने यह बात शून्यकाल में भाजपा उपनेता प्रतिपक्ष विधायक राजेन्द्र राठौड़ द्वारा राज्य पशु ऊंट की संख्या में निरन्तर कमी होने के फलस्वरूप ऊंटों के संरक्षण हेतु गौशाला की तर्ज पर ऊंट शाला खोले जाने के संबंध में रखे गये ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जवाब में कही.

उन्होंने कहा कि यह सही है कि प्रदेश में ऊंट संरक्षण के लिए जब से कानून बना है, तब से प्रदेश में ऊंटों की संख्या घटी है. उन्होंने कहा कि मैं स्वयं भी एक किसान हूं और ऊंट पालकों के सामने आ रही समस्याओं को अच्छी तरह समझ सकता हूं. उन्होंने बताया कि कई सदस्य एवं ऊंटपालक इस समस्या को लेकर मेरे से भी मिले है.

उन्होंने बताया कि एक एनजीओ गत 30 वर्ष से ऊंट संरक्षण का कार्य रही है. जिसमें हनुमान सिंह राठौड़ एवं एक जर्मन महिला भी इस संस्था से जुड़ी हुई है. उन्होंने बताया कि इस संस्था के लोगों ने जयपुर में अलग-अलग जगह ऊंट पालकों से मिलकर उनकी समस्याओं के बारे में जानकारी ली है.

कटारिया ने प्रतिपक्ष के उप नेता राजेन्द्र राठौड़ सहित अन्य सदस्यों द्वारा गौशाला की तरह ऊंट शाला बनाने की मांग पर कहा कि आप सभी सदस्यों का यह सुझाव सही है और हम भी चाहते हैं कि गौशाला की तरह ऊंट शाला बनाने पर विचार किया जाये.

उन्होंने कहा कि प्रदेश में ऊंट खेती के साथ-साथ कई क्षेत्रों में सवारी एवं पर्यटन की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है. उन्होंने इस बात को भी स्वीकार किया कि ऊंट तस्करी को रोकने व ऊंट संरक्षण के प्रभावी प्रयास नहीं किये गये तो यह सही है कि आने वाले समय में ऊंट हमें केवल म्यूजियम में ही देखने को मिलेगा.

इससे पहले पशुपालन मंत्री ने इस संबंध में अपने लिखित वक्तव्य में बताया कि पशु गणना के अनुसार वर्ष 1992 में ऊंटों की सख्या 7.46 लाख, वर्ष 1997 में ऊंटों की सख्या 6.69 लाख, वर्ष 2003 में ऊंटों की सख्या 4.98 लाख, वर्ष 2007 में ऊंटों की सख्या 4.22 लाख, वर्ष 2012 में ऊंटों की सख्या 3.26 लाख एवं वर्ष 2017 में ऊंटों की सख्या 2.13 लाख रही है. उन्होंने बताया कि प्रदेश में 16 सितम्बर 2014 को ऊँट को राज्य पशु घोषित किया गया है. वर्तमान में पशुगणना 2019 के अनुसार देश के कुल ऊँटों की संख्या का लगभग 84.43 प्रतिशत ऊँट, राजस्थान में है. पशुगणना अनुसार गत 30 वर्षों से ऊँटों की संख्या में नियमित तौर पर गिरावट हो रही है.

ऊँटों की संख्या में गिरावट का मुख्य कारण निरंतर यांत्रिक संसाधनों का विकास व ग्रामीण स्तर तक उच्च स्तर की परिवहन सुविधा का उपलब्ध होना है. राजस्थान ऊँट (वध का प्रतिषेध और अस्थायी प्रव्रजन या निर्यात का विनियमन) अधिनियम 2015 के तहत ऊँट के वध एवं बिना सक्षम अनुमति के राज्य से बाहर ले जाने पर प्रतिबंध है, जिससे ऊँटों की उपयोगिता निरन्तर कम हो रही है. प्रदेश में ऊँटों के संरक्षण व ऊँटपालकों को ऊँटों के प्रजनन के लिये प्रोत्साहित करने, टोड़ियों के पालन पोषण हेतु तथा ऊँट की संख्या में वृद्धि के लिये ऊष्ट्र विकास योजना 2 अक्टूबर 2016 को प्रारंभ की गई थी.

उन्होंने बताया कि योजनान्तर्गत, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना से 4 वर्ष की अवधि के लिये वित्त पोषित तीन किस्तों में 10 हजार रुपए ऊँट के वत्स उत्पादन पर ऊँटपालक को दिये जाने का प्रावधान था. इस योजना में 31 मार्च 2019 तक उत्पन्न टोड़ियों का पंजीकरण किया गया. जैसलमेर जिले में ऊँटनी के टोड़ियों के जन्म पर देय राशि के प्रकरण में अनियमितता पाई गई.

उन्होंने बताया कि इस क्रम में की गई जाँच में दोषियों के विरुद्ध नियमानुसार कार्यवाही प्रक्रियाधीन है. इस योजना को पुनः राष्ट्रीय कृषि विकास योजना में संचालित किये जाने के लिये, तीन वर्ष की 23.65 करोड़ की योजना तैयार कर भारत सरकार के अनुमोदन के लिये प्रस्तावित की गई है. भारत सरकार से अनुमोदन पश्चात राशि प्राप्त होते ही राज्य सरकार की सानुपातिक हिस्सा राशि सहित ऊष्ट्र विकास योजना को संचालित किया जा सकेगा.

पशुपालन मंत्री ने बताया कि वर्तमान सरकार के जन घोषणा पत्र में ऊँटों के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु विशेष नीति बनाने का उल्लेख किया गया है, जिसके तहत ऊँट संरक्षण एवं विकास नीति का प्रारूप तैयार कर लिया गया है, जिसे अंतिम रूप दिया जा रहा है.

ऊँटों की तस्करी रोकने के लिये राजस्थान ऊँट (वध का प्रतिषेध और अस्थायी प्रव्रजन या निर्यात का विनियमन) अधिनियम 2015 के अन्तर्गत गृह विभाग से कार्यवाही की जाती है. गृह विभाग के स्तर से अब तक श्रीगंगानगर जिले में थाना राजियासर में 14 तथा हनुमानगढ़ के थाना भादरा, पल्लु व गोगामेड़ी में 117 ऊँटों की तस्करी में बरामदी दर्ज हुई है. जिसमें इन जिलों में 21 व्यक्तियों की गिरफ्तारी कर कानूनन कार्यवाही की जा रही है.

राजस्थान ऊँट (वध का प्रतिषेध और अस्थायी प्रव्रजन या निर्यात का विनियमन) अधिनियम 2015 में आवश्यक संशोधन के लिये मंत्रिमंडलीय उप समिति का गठन किया गया है. जिसकी अनुशंसा अनरूप अधिनियम में संशोधन की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है.

उन्होंने बताया कि उरमूल दुग्ध संघ बीकानेर, दुग्ध संघ बाड़मेर एवं वरमूल दुग्ध संघ जोधपुर आदि के कार्य क्षेत्रान्तर्गत ऊंट बाहुल्य क्षेत्र में ऊंटनी के दुग्ध की अल्प मात्रा में उपलब्धता, ऊंटनी के दुग्ध के संकलन हेतु अत्यधिक दूरी से परिवहन लागत का अधिक होने, इस दुग्ध की सैल्फ लाईफ कम होने एवं दुग्ध प्रसंस्करण संयंत्र स्थापना हेतु प्रस्तावित विनियोजित की जाने वाली भारी भरकम राशि के प्रतिफल स्वरूप संभावित अलाभकारी दुग्ध व्यवसाय के दृष्टिगत, राजस्थान को-ऑपरेटिव डेयरी फैडरेशन लि. से सम्बद्ध जिला दुग्ध संघों में ऊंटनी के दुग्ध एवं दुग्ध उत्पाद हेतु पृथक से संयंत्र स्थापना संस्था हित में व्यावहारिक एवं उचित नहीं है.

कटारिया ने बताया कि वर्तमान में बीकानेर में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का राष्ट्रीय स्तर का अति सुविधायुक्त संस्थान यथा राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र, बीकानेर द्वारा अपने पार्लर के माध्यम से ही ऊंटनी के दूध का संकलन कर बिक्री का कार्य किया जा रहा है.

राजस्थान विधानसभा में विधायक भी ऊंट संरक्षण कानून में संशोधन की मांग कर रहे हैं. रेगिस्तानी जिले बाड़मेर की शिव विधानसभा का प्रतिनिधित्व करने वाले कांग्रेस विधायक अमीन खान ने कहा कि अगर सरकार ऊंट की रक्षा करना चाहती है तो ऊंट को इस अधिनियम से मुक्त करना अनिवार्य हो गया है. इस कानून के बनने के बाद से ऊंटों की संख्या बढ़ने की जगह घट रही है.

वेटरनरी सर्जन और ऊंट वैज्ञानिक डॉ. टीके गहलोत ने बताया कि, ‘ऊंट पालना आसान नहीं है और अगर पशु पालक को ऊंट से कोई आमदनी नहीं हो रही है तो यह और मुश्किल हो जाता है. सरकार को चाहिए की ऊंट के दूध के उत्पादों को बढ़ावा देना चाहिए क्योंकि अब ऊंट परिवहन और कृषि कार्यों में भी बहुत ज्यादा उपयोगी नहीं है.’

भाजपा के उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ का कहना है कि पुलिस ऊंटों के अवैध परिवहन के खिलाफ कार्रवाई कर सकती है, लेकिन पुलिस इस तरह की कार्यवाही कभी-कभार ही करती है क्योंकि उसके पास ऊंट को रखने और उसकी देखभाल करने का कोई प्रावधान नहीं है. इसीलिए प्रदेश में गोशालाओं की तर्ज पर ऊंट-शाला की स्थापना की जानी चाहिए.

- Advertisement -
- Advertisement -

Stay Connected

16,985FansLike
2,458FollowersFollow
61,453SubscribersSubscribe

Must Read

“अबकी बार, 400 पार” का नारा क्या बीजेपी द्वारा भारत का संविधान बदलने का छिपा एजेंडा है?

अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टुमारो नई दिल्ली | देश का संविधान बदलने का छिपा एजेंडा उजागर होने पर भाजपा...
- Advertisement -

वेलफेयर पार्टी (WPI) ने पीएम मोदी के भाषणों और चुनाव प्रचार पर प्रतिबंध लगाने की मांग की

इंडिया टुमारो नई दिल्ली | वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया (डब्ल्यूपीआई) ने दो दिन पहले राजस्थान के बांसवाड़ा जिले...

इलाहाबाद हाईकोर्ट की सख़्त टिप्पणी, कहा- ‘जिला अदालतें आम लोगों का भरोसा खो रहीं’

अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टुमारो लखनऊ | इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिला अदालतों की कार्य प्रणाली पर कड़ी टिप्पणी करते...

ईद मिलन समारोह में जमाते इस्लामी अध्यक्ष ने देश में एकता और फिलिस्तीन के साथ एकजुटता का आह्वान किया

इंडिया टुमारो नई दिल्ली | जमात-ए-इस्लामी हिंद (जेआईएच) ने गुरुवार को राष्ट्रीय राजधानी के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में एक...

Related News

“अबकी बार, 400 पार” का नारा क्या बीजेपी द्वारा भारत का संविधान बदलने का छिपा एजेंडा है?

अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टुमारो नई दिल्ली | देश का संविधान बदलने का छिपा एजेंडा उजागर होने पर भाजपा...

वेलफेयर पार्टी (WPI) ने पीएम मोदी के भाषणों और चुनाव प्रचार पर प्रतिबंध लगाने की मांग की

इंडिया टुमारो नई दिल्ली | वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया (डब्ल्यूपीआई) ने दो दिन पहले राजस्थान के बांसवाड़ा जिले...

इलाहाबाद हाईकोर्ट की सख़्त टिप्पणी, कहा- ‘जिला अदालतें आम लोगों का भरोसा खो रहीं’

अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टुमारो लखनऊ | इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिला अदालतों की कार्य प्रणाली पर कड़ी टिप्पणी करते...

ईद मिलन समारोह में जमाते इस्लामी अध्यक्ष ने देश में एकता और फिलिस्तीन के साथ एकजुटता का आह्वान किया

इंडिया टुमारो नई दिल्ली | जमात-ए-इस्लामी हिंद (जेआईएच) ने गुरुवार को राष्ट्रीय राजधानी के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में एक...

सुप्रीम कोर्ट ने यूपी मदरसा एक्ट रद्द करने वाले इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई

इंडिया टुमारो नई दिल्ली | उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम, 2004 को असंवैधानिक घोषित करने के इलाहाबाद उच्च...
- Advertisement -

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here