अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टुमारो
लखनऊ | इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा लव जेहाद के मामलों को रोकने के लिए यूपी में लाए गए धर्मांतरण कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर राज्य सरकार से जवाब तलब किया है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने धर्मांतरण विरोधी कानून को रद्द करने के लिए दाखिल याचिका की सुनवाई करते हुए यूपी सरकार को इस मामले में नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब देने को कहा है। हाईकोर्ट ने इसके साथ ही याचिकाकर्ता को यूपी सरकार के जवाब के बाद एक सप्ताह में प्रतिउत्तर शपथपत्र दाखिल करने को कहा है। हाईकोर्ट के इस आदेश से धर्मांतरण विरोधी कानून का मामला अभी खत्म नहीं हुआ है।
यूपी में लागू धर्मांतरण विरोधी कानून को रद्द करने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका एसोसिएशन फॉर एडवोकेसी ऐंड लीगल इनिसिएटिव ने दाखिल कर रखी है। इस याचिका के जरिए धर्मांतरण विरोधी कानून को रद्द करने के लिए कहा गया है।
23 जून को इस याचिका की सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजय यादव और न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा की खण्डपीठ ने यूपी सरकार को इस संबंध में नोटिस जारी कर 4 सप्ताह में जवाब देने को कहा है। इस याचिका को एसोसिएशन फॉर एडवोकेसी ऐंड लीगल एनीसेटिव और एक अन्य ने दाखिल किया है।
याचिका में कहा है कि धर्मांतरण विरोधी कानून संविधान के विपरीत है। यह कानून सिर्फ राजनीतिक लाभ उठाने के उद्देश्य से बनाया गया है। याचिका में यह भी कहा गया है कि इससे एक वर्ग विशेष के लोगों का उत्पीड़न भी किया जा सकता है। इसलिए इस कानून को रद्द किया जाए।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले की 23 जून को सुनवाई की। इस मामले की सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि अब अध्यादेश कानून बन गया है, इसलिए इसका कोई औचित्य नहीं है। इसके बाद कोर्ट ने याचिकाओं को खारिज कर दिया लेकिन यूपी सरकार को इस संबंध में 4 सप्ताह में जवाब देने को कहा है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को यूपी सरकार के जवाब देने के बाद 1 सप्ताह में प्रतिउत्तर शपथपत्र दाखिल करने को कहा है। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 2 अगस्त की तारीख निर्धारित कर इस मामले को सूचीबद्ध करने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट के द्वारा इस मामले को सूचीबद्ध किए जाने और 2 अगस्त सुनवाई की तारीख निर्धारित करने का आदेश दिए जाने से इस मामले के खत्म होने का अंदेशा समाप्त हो गया है।
हाईकोर्ट के इस आदेश से योगी आदित्यनाथ की सरकार खुश हो रही है। सरकार की ओर से यह जताने का प्रयास किया जा रहा है कि हाईकोर्ट ने सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया है। जबकि ऐसा कुछ भी नहीं है, क्योंकि हाईकोर्ट ने इस मामले को सूचीबद्ध किए जाने और सुनवाई किये जाने की 2 अगस्त तारीख तय कर दी है। इससे यह साफ पता चलता है कि यह मामला अभी खत्म नहीं हुआ है। हाईकोर्ट के इस प्रकार के फैसले से यह बिल्कुल तय हो गया है कि यह मामला अभी और आगे जाएगा।
हाईकोर्ट में योगी सरकार की ओर से इस मामले की पैरवी अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने की। जबकि धर्मांतरण विरोधी कानून को रद्द करने के लिए एसोसिएशन फॉर एडवोकेसी ऐंड लीगल इनिसिएटिव की ओर से वृंदा ग्रोवर ने पैरवी की। इनके साथ ही देवेश सक्सेना, शाश्वत आनन्द और विशेष राजवंशीऔर रमेश कुमार ने अधिवक्ता के तौर पर मामले की पैरवी की।