मसीहुज़्ज़मा अंसारी | इंडिया टुमारो
दिल्ली | दिल्ली में ओखला के कंचनकुंज स्थित रोहिंग्या शरणार्थी कैम्प में बीती रात आग लग जाने से सभी झुग्गियां जल कर राख हो गईं. इस घटना में किसी भी जान का नुकसान नहीं हुआ है. हालांकि, इंडिया टुमारो को पीड़ितों ने बताया कि आग से बचकर भागने में काफी लोगों को हल्की चोटें आई हैं.
कैम्प में आग रात लगभग 11:45 पर लगी. पीड़ितों के अनुसार वो इस बात का अंदाज़ा नहीं लगा सके कि यह आग कैसे लगी है और वह अपने परिवार को लेकर सुरक्षित स्थान पर भागे. आग इतनी भयानक थी कि इसकी लपटें काफी दूर से दिखाई दे रही थीं.
इस रोहिंग्या शरणार्थी कैम्प में करीब 57 परिवार रहते हैं जिनमें कुल 270 सदस्य हैं. साल 2012 से यह कैम्प रोहिंग्या शरणार्थियों के सर छिपाने की जगह है.
आग लगने की सूचना के बाद मौके पर पहुंची दमकल आग बुझाने के मिशन में दो घंटे तक लगी रही लेकिन आग काफी भयानक थी और सभी झुग्गियां जलकर राख हो गईं.
कालिन्दी कुंज के आगे कंचनकुंज में एक खाली मैदान में 2012 से रह रहे रोहिंग्या शरणार्थियों को कई बार उस स्थान से हटाने का प्रयास किया जा चुका है. पीड़ितों का आरोप है कि अक्सर ज़मीन खाली करने को लेकर धमकियां मिलती रहती हैं. हालांकि, लोगों ने साफ़ तौर पर किसी साज़िश की बात नहीं कही.
आग लगने का सही कारण पता नहीं लगाया जा सका है लेकिन इसे लेकर अलग-अलग दावे किए जा रहे हैं.
इंडिया टुमारो से अपनी बात साझा करते हुए ओखला के पूर्व विधायक आसिफ मोहम्मद ख़ान ने रोहिंग्या कैम्प में लगी आग को साज़िश बताया है. उन्होंने कहा कि यह उत्तर प्रदेश की ज़मीन है और फिरकापरस्त ताकतें रोहिंग्या शरणार्थियों को यहां से हटाना चाहती है जबकि UNHRC ने इन सभी को इस देश में रहने के लिए टेम्पररी पहचानपत्र दिया है.
इन शरणार्थियों में 30 वर्षीय जाफर हैं जो ई-रिक्शा चलाते हैं. जाफर के 3 बच्चे हैं. वह 2012 से इस कैम्प में रहते हैं. उन्होंने इंडिया टुमारो को बताया कि शाम को कुछ लोग आए और धमकी देकर चले गए. इससे पहले भी कई बार उन्हें धमकी दी गई है जगह खाली करने की.
इस घटना में 80 वर्षीय इमाम ख़ुर्शीद ने बड़ी मुश्किल से ख़ुद को आग की लपटों से बचाया है. उन्होंने इंडिया टुमारो को बताया कि, “जब शोर हुआ तो हम बाहर भागे लेकिन दरवाज़े पर आग की लपटें थी, तो मैंने घर के पीछे से दीवार कूदकर अपनी जान बचाई.”
अपनी जान बचाने में इमाम का कपड़ा जल गया, थोड़ी चोटें आईं और हल्का झुलस भी गए हैं. इमाम बर्मा के अरकान प्रान्त के रहने वाले हैं और 2012 से यहां रहते हैं.
इस घटना में 32 वर्षीय मोहम्मदुल्लाह ने भी मुश्किल से अपने परिवार को बचाया. उन्होंने इंडिया टुमारो को बताया कि अचानक आग लगी और हम अपने छोटे बच्चे को लेकर बाहर भागे. हमारा सब कुछ जल कर राख हो गया.”
मोहम्मदुल्लाह बर्मा के अराकान प्रान्त के मांडू के रहने वाले हैं और 2012 से इस कैम्प में रहते हैं.
इंडिया टुमारो से बात करते हुए एक और पीड़ित शरणार्थी गुफरान बताते हैं कि, “हमारा सारा सामान यहां तक कि पहचान पत्र भी जल गया, हम बहुत परेशान हैं.”
इन सभी शरणार्थियों में सबसे सक्रिय रहने वाले सलीम ने बताया कि कुछ भी समझ नहीं आरहा है कि क्या हुआ और अब हम क्या करें. अब देखते हैं कि हमारा कहाँ ठिकाना है.
हालांकि वह किसी भी साज़िश की बात पर सहमति नहीं जताते हैं.
अपनी जान बचाकर एक किनारे खड़ी अपने बच्चों को गोद में लिए रोहिंग्या शरणार्थी औरतें काफी परेशान नज़र आरही हैं. बच्चे रो रहे हैं, बिलख रहे हैं और कुछ बैठने के इंतजाम में लगे हैं.
लोग शरणार्थियों को तात्कालिक राहत देने में लगे थे और वहीं पास में दरियां, चटाइयां, चादरें और खाना पानी मुहैय्या करा रहे थे. इसमें मुख्य रूप से SBF के कैडर, पूर्व विधायक आसिफ मोहम्मद ख़ान की टीम, आसिफ मुजतबा के साथी और SIO दिल्ली के कार्यकर्ता लोगों की सहायता में लगे हुए थे.
रिपोर्ट लिखे जाने तक आग लगने का सही कारण ज्ञात नहीं हो सका है.