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Friday, April 26, 2024
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उत्तर प्रदेश: चित्रकूट जेल में हुई तीन हत्याएं, योगी सरकार की कानून व्यवस्था पर उठे सवाल

अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टुमारो

लखनऊ । उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिले में जेल के अंदर क़ैदियों की हुई हत्याओं से ‘अच्छी कानून व्यवस्था’ का दंभ भरने वाली योगी आदित्यनाथ की सरकार की पोल खुल गई है। यूपी में हाई सिक्योरिटी सुरक्षा व्यवस्था और सीसीटीवी कैमरे से जेल लैस हैं, जबकि हक़ीकत यह है कि में जेलों में अपराधियों की हुकूमत चलती है।

उत्तर प्रदेश में चित्रकूट जिले में जेल के अंदर बंद एक अपराधी द्वारा दो अपराधियों की हत्या करने से राज्य सरकार की कानून व्यवस्था की पोल खुल गई है। राज्य में अक्सर योगी आदित्यनाथ की सरकार द्वारा अच्छी कानून व्यवस्था होने की डींगे हांकी जाती है और कानून व्यवस्था बेहतर होने के लंबे चौड़े दावे किए जाते हैं। जबकि हकीकत इससे कोसों दूर है।

चित्रकूट जिले में जेल के अंदर हुई हत्याओं से राज्य सरकार के कानून व्यवस्था को लेकर किए जा रहे दावों की पोल खुल गई है।राज्य सरकार के मुंह पर तगड़ा तमाचा पड़ा है। 14 मई 2021को चित्रकूट में जेल के अंदर बंद अपराधी अंशू दीक्षित ने जेल में बंद अपराधी मुकीम काला पर तमंचे से फायर कर हमला कर दिया, जिससे मुकीम काला की मौत हो गई। इसके बाद अंशू दीक्षित ने एक अन्य अपराधी मेराजुद्दीन पर भी तमंचे से हमला कर दिया, जिसमें मेराजुद्दीन की भी मौत हो गई। इसके बाद अंशू दीक्षित ने तमंचे के बल पर 5 अन्य बंदियों को अपने कब्जे में ले लिया और जेल से भागने का प्रयास करने लगा।

रिपोर्ट के मुताबिक, वह जेल अधिकारियों से भागने के लिए रास्ता छोंड़ने के लिए कहने लगा और रास्ता न छोंड़ने की स्थिति में उन 5 बंदियो को भी मार डालने की धमकी देने लगा। इस पर जेल अधिकारियों ने चित्रकूट के डीएम और एसपी को फोन कर सूचना दी। सूचना मिलते ही डीएम और एसपी भारी सुरक्षा बल लेकर जेल पहुंचे। अंशू दीक्षित ने इन अधिकारियों की भी नहीं सुनी और गोलियां चलाने लगा। इसके जवाब में सुरक्षा बलों ने भी गोलियां चलाईं, जिसमें अंशू दीक्षित भी मारा गया। इस तरह चित्रकूट में जेल के अंदर 1 नहीं बल्कि 3 हत्यायें हो गईं।

राज्य के चित्रकूट जिले में जेल के अंदर हुई 3 हत्यायें योगी आदित्यनाथ की सरकार को कठघरे में खड़ा करती हैं। इन हत्याओं के होने से कई सवाल उठकर खड़े हो गए हैं, जिनका जवाब राज्य सरकार ही दे सकती है। उत्तर प्रदेश में जेलें हाई सिक्योरिटी सुरक्षा व्यवस्था में हैं और इनमें सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं। इन कैमरों से रोज पहले जेल के अधिकारियों द्वारा मॉनिटरिंग की जाती है इसके बाद फिर यूपी के जेल मुख्यालय लखनऊ से मॉनिटरिंग की जाती है। इस तरह जेलों 2 बार मॉनिटरिंग की जाती है। अब सवाल यह उठता है कि चित्रकूट जिला जेल की किस तरह मॉनिटरिंग की गई कि अपराधी के पास मौजूद तमंचा और भारी मात्रा में गोलियां पकड़ में नहीं आईं?

अपराधी के पास तमंचा और गोलियों की मौजूदगी से यह पता चलता है कि मॉनिटरिंग की ही नहीं जाती है? अगर यह मान लिया जाए कि मॉनिटरिंग में तकनीकी खराबी के कारण तमंचा और कारतूस नहीं पकड़ में आए तो जेल में अपराधी के पास तमंचा और गोलियां कैसे पहुंची?

जेल में अपराधी के पास तमंचा और गोलियों की मौजूदगी और हत्यायें होने से यह पता चलता है कि जेल में अवैध हथियार जेल के ही किसी कर्मचारी/अधिकारी द्वारा पहुंचाए गए हैं? हाई सिक्योरिटी सुरक्षा व्यवस्था और सीसीटीवी कैमरे लगी जेलें अब सुरक्षित नहीं हैं? जेलों में अब इस तरह की घटनाएं नहीं होंगी क्या इसकी गारंटी है? यह ऐसे अनुत्तरित सवाल हैं, जिनका जवाब केवल सिर्फ केवल योगी आदित्यनाथ की सरकार ही दे सकती है। लेकिन सरकार इसका जवाब नहीं देगी,क्योंकि इससे सरकार की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठेंगे। राज्य सरकार इन सवालों का जवाब भले ही न दे,लेकिन उसकी खराब कानून व्यवस्था की पोल खुल गई है और योगी आदित्यनाथ की सरकार कठघरे में खड़ी हो गई है।

यहां हम आपको बताते चलें कि जेल में बंद अपराधियों की जेलों में हुकूमत चलती है। जेलों में अपना वर्चस्व और दबदबा कायम रखने के लिए अपनी समानांतर हुकूमत चलाते हैं। जेलों में अपराधियों को सारी सुविधाएं जेल के कर्मचारी और अधिकारी मुहैया कराते हैं। इसके बदले में अपराधियों से इन्हें खूब पैसा मिलता है। यही कारण है कि जेलों में अपराधियों की चलती है।

जेल के अधिकारी और कर्मचारी इन बंदी अपराधियों के आगे नतमस्तक होकर दोनों हाथ बांधे खड़े रहते हैं। जेलों में बंद अपराधियों पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने के लिए कभी – कभी जिलों के डीएम और एसपी जेलों में छापा मारते हैं, लेकिन उन्हें कोई आपत्तिजनक सामग्री नहीं मिलती है। क्योंकि आपत्तिजनक सामग्री को जेल के अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा पहले ही हटा दिया जाता है। कभी-कभार न्यायिक मजिस्ट्रेट भी जेलों में छापा मारने का काम करते हैं, लेकिन उन्हें भी कोई आपत्तिजनक सामग्री नहीं मिलती है। यही नहीं, जेल में बंद अपराधियों द्वारा जेल के अंदर से जेल के बाहर की दुनिया में हत्या, अपहरण, और फिरौती के कामों को भी अंजाम दिया जाता है। पुलिस इनका कुछ नहीं बिगाड़ पाती है, क्योंकि इनके जेल में होने के कारण इनके विरुद्ध कोई सबूत नहीं मिलता है।

चित्रकूट जेल में बंद रहा और अब मर चुका अपराधी अंशू दीक्षित रायबरेली में भी जेल में बंद रहा है। यह यहां जेल में बंद रहकर जेल की बाहरी दुनिया में अपराधों को अंजाम देता था। इसके कारनामों को जेल में बंद रहने के दौरान इसके एक वीडियो में भी देखा जा सकता है। पुलिस की थ्योरी के मुताबिक अंशू दीक्षित मुख्तार अंसारी के गिरोह का शार्प शूटर था। वह सीतापुर जिले का रहने वाला था और वहीं से अपराध की दुनिया में कदम रखा था। बाद में वह मुख्तार अंसारी के गिरोह में शामिल हो गया था और अपराध करता था।

मेराजुद्दीन भी मुख्तार अंसारी का खास आदमी था। वह बनारस का रहने वाला था। मेराजुद्दीन की अंशु दीक्षित से नहीं पटती थी।किसी खुन्नस के कारण दोनों में संबंध ठीक नहीं थे। इसलिए अंशू दीक्षित ने मेराजुद्दीन को मार डाला। मुकीम काला सहारनपुर का रहने वाला था। उसने सहारनपुर में तनिष्क ज्वैलरी की दुकान में लूटपाट कर अपराध की दुनिया में कदम रखा था। अंशू दीक्षित लगभग 2 साल से चित्रकूट जिला जेल में बंद था। मेराजुद्दीन को बनारस से और मुकीम काला को सहारनपुर से कुछ समय पूर्व चित्रकूट जिला जेल में तबादला कर लाया गया था। लेकिन अब तीनों इस दुनिया में नहीं हैं। किंतु उनकी हत्याओं के बाद जो अनुत्तरित सवाल उठे हैं, उससे योगी आदित्यनाथ की सरकार कठघरे में खड़ी हो गई है।

चित्रकूट जेल के अंदर हुए इतने बड़े हत्याकांड के बाद पुलिस अपराधियों के बारे में अपनी थ्योरी बताने में जुटी हुई है। राज्य सरकार ने कार्यवाही के नाम पर चित्रकूट जिला जेल के अधीक्षक एस पी त्रिपाठी और जेलर महेंद्र पाल को सस्पेंड कर दिया है। किसी तरह की जांच की घोषणा नहीं की है।

चित्रकूट में जिला जेल के अंदर हुई हत्याओं के बाबत समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता ओ. पी.यादव मुखर होकर इसकी निंदा करते हैं। वे कहते हैं कि, चित्रकूट में जिला जेल के अंदर बंदियों की हुई हत्याएं, हत्याएं नहीं बल्कि योगी आदित्यनाथ की सरकार की “ठोंक नीति” है। इसी “ठोंक नीति” के कारण यह हत्याएं हुई हैं।

योगी सरकार “ठोंक नीति” के जरिए हत्याएं करवा देती है। अपराध को खत्म करने के लिए अदालत बनी हुई हैं और वे अपराधियों को सजा देने का काम करती हैं। अदालत कानून के अनुसार अपराधियों को सजा देती है। अपराधी होने का मतलब यह नहीं है कि उसकी हत्या कर दी जाए। इस तरह से तो अदालत का काम ही खत्म हो जाएगा और कानून का राज भी खत्म हो जाएगा।

उन्होंने कहा कि, “चित्रकूट की जिला जेल में अपराधी को हथियार और गोलियां राज्य सरकार के संरक्षण में और सरकार के इशारे पर उपलब्ध कराई गई हैं। यह सीधे -सीधे हत्याओं का मामला है। इसकी सीबीआई जांच होनी चाहिए। तभी इस कांड का खुलासा होगा।”

इस घटना के संबंध में प्रसिद्ध एडवोकेट लाखन सिंह का कहना है कि, “यह मामला जेल के अंदर हुई हत्याओं का है। यह घटना बदतर सुरक्षा व्यवस्था का प्रमाण है। जेल के अंदर हथियार पहुंचने और उसके बाद हत्याएं होने से यह लगता है कि यह सुनियोजित तरीके से की गई हत्याएं हैं। यह घटना निंदनीय होने के साथ बहुत ही शर्मनाक है। इसकी न्यायिक जांच हाई कोर्ट के किसी जज से करवाई जानी चाहिए, जिससे घटना का पर्दाफाश हो।”

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