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Friday, April 26, 2024
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RSS के गढ़ नागपुर में COVID-19 से निपटने के लिए जमाअत इस्लामी हिन्द ने खोला अस्पताल

गुरुमेहर भल्ला | इंडिया टुमारो

नागपुर | लगभग 30 लाख की आबादी वाला महाराष्ट्र का ज़िला नागपुर, जहां दिन में पारा 40 डिग्री के आसपास है। कोविड और मौसम के मिजाज़ के चलते जबकि गले को तर रखना खास ज़रूरी है, ऐसे में जमात ए इस्लामी के नागपुर के सदर और पेशे से डॉक्टर अनवर सिद्दकी अपनी टीम के साथ पीपीईकिट में कोविड आईसीयू में मरीज़ों के इलाज में दौड़ भाग कर रहे हैं.

सुबह आठ बजे से लेकर दोपहर 2 बजे तक यहां डयूटी देने के बाद वह मरकज़ पहुंचते हैं जहां से घर घर ऑक्सीज़न सिलेंडर की सप्लाई का सिलसिला शुरू होता है। स्थानीय प्रशासन के हाथों से लगभग निकल चुकी व्यवस्था का महाराष्ट्र के हर ज़िले में एक सा आलम है। लेकिन नागपुर के हालात बद से बदतर हैं। इसे देखते हुए जमात ए इस्लामी नागपुर ने स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर 80 बेड का एक अस्पताल तैयार किया जहां कोविड मरीज़ों का इलाज चल रहा है। विस्फोटक स्थिति वाले इस शहर में यह एक बहुत बड़ी राहत का काम है।

महाराष्ट्र में विदर्भ इलाके के ज़िलों में कोविड ने तबाही मचा रखी है। हर दिन यहां लगभग 8,000 कोरोना पॉज़िटिव के नए मामले आ रहे हैं। इनमें से नागपुर की सड़कों पर देखें तो लगता है हर ओर कोविड के मरीज़ अपनी रिपोर्ट लिए घूम रहे हैं। लोग रो रहे हैं, हाथ जोड़ रहे हैं कि किसी तरह उन्हें बेड मिल जाए। नागपुर सबसे ज्यादा प्रभावित ज़िला इसलिए है क्योंकि इसकी सरहद के साथ लगते लगभग 400 किलोमीटर के आसपास वाले छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के मरीज़ भी इलाज के लिए यहीं आ रहे हैं। इसके अलावा विदर्भ के बाकी ज़िलों के मरीज़ों का अतिरिक्त भार भी नागपुर पर है। एक ज़माने में नागपुर को मध्यभारत का मेडिकल हब कहा जाता था।  

नागपुर के अस्पतालों के सामने जिस तरह से सडकों पर कोविड के मरीज़ बेड मिलने के लिए कतार में बैठे दिखते हैं वैसे किसी दूसरे ज़िले में नहीं दिखाई दे रहे हैं. जहां कोविड के मरीज़ों की संख्या गिनती से बाहर हो चुकी है. ऐसी स्थिति में यहां कोविड टेस्ट लाज़िमी तौर पर होना चाहिए लेकिन बीते दिनों यहां प्रशासन ने तीन दिन के लिए आरटीपीसीआर टेस्ट ही बंद कर दिया. इससे पहले यहां एक दिन में 26,000 आरटीपीसी टेस्ट किए जा रहे थे. बात करने पर नगर निगम के अधिकारियों ने बताया कि इतने मरीज़ हैं आखिरकार कितने लोगों का टेस्ट करेंगे, न तो इतनी मशीनें हैं न टेस्ट करने वाले.

जमात ए इस्लामी के डॉ. अनवर सिद्दकी बताते हैं कि, नागपुर में न टेस्ट, न रिपोर्ट, न बेड, न वेंटीलेटर, न दवा, न ऑक्सीज़न पूरी तरह से एक बड़ी जनसंख्या को मरने के लिए छोड़ दिया गया है. दूसरा हर दिन यहां दूसरे राज्यों से 50,000 से एक लाख तक मरीज़ आ रहे हैं. ऐसे में जब प्रशासन ने हाथ खड़े कर दिए तो जमात ए इस्लामी पहल करते हुए मेडिकल सेवा की शुरुआत की.

यह अस्पताल पांचपाओली पुलिस हेडक्वार्टर की एक बिल्डिंग में चलाया जा रहा है. अंदर मुआयना करने पर अस्पताल की साफ सफाई से लेकर ऑक्सीज़न की तमाम व्यवस्थाएं चाक चौबंद हैं. जिस शहर में बेड न मिलने से मौतें हो रही हैं वहां इतनी मदद आसमान के फलक से भी बड़ी लग रही है. लोग अपने अपने बेड पर आराम कर रहे हैं, ऑक्सीज़न ले रहे हैं, फल खा रहे हैं, दवा ले रहे हैं. किसी बेड से किसी मरीज़ को डॉक्टर को आवाज़ नहीं देनी पड़ रही. बिना किसी चीख पुकार के सारी व्यवस्था सुकून से चल रही है.

नागपुर जमात ए इस्लामी वेस्ट के प्रेज़ीडेंट डॉ. आसिफ खान बताते हैं कि, “बीते साल कोविड के कहर में नागपुर जमान ए इस्लामी ने यहां सौ के करीब ऑक्सज़ीन सिलेंडर खरीद लिए थे. ऑक्सीज़न की कमी वाले मरीज़ यहां से सिलेंडर ले जाते हैं. रोज़ाना प्लांट से रिफील होकर गाड़ी के जरिये सिलेंडर यहां आते हैं और यहां से लोग ज़रूरत के अनुसार इसे ले जाते हैं.”

डॉक्टर आसिफ के अनुसार, “मात्र पांच हज़ार रुपये सिक्योरिटी रखकर घर घर में ज़रूरतमंदों और हर मज़हब के लोगों को सिलेंडर दिए जा रहे हैं. मरीज़ों से सिर्फ 500 रुपये फिंलिंग चार्ज लिए जा रहे हैं. जैसे ही उन्हें किसी अस्पताल में बेड मिल जाता है वह सिलेंडर वापिस करके अस्पताल में एडमिट हो जाते हैं.”

 गौरतलब है कि महाराष्ट्र के बाकी ज़िलों में यही सिलेंडर दस से 20,000 रुपये में मिल रहा है. इस मॉडल को देखकर इस बात पर हैरत होती है कि कोविड की सेकेंड वेव ने जिन देशों में तबाही मचाई, सरकारें उस से वाकिफ थीं. लेकिन पूरा साल केंद्र सरकार न गैर भाजपा प्रदेशों में वहां की सरकारें गिराने की कोशिशों के अलावा कुछ नहीं किया.

अगर एक संस्था इतना सोच सकती है और कर सकती है कि वह बीते साल ही सौ सिलेंडर खरीदकर पूरा साल ऑक्सीज़न सिलेंडर बांट रही है तो सरकारों के लिए तो यह काम करना और आसान है. अभी तक जमात ए इस्लामी नागपुर की ओर से 1000 मरीज़ों को ऑक्सीज़न सिलेंडर पहुंचाए जा चुके हैं.

अस्पताल में ऑक्सीज़न है नहीं और सरकार या प्रशासन घर के लिए ऑक्सीज़न सिलेंडर देती नहीं है ऐसे में सांस बांटने के इस नेक काम से जमात ए इस्लामी हज़ारों लोगों को बेमौत मरने से बचा रही है. बेड लेने और कोविड टेस्ट करवाने के लिए कतारों में खड़े लोग बताते हैं कि वह पांच-पांच लाख रुपये लेकर अस्पतालों के दरवाज़ों पर खड़े हैं कि उन्हें बेड मिल जाए लेकिन नहीं मिल रहे हैं.

डॉ. अनवर सिद्दकी का कहना है कि, “जमात ए इस्लामी प्रशासन के साथ मिलकर इस तरह के और अस्पताल भी चला सकती है लेकिन उसके लिए प्रशासन को भी पहल करनी होगी.”

उनका कहना है कि, “नागपुर में ऐसी चार –पांच इमारतें और हैं जहां बेड लगाए जा सकते हैं और जमात वहां अस्पताल की व्यवस्था संभाल सकती है.”

इस अस्पताल में कुछ स्टाफ जमात ए इस्लामी का है और कुछ स्थानीय प्रशासन का है. दोनो लोग अपने अपने स्टाफ को सैलरी देते हैं. समाज और प्रशासन की मदद से चलने वाले अस्पताल का यह एक खूबसूरत नमूना है.

नागपुर में कोरोना के नए स्ट्रेन की वजह से संक्रमण जिस तेजी से फैला उसे स्थानीय प्रशासन और नेता स्वीकार करते हैं.

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