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Saturday, April 27, 2024
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दिल्ली पुलिस द्वारा दिल्ली दंगों की जांच पक्षपातपूर्ण, मामले में कोर्ट ले संज्ञान : प्रशांत भूषण

प्रशांत भूषण ने कहा, “1950 के दशक में जस्टिस ए एन मुल्ला ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में कहा था कि उत्तर प्रदेश पुलिस देश की सबसे बड़ी ऑर्गनाइज्ड क्रिमिनल गैंग बन चुकी है. यह बात आज भी सौ प्रतिशत सत्य है. केवल उत्तर प्रदेश पुलिस ही नहीं बल्कि अब दिल्ली पुलिस और NIA इस देश के बड़े ऑर्गेनाइज़्ड क्रिमिनल गैंग बन चुके हैं. जामिया लाइब्रेरी में या दिल्ली दंगों में जिस प्रकार CCTV कैमरे तोड़ते हुए दिल्ली पुलिस को देखा गया वो किसी से छिपा नहीं है.”

मसीहुज़्ज़मा अंसारी | इंडिया टुमारो

नई दिल्ली | नागरिकता संशोधन क़ानून (CAA) विरोधी प्रदर्शनों में सक्रिय भूमिका निभाने वाले ख़ालिद सैफ़ी की गिरफ्तारी के एक साल पूरे होने पर प्रेस क्लब ऑफ इंडिया, नई दिल्ली में शुक्रवार को एक कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें पीड़ित परिवारों समेत कई सामाजिक हस्तियों ने हिस्सा लिया.

ख़ालिद सैफ़ी की गिरफ्तारी के एक साल पूरा होने पर प्रेस क्लब, दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में अपनी बात रखते हुए सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि, “जिनके घर के लोग गिरफ्तार हैं उन सभी की हिम्मत को सलाम. दिल्ली पुलिस का बर्बर चेहरा हम सब ने देखा है जब वो जामिया की लाइब्रेरी में बच्चों को मार रहे थे, JNU में गुंडों के समर्थन में खड़े रहे और दिल्ली दंगों में दंगाई भीड़ का साथ दिया. जब तक इन आरोपी पुलिसकर्मियों और ऑफिसर्स को सज़ा नहीं होती पुलिस का बर्बर रवैया नहीं बदलेगा.”

इस कार्यक्रम में CAA विरोधी आंदोलन में भाग लेने वाले और दिल्ली दंगों के आरोप में गिरफ्तार छात्रों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के परिवार के सदस्य भी शामिल हुए. यह कार्यक्रम ख़ालिद सैफ़ी और इशरत जहां की गिरफ्तारी के एक साल पूरा होने पर रखा गया था.

कार्यक्रम में पीड़ित परिवारों के साथ-साथ वरिष्ठ अधिवक्ता, सामाजिक कार्यकर्ता, बुध्दिजीवी और छात्र शामिल हुए जिनमें मुख्य रूप से वरिष्ठ पत्रकार हरतोश सिंह बल, वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण, ख़ालिद सैफ़ी की पत्नी नर्गिस सैफी, अतहर खान की माँ नूरजहाँ, नौदीप कौर की बहन राजवीर कौर, प्रोफ़ेसर अपूर्वानंद और पूर्व आईपीएस एस. आर. दारापुरी भी शामिल हुए.

कार्यक्रम में पिछले एक साल से गिरफ्तार खालिद सैफी की पत्नी नर्गिस सैफी ने अपनी बात साझा करते हुए कहा कि, “मेरे पति शांतिपूर्ण प्रदर्शन आयोजित कर रहे थे, क्या यही उनकी गलती है? उन्होंने कोई भी ग़ैरक़ानूनी काम नहीं किया. उनको शांतिपूर्ण प्रदर्शन आयोजित करने की सज़ा दी जा रही है और उन्हें प्रताड़ित किया गया है.”

अपनी बात साझा करते हुए नौदीप कौर की बहन राजवीर कौर ने कहा कि, “मेरी बहन ने मुझ से कहा है कि जेल से छूटने के बाद फिर से किसानों के हक में प्रदर्शन करेगी. सरकार के किसी भी प्रयास से हम डरने वाले नहीं हैं.”

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कार्यक्रम में अपनी बात रखते हुए कहा कि, “सरकार के ख़िलाफ़ शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने वाले जिस परिवार के सदस्य महीनों और साल भर से जेल में हैं और पुलिस की यातना सहन कर रहे हैं मैं उन सभी परिवारों को नमन करता हूँ और साथ ही हाथ जोड़ कर उनसे क्षमा चाहता हूँ.”

उन्होंने कहा कि, “जिस प्रकार ख़ालिद सैफी और अन्य गिरफ्तार लोगों के साथ पुलिस की बर्बरता की कहानी सामने आई है हमें परेशान करने वाली हैं और ये साबित करती हैं कि पुलिस प्रशासन और अन्य सरकारी विभाग सरकार के हाथों की कठपुतली बन कर रह गया है.”

प्रशांत भूषण ने कहा, “1950 के दशक में जस्टिस ए एन मुल्ला ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में कहा था कि उत्तर प्रदेश पुलिस देश की सबसे बड़ी ऑर्गनाइज्ड क्रिमिनल गैंग बन चुकी है. यह बात आज भी सौ प्रतिशत सत्य है. केवल उत्तर प्रदेश पुलिस ही नहीं बल्कि अब दिल्ली पुलिस और NIA इस देश के बड़े ऑर्गेनाइज़्ड क्रिमिनल गैंग बन चुके हैं. जामिया लाइब्रेरी में या दिल्ली दंगों में जिस प्रकार CCTV कैमरे तोड़ते हुए दिल्ली पुलिस को देखा गया वो किसी से छिपा नहीं है.”

प्रशांत भूषण ने कहा, “दिल्ली पुलिस के हाथों मामलों की जांच इमानदारी से नहीं हो रही है. ऐसे मौके पर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट को संज्ञान लेना चाहिए और मामलों की जाँच अपने स्तर पर करवानी चाहिए.”

UAPA के तहत पिछले आठ महीनों से जेल में बंद अतहर खान की मां नूर जहाँ ने अपनी बात रखते हुए कहा, “मेरा बेटा निर्दोष है, उसने कोई भी ग़ैरक़ानूनी काम नहीं किया है. उसे शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने पर गिरफ्तार किया गया है. मुझे समझ नहीं आता कि उसे किस बात की सज़ा दी जा रही है.”

उत्तर प्रदेश के पूर्व आईपीएस अधिकारी एसआर दारापुरी ने कार्यक्रम में अपनी बात साझा करते हुए कहा, “CAA आन्दोलन में मुझे और मुझ जैसे सैकड़ों लोगों को पुलिस की यातना झेलनी पड़ी. मैं 32 साल पुलिस में सेवा करने के बावजूद पुलिस के ज़ुल्म का शिकार हुआ.”

उन्होंने कहा, “पुलिस की कार्यप्रणाली पहले से ही साम्प्रदायिक रही है मगर सरकार की साम्प्रदायिक नीतियों के कारण पुलिस और भी साम्प्रदायिक और जातिवादी हो चुकी है.”

यूनाइटेड अगेंस्ट हेट (UAH) ने इस कार्यक्रम में दिल्ली दंगों से सम्बंधित एक फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट भी पेश किया जिसे एडवोकेट प्रिया वत्स ने मीडिया के सामने साझा किया.

एडवोकेट प्रिया ने बताया कि, “दिल्ली दंगों के प्रभावित एक साल बाद भी कई समस्या का सामना कर रहे हैं. बहुत से ऐसे परिवार हैं जिनको मुआवज़ा नहीं दिया गया. कई ऐसे हैं जिनको बहुत कम मुआवज़ा मिला है. कई पीड़ित परिवार ऐसे भी हैं जिनका सब कुछ दंगे में बर्बाद हो गया और अभी आजीविका का कोई साधन नहीं है.”

उन्होंने बताया, “कई परिवार ऐसे भी हैं जिनकी अभी तक FIR भी नहीं दर्ज हुई है.”

खालिद सैफी एंटी सीएए प्रोटेस्ट में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेने वालों में से थे. उन्हें 26 फरवरी को खुरेजी खास से गिरफ्तार किया गया. पुलिस ने उन्हें बुरी तरह प्रताड़ित किया और उन्हें व्हीलचेयर में कोर्ट ले गए.

सैफी पेशे से कारोबारी हैं. उन्होंने 2017 में मॉब लिंचिंग के खिलाफ अभियान शुरू किया था.

दिल्ली के कड़कड़डूमा कोर्ट ने खालिद सैफी को एक मामले में सबूतों के अभाव में ज़मानत देते हुए दिल्ली पुलिस को फटकार भी लगाई थी. कोर्ट ने कहा था कि पुलिस ने चार्जशीट में दिमाग नहीं लगाया और यह बदले की भावना के तहत की गई कार्यवाही है. खालिद अभी FIR 59 में UAPA के तहत जेल में हैं.

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