मसीहुज़्ज़मा अंसारी | इंडिया टुमारो
नई दिल्ली | दिल्ली दंगा पीड़ितों की क़ानूनी लड़ाई लड़ रहे एडवोकेट महमूद प्राचा का दिल्ली पुलिस द्वारा उत्पीड़न अब भी जारी है. दिल्ली पुलिस द्वारा आज चाणक्यपुरी पुलिस स्टेशन में प्राचा को पूछ-ताछ के लिए बुलाया गया था जिसे उन्होंने अपने ट्विटर अकाउंट पर साझा किया है.
इंडिया टुमारो से बात करते हुए एडवोकेट महमूद प्राचा ने कहा कि उनके द्वारा पूर्व में किए गए एक प्रदर्शन को आधार बनाकर उन्हें डराने की कोशिश की जा रही है.
उन्होंने आरोप लगाया कि, “मुझ पर दिल्ली पुलिस द्वारा इस बात के लिए दबाव बनाया जा रहा है कि दिल्ली दंगों से सम्बंधित मुक़दमों से मैं ख़ुद को अलग कर लूं.”
उन्होंने बताया कि, “इस साल 2 अक्टूबर को पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों और दलितों के उत्पीड़न के खिलाफ पाकिस्तान दूतावास के बाहर किये गए प्रदर्शन को लेकर मुझे और मेरे समर्थकों के खिलाफ एक मामले में पूछताछ के लिए सोमवार को चाणक्यपुरी पुलिस स्टेशन बुलाया गया था.”
इंडिया टुमारो से बात करते हुए, उन्होंने कहा कि, इस मामले में कुछ भी नहीं था लेकिन उन्होंने मुझे परेशान करने की कोशिश की ताकि दिल्ली दंगों के मामलों को मैं छोड़ दूं.
चाणक्यपुरी पुलिस स्टेशन में पूछताछ के बाद प्राचा ने ट्विट किया कि, मनुवादी मानसिकता कभी भी अंबेडकरवादियों को डरा नहीं सकती.
उन्होंने कहा कि, “पूछताछ के नाम पर एक घंटे के अनावश्यक उत्पीड़न के बाद भी मैं डर नहीं रहा हूं. अम्बेडकरवादी को डराने की कोशिश की जा रही है. मनुवादी मानसिकता कभी भी अंबेडकरवादियों को डरा नहीं सकती. हम भारत के संविधान को हर तरह के खतरों से बचाएंगे. जय भीम!”
उन्होंने कहा कि वह अपने सिद्धांतों से हटने वाले नहीं हैं और पीड़ितों को कानूनी मदद देना जारी रखेंगे.
चाणक्यपुर में पूछताछ के बाद, एडवोकेट महमूद प्राचा फरवरी 2020 के सांप्रदायिक दंगों के दौरान सबसे बुरी तरह प्रभावित उत्तर-पूर्व दिल्ली के इलाके मुस्तफाबाद में पीड़ितों द्वारा आयोजित एक पोग्रोम में शामिल हुए.
उन्होंने कहा, “हम तब तक नहीं रुकेंगे जब तक कि मुख्य साजिशकर्ता को सामने नहीं लाते और पीड़ितों को न्याय नहीं मिल जाता.”
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल द्वारा 25 दिसंबर को निज़ामुद्दीन स्थित प्राचा के दफ्तर पर छापा मारा गया और 15 घंटे तक तलाशी जारी रही. पुलिस ने आरोप लगाया था कि प्राचा ने अपने मुवक्किल की जमानत लेने के लिए नकली / जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल किया था और पुलिस उसे बरामद करना चाहती थी.
वरिष्ठ अधिवक्ता, महमूद प्राचा के दफ्तर पर दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल के छापे की सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन, बार काउंसिल ऑफ दिल्ली और जमात-ए-इस्लामी हिंद सहित विभिन्न सामाजिक संगठन और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने निंदा की है.